चिराग पासवान का दावा लोजपा झारखंड में अकेले चुनाव लड़ने में ‘सक्षम’

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2019 12:38 AM

chirag paswan claims ljp  capable  of contesting elections alone in jharkhand

जमुई से लोकसभा सांसद तथा अपने पिता व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के स्थान पर लोजपा के अध्यक्ष बने चिराग पासवान ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव 50 सीटों पर लड़ेगी। भाई-भतीजावाद, आगामी चुनौतियों तथा झारखंड, बिहार तथा...

जमुई से लोकसभा सांसद तथा अपने पिता व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के स्थान पर लोजपा के अध्यक्ष बने चिराग पासवान ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव 50 सीटों पर लड़ेगी। भाई-भतीजावाद, आगामी चुनौतियों तथा झारखंड, बिहार तथा दिल्ली के आगामी चुनावों पर बात करते हुए चिराग ने कहा कि मैं बेहद आशावान हूं और यह आशा मेरे पिता से इस कारण मिली क्योंकि वह चाहते हैं कि मैं अब स्वतंत्र निर्णय लूं। जब से मैं लोजपा के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बना हूं तब से मेरे द्वारा जो भी निर्णय लिए गए उसमें मेरे पिता ने मुझे पूरी आजादी दी। उनके दिशा-निर्देश मेरे साथ हमेशा रहेंगे। मुझे उम्मीद है कि मैं उनकी कसौटी पर खरा उतरूंगा।

मैं जातिवाद प्रभुत्व समाज से संबंध रखता हूं मगर मैंने बहुत से मुद्दों को पास से देखा है। इसी ने मुझे बहुत ज्यादा अनुभव प्रदान किया है। जब कभी भी मैं अपने गृह प्रदेश बिहार लौटा हूं तब-तब वहां से मैं एक नया अनुभव लेकर आया हूं। जब एस.सी./एस.टी. उत्पीडऩ एक्ट को कम करने की बात चली तब मैं ही था जिसने बड़ी गर्मजोशी से इस मुद्दे को उठाया। मेरा मानना है कि मेरी जाति से आए लोगों को इससे आत्मविश्वास मिलेगा और मैं उनके मुद्दे उठाता रहूंगा।

बसपा प्रमुख मायावती तथा भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद के बारे में पासवान का कहना है कि मायावती जी की कार्यशैली से मैं थोड़ा अचम्भित हूं। वह भी समय था जब मायावती ऊंची जाति के लोगों के खिलाफ बोलती थीं। उसके बाद उन्होंने उन्हीं के साथ हाथ मिलाया इसलिए मुझे लगता है कि वह अपनी कार्यशैली में बदली-बदली नजर आती हैं। मगर मुझे भीम आर्मी से कोई लेना-देना नहीं कि उनके नेता क्या करते हैं, क्या नहीं करते। 

भाई-भतीजावाद से मैं भी तो संबंध रखता हूं
भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर बोलने से मुझे कतई गुरेज नहीं। मैं अंतिम शख्स हूं जो इससे संबंध रखता हूं। मैं ईमानदारी से मानता हूं कि जब आप लोगों के उसी क्षेत्र से संबंध रखते हों तब ये देश के लोग ही होते हैं जो आपके भाग्य का निर्णय लेते हैं, तब यह फर्क नहीं पड़ता कि आप किस बड़े परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मिसाल के तौर पर यदि भाई-भतीजावाद राजनीति में सफलता का कारण हो तो मेरी बड़ी बहन तथा लालू प्रसाद यादव जी की बेटी मीसा भारती चुनाव जीत चुकी होतीं मगर वह दो बार पाटलीपुत्र से चुनाव हार गईं। 

लोजपा अब 19 वर्ष की हो चुकी है और इसके पास युवा नेतृत्व है। मेरा ध्यान युवाओं पर है जिनके हाथों में भारत का भविष्य है। उनसे संबंधित कई मामले हैं, जिनमें से बेरोजगारी अहम मुद्दा है। हमारे लिए झारखंड विधानसभा चुनावों पर तत्काल रूप से ध्यान देना अहम है जहां पर हम 50 सीटों पर चुनाव लडऩे जा रहे हैं। लोजपा अकेली चुनाव लड़ रही है इसलिए बहुत ज्यादा दबाव झेल रहा हूं। हालांकि चिराग ने माना कि वह गठबंधन के अंतर्गत चुनाव लडऩा चाहते हैं और इसके बारे में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तथा झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास को भी लिखा मगर उनसे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। लोजपा झारखंड में सालों से सशक्त है। यही कारण है कि वहां पर अकेले चुनाव लडऩा बेहतर होगा। 

दिल्ली चुनावों के बारे में बतौर अध्यक्ष चिराग का मानना है कि वहां पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जाएगा और यदि किसी दिशा में गठबंधन तय नहीं होता तो हम अकेले ही दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ेंगे।

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