बिहार में चिराग पासवान की ‘पोस्टर राजनीति’

Edited By ,Updated: 12 Oct, 2020 01:15 AM

chirag paswan s poster politics  in bihar

अपने निर्णयों से चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनावों को दिलचस्प बना दिया है। उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी तथा भाजपा राज्याध्यक्ष संजय जायसवाल दोनों को ही नाराज कर दिया है। इन दोनों नेताओं ने इस बात को लेकर प्रतिबंध लगाया था कि...

अपने निर्णयों से चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनावों को दिलचस्प बना दिया है। उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी तथा भाजपा राज्याध्यक्ष संजय जायसवाल दोनों को ही नाराज कर दिया है। इन दोनों नेताओं ने इस बात को लेकर प्रतिबंध लगाया था कि गठबंधन सहयोगी के अलावा दूसरा कोई भी अन्य दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पोस्टर का इस्तेमाल नहीं करेगा और यदि कोई ऐसा करते हुए पाया गया तो उसकी शिकायत चुनाव आयुक्त को की जाएगी। 

लोजपा ने मोदी के पोस्टर का इस्तेमाल अपने पोस्टर पर किया है तथा चिराग ने दोनों भाजपा नेताओं को अपनी इस कार्रवाई से चुनौती दी है। चिराग के अनुसार केंद्र में भाजपा के साथ लोजपा गठबंधन में है तथा केंद्र में जदयू भाजपा गठबंधन का हिस्सा नहीं है। इस कारण लोजपा के पोस्टर मोदी के नारे ‘मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं’ के साथ दिखाई दिए। ऐसा कर लोजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधना चाहती है। 

सार्वजनिक बैठकों में भाजपा के साथ-साथ जदयू के लिए भी अपने पक्ष को स्पष्ट करना मुश्किल हो रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार चिराग इस समय महाराष्ट्र तथा पंजाब की लाइन पर कार्य कर रहे हैं जहां पर भाजपा ने अपने पुराने सहयोगी शिवसेना तथा अकाली दल को छोडऩे में कोई समय नहीं गंवाया। 

कांग्रेस कार्यकत्र्ता बिहार में दिखाई दे रहे अप्रसन्न 
इस समय बिहार में जीतने की क्षमता रखने वालों की तुलना में बाहरी लोगों को टिकट बांटने के आरोप कांग्रेस में लग रहे हैं। सभी दलों से ज्यादा इस मामले में कांग्रेस ज्यादा प्रभावित नजर आ रही है। ऐसे मतभेदों के चलते कुछ पार्टी के आकांक्षी उम्मीदवारों ने इस्तीफा दे दिया है और वहीं कुछ ऐसे नेता भी हैं जो आधिकारिक मनोनीत उम्मीदवारों की हार को यकीनी बनाने के लिए कार्य करने की कसम उठा रहे हैं। कुछ उम्मीदवारों ने गुप्त तरीके से सूची की औपचारिक घोषणा से पहले पार्टी चिन्हों को नामांकन पत्रों को दाखिल करने से पहले दे दिया है। 

हालांकि कई कांग्रेसी नेता बहुत ज्यादा इस तरीके से नाराज हुए हैं कि किस तरह कुछ नेताओं ने पार्टी के हितों को चोट पहुंचाने के लिए साजिश रची है। पहली सूची में मुस्लिम समुदाय में से कोई भी उम्मीदवार लिया नहीं गया है जिसके चलते भी नाराजगी व्याप्त है। ज्यादातर युवा कार्यकत्र्ता यह टिप्पणी करते देखे गए हैं कि अब ज्यादातर राजनीतिज्ञ के लिए 2 चीजें ही महत्व रखती हैं एक तो पैसों से भरा बैग और दूसरा परिवार का नियंत्रण। 

मध्य प्रदेश उपचुनाव : ज्योतिरादित्य सिंधिया की हिस्सेदारी
मध्य प्रदेश में 28 सीटों के लिए उपचुनाव 3 नवम्बर को आयोजित होने हैं और यह देखना काफी दिलचस्प है क्योंकि इस चुनाव से पहले इस तरह के बड़े आकार में उपचुनाव कभी नहीं हुए। 2018 में कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं तथा भाजपा ने एकमात्र सीट अगर विधानसभा क्षेत्र में जीती थी जहां पर मनोहर उन्तवाल ने सीट जीती थी। मगर उनकी मौत के कारण इस सीट पर भी चुनाव होना है। ये चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भाजपा के पास विधानसभा में 107 विधायक हैं तथा कांग्रेस के पास वर्तमान में सदन में 88 विधायक हैं। 

इस कारण भाजपा को राज्य में सरकार को चलाने के लिए अन्य 9 सीटों की जरूरत है। एक और बिंदू महत्वपूर्ण है, वह यह है कि 28 में से 16 सीटें ग्वालियर चम्बल क्षेत्र से संबंध रखती हैं तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा का दामन थामने वाले 16 विधायक इसी क्षेत्र से हैं। चुनावों को और दिलचस्प बनाने के लिए मायावती ने भी बसपा के लिए अपना उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में उतारा है। हालांकि पूर्व में मायावती ने कभी भी उपचुनावों में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई। भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया की किस्मत इन उपचुनावों के नतीजों पर भी निर्भर करती है। 

इन उपचुनावों में सभी तीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री तथा सचिन पायलट पार्टी के लिए चुनावी मुहिम में भाग लेंगे। केंद्र में रामदास अठावले एकमात्र गैर-भाजपा मंत्री हैं मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद मरने वाले मंत्रियों की सूची में एक नाम और जुड़ गया है। गोपीनाथ मुंडे 2014 में शपथ ग्रहण करने के एक सप्ताह के भीतर ही दुर्घटना में मारे गए थे। राज्य मंत्री अनिल देव की मृत्यु 2017 में हार्ट अटैक से हो गई। अरुण जेतली, सुषमा स्वराज तथा मनोहर पर्रिकर पिछले वर्ष मृत्यु को प्राप्त हो गए। पिछले माह राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी की मृत्यु कोविड-19 से हो गई। पिछले वर्ष ही शिवसेना राजग से अपना नाता तोड़ चुकी थी। कृषि बिलों को लेकर सरकार के साथ अपने मतभेदों के चलते पिछले माह मोदी की कैबिनेट से हरसिमरत कौर बादल ने भी इस्तीफा दे दिया था। अब केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में रामदास अठावले एकमात्र गैर-भाजपा मंत्री हैं। 

बिहार चुनावी मुहिम में कांग्रेसी मतभेद
पार्टी में संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की मांग को लेकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 विरोधी नेताओं में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ-साथ अखिलेश प्रसाद सिंह तथा राज बब्बर को बिहार विधानसभा चुनावों के पहले चरण के लिए कांग्रेसी स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले सचिन पायलट भी इस सूची में शामिल किए गए हैं जिसे चुनाव आयोग को भेजा गया है। 

इस सूची में सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्वी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ-साथ तीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, अशोक गहलोत तथा भूपेश बघेल भी शामिल हैं। वहीं, चुनावी मुहिम के लिए शत्रुघ्न सिन्हा तथा कीॢत आजाद भी प्रमुख स्टार प्रचारक रहेंगे। सोनिया गांधी तथा मनमोहन सिंह महामारी के चलते बिहार में यात्रा करने के लिए असमर्थ हैं। इसी वजह से पार्टी उनके लिए डिजिटल रैलियों का विकल्प चुन चुकी है।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!