‘गरीबों व कमजोरों की देखरेख करना ही स्वच्छता है’

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2021 04:46 AM

cleanliness is the care of the poor and the weak

इंदौर शहर की नगरपालिका के प्रमुख ने अपने अधीनस्थों को बड़बड़ाते हुए कहा, ‘‘हमें भारत में सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा दिया गया है।’’ एक कर्मचारी ने फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘हां साहब, निरंतर 4 साल।’’ प्रमुख ने आगे कहा, ‘‘पुरस्कार रखने के लिए हमें सतर्क रहना...

इंदौर शहर की नगरपालिका के प्रमुख ने अपने अधीनस्थों को बड़बड़ाते हुए कहा, ‘‘हमें भारत में सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा दिया गया है।’’ एक कर्मचारी ने फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘हां साहब, निरंतर 4 साल।’’ प्रमुख ने आगे कहा, ‘‘पुरस्कार रखने के लिए हमें सतर्क रहना होगा। मैंने ऊपर तथा नीचे भरे हुए कूड़ेदानों, गंदी सड़कों और यहां तक कि गंदगी से भरे रेलवे ट्रैकों को देखा है।’’ 

अधीनस्थ बोला, ‘‘हम सावधान हो गए हैं सर।’’ प्रमुख ने कहा, ‘‘सावधान क्या है?’’ अधीनस्थ ने इसके बाद अपने प्रमुख के मोबाइल को भयपूर्वक देखा जिसमें कुछ ऐसे चित्र थे जिन्हें ध्यानपूर्वक खींचा गया था। तभी अधीनस्थ बोला, ‘‘वे चित्र तो पुराने तथा बेघर लोगों के हैं।’’ तब प्रमुख बोला,‘‘इन्हें सड़कों से हटा दें।’’ अधीनस्थ,‘‘क्या मैं इन सबको हमारे म्यूनिसिपल अस्पतालों में भेज दूं?’’ प्रमुख बोला, ‘‘क्या अस्पतालों को गंदा करना है? तुम मूर्ख तो नहीं हो गए। इन सबको शहर के बाहर फैंको।’’ इतने में अधीनस्थ बोला, ‘‘सर बाहर तापमान बहुत सर्द है।’’ 

प्रमुख बोला, ‘‘क्या आप नहीं चाहते कि हम पुरस्कार जीतें। अभी करो, अभी।’’ समाचारपत्रों में लिखा गया है कि इंदौर के जिला मैजिस्ट्रेट ने ठंड के मौसम के बीच बेघर लोगों को शहर से बाहर डम्प करने की स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई के लिए भगवान से माफी मांगी है। इसके बाद पूरे देश ने डरावनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अधीनस्थ बोला,‘‘मुझे आश्चर्य है कि माफी के रूप में भगवान ने क्या कहा?’’ प्रमुख बोला, ‘‘भगवान ने दुख के साथ कहा- क्या घर के बाहर सफाई करना घर अंदर गंदगी लाना है? हो सकता है भगवान ने एक दंड का उपयोग न किया हो।’’ 

इतने में अधीनस्थ बोला, ‘‘क्या पूरे विश्वभर में ऐसा नहीं हो रहा? जर्मनी में ऐसा ही हुआ जहां पर 6 मिलियन यहूदी जिन्हें उनके आर्यन पड़ोसियों की तुलना में गंदा माना जाता था, को गैस चैम्बरों में डालकर उनकी हत्या नहीं की गई? क्या हिटलर जर्मनी को साफ करने की कोशिश कर रहा था?’’‘‘क्या अमरीका में ऐसा एक राष्ट्रपति ने नहीं किया जिसने अपने-आपको ज्यादा सफेद माना और अलग-अलग रंग वाले लोगों के लिए सीमाएं बंद नहीं कीं? यहां तक कि क्या उसने अपने ही देश में अश्वेतों से क्रूरता से निटपने के लिए पुलिस को अनुमति नहीं दी? क्या ट्रम्प अमरीका को फिर से स्वच्छ बनाने की कोशिश कर रहे थे?’’ 

अपने भारत में भी ऐसा ही कुछ घट रहा है जहां पर पुरुष तथा महिलाएं जो अलग-अलग धर्मों को मानते हैं, अपनी शादियों को बचाने के लिए उन्हें पीछे धकेल दिया गया है। लव जेहाद जैसे कानून बनाए गए हैं या फिर ऐसे लोग जो एक अलग भोजन करते हैं उन्हें ऐसा खाने से मना किया गया है? ताकि राष्ट्र स्वच्छ हो सके। मुझे नहीं लगता कि परमात्मा ने यह सब कहा होगा मगर शायद भगवान दुखी जरूर हुए होंगे जो गंदे तरीकों के माध्यम से स्वच्छ पुरस्कार को जीतने के प्रयासों को देखते हैं। इंदौर की त्रासदी सीधा स्वच्छता पुरस्कार पाने के लिए थी लेकिन अन्य स्वच्छ पुरस्कार देखने में अधिक राजनीतिक लगते हैं। एक स्वच्छ अमरीका निश्चित रूप से एक सफेद अमरीका नहीं है और एक स्वच्छ भारत सिर्फ एक समुदाय के लोगों के लिए नहीं है। बुजुर्गों की देखभाल, अन्य समुदायों के लोगों को समझना तथा गरीबों व कमजोरों की देखरेख करना ही स्वच्छता है।-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स

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