चीन के युद्धोन्माद का संज्ञान जरूरी

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2019 04:45 AM

cognizance of china s warheads is necessary

चीन का युद्धोन्माद यदा-कदा दुनिया के सामने आता ही रहता है, कभी अपनी अराजक सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर तो कभी युद्ध की धमकी देकर। पड़ोसी देश अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए ङ्क्षचतित भी रहते हैं। चीन कब उनकी सीमाओं का अतिक्रमण कर कब्जा जमा बैठे...

चीन का युद्धोन्माद यदा-कदा दुनिया के सामने आता ही रहता है, कभी अपनी अराजक सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर तो कभी युद्ध की धमकी देकर। पड़ोसी देश अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए चिंतित भी रहते हैं। चीन कब उनकी सीमाओं का अतिक्रमण कर कब्जा जमा बैठे और अपनी सेना की तैनाती कर दे, यह कहा नहीं जा सकता है। 

वैश्विक दुनिया में महाशक्तियों का भविष्य और हित एक-दूसरे के साथ मकडज़ाल की तरह गुंथे होते हैं। इसलिए महाशक्तियों की क्रिया-प्रतिक्रिया, हिंसा-प्रतिहिंसा का प्रभाव भी वैश्विक होता है। यही कारण है कि दुनिया युद्धोन्माद या फिर सभी प्रकार की हिंसा -प्रतिहिंसा से चिंतित होती है और इसे दुनिया की शांति के लिए खतरा माना जाता है। पर यह भी सही है कि चीन, अमरीका, रूस जैसी शक्तियां अपने हितों और स्वार्थों को लेकर युद्धोन्माद पर उतर आती हैं और निर्दोष आबादी को भी शिकार बना लेती हैं। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जब महाशक्तियां अपने स्वार्थ और वैश्विक दादागिरी सुनिश्चित करने के लिए युद्ध लड़ी हैं, कमजोर देशों को कुचला है, उनके आर्थिक-प्राकृतिक संसाधनों को हड़पने का कार्य किया है। 

किसी की परवाह नहीं
निश्चित तौर पर चीन एक महाशक्ति है जिसके कई आयाम हैं। सिर्फ आर्थिक तौर पर ही नहीं, बल्कि सामरिक तौर पर भी वह एक महाशक्ति है, उसकी सेना की विशालता और क्षमता भी विशेष है, उसकी कूटनीति भी दुनिया भर में मारक क्षमता रखती है। चीन की कूटनीति यह नहीं देखती कि उनके निशाने पर आने या फिर उनके खतरनाक कदमों से कोई महाशक्ति नाराज होती है, वह कूटनीतिक प्रतिक्रिया की भी परवाह नहीं करता है। इसलिए वह दुनिया की कई वैश्विक संस्थाओं के प्रमुखों को भी जेलों में डाल देता है। कुछ दिन पूर्व ही इंटरपोल के एक प्रमुख के लापता होने की खबर दुनिया भर में फैली हुई थी, उसकी कोई खबर नहीं मिल रही थी। बाद में पता चला कि इंटरपोल का वह प्रमुख चीन के कब्जे में है। चीन ने दुनिया को यह बताने की जरूरत भी नहीं समझी थी कि उसने उसको क्यों और कैसे अपने कब्जे में रखा हुआ है। दुनिया के नियामक भी चीन का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं? आखिर क्यों? इसलिए कि चीन के पास सुरक्षा परिषद में वीटो का अधिकार है। अभी-अभी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने नागरिकों को चीन जाने से मना किया है। अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वार कितनी गंभीर और खतरनाक रही है, यह भी जगजाहिर है। 

चीन के युद्धोन्माद से दुनिया की शांति को कितना खतरा है? क्या यह पड़ोसियों के लिए खतरे की घंटी है? क्या पड़ोसियों के सामने भी चीन के खिलाफ अपनी सेना मजबूत करने की बाध्यता होगी? चीन के युद्धोन्माद से क्या भारत को भी डरना चाहिए? अगर पड़ोसी देश भी अपनी सेना को आक्रामक ढंग से मजबूत करने लगेंगे और नए-नए हथियारों का सृजन और खरीद करने लगेंगे तो फिर दुनिया में खतरनाक हथियारों की होड़ नहीं बढ़ेगी क्या? हथियारों की होड़ से दो प्रकार के खतरे होते हैं। एक तो इससे शांति को खतरा होता है, ङ्क्षहसा-प्रतिहिंसा की आशंका उत्पन्न होती है और दूसरे, हथियारों के सृजन और खरीद से अर्थव्यवस्था चौपट होती है। जिन पैसों का उपयोग गरीबी उन्मूलन और जरूरी सुविधाओं के विकास पर खर्च होना होता है उन पैसों से हथियारों का उन्नयन और क्रय होता है। 

सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपनी सेना को स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि युद्ध के लिए तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने अपनी  पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से कहा है कि दुनिया में कई ऐसे प्रश्न हैं जिन पर विवाद बढ़ रहा है, टकराव बढ़ रहा है, हितों का संकट खड़ा है, ऐसे में चीन को युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। पीपुल्स लिबरेशन  आर्मी अपने हथियारों का उन्नयन करे, सैनिकों का प्रशिक्षण नए सिरे से करे और दुनिया को यह एहसास कराए कि वह सर्वश्रेष्ठ सामरिक शक्ति है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि चीन अपने मारक और खतरनाक हथियारों का प्रदर्शन कर दुनिया को डराना भी चाहता है। चीन अपनी स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर पेइङ्क्षचग के तिनानमिन चौक पर  सैन्य परेड करेगा। इस सैन्य परेड में दुनिया को चकित करने वाले हथियारों का प्रदर्शन किया जाएगा। 

तिनानमिन चौक को ही सैन्य परेड के लिए क्यों चुना गया। यह चौक दुनिया भर में चर्चित है और चीन की कठोर, दमनकारी और ङ्क्षहसक सैन्य शक्ति के लिए भी कुख्यात है। 20वीं शताब्दी में चीन ने लोकतंत्र की मांग करने वाले करीब 20 हजार से ज्यादा छात्रों की हत्या टैंकों और मिसाइलों से की थी। लोकतंत्र की मांग करने वाले चीनी छात्रों का वह नरसंहार दुनिया के लिए आज भी दिल दहला देने वाली घटना है। सबसे बड़ी बात यह कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पर अपने देश के ही 10 करोड़ नागरिकों को मारने का आरोप है जिन्होंने माओ त्से तुंग के सामने सिर झुकाने से इन्कार कर दिया था। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्थापना कम्युनिस्ट तानाशाह माओत्से तुंग ने की थी, जिसने कहा था कि सत्ता बन्दूक की गोली से निकलती है। 

बदलती परिस्थितियां
युद्धोन्माद का एक गणित भी है, एक कूटनीति भी है, खासकर पड़ोसी देशों के खिलाफ एक गिद्ध दृष्टि भी है। कभी चीन ही एशिया में महाशक्ति हुआ करता था, उसकी सामरिक शक्ति की तूती बोलती थी। पर 21वीं सदी का एशिया कई मायनों में अलग है। शक्ति संतुलन के नए आयाम बने हुए हैं। चीन की शक्ति को चुनौती मिली है। दक्षिण कोरिया, भारत और जापान जैसे देश शक्ति के नए केन्द्र के रूप में सामने आए हैं। जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध से काफी कुछ सीखा और बदले की भावना के सिद्धांत को छोड़कर अद्भुत आर्थिक तरक्की की है। जापान और चीन के बीच कोई आज का झगड़ा नहीं है। 

दक्षिण चीन सागर में चीन और आसियान देशों के बीच हितों का टकराव है। पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना अधिकार बताता है जबकि इसके कई टापुओं पर दक्षिण कोरिया, जापान, फिलीपींस, कम्बोडिया और वियतनाम का दावा है। यहां चीन अपनी सेना का अराजक और हिंसक प्रदर्शन करता रहा है। अमरीका बार-बार दक्षिण चीन सागर में चीन की सैनिक गतिविधियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता रहा है और चीनी सैनिक गतिविधियों को एशिया और आसियान देशों के खिलाफ बताता रहा है। इधर ताइवान को चीन अपने साथ मिलाना चाहता है। चीन का कहना है कि ताइवान का स्वतंत्र अस्तित्व उसे स्वीकार नहीं है, इसके लिए वह युद्ध का भी सहारा ले सकता है। ताइवान का स्वतंत्र अस्तित्व बचाना जरूरी है। 

खासकर भारत के सामने चीनी युद्धोन्माद की भयंकर चुनौतियां खड़ी हैं। भारत वियतनाम में कई तेल कुंओं के उत्खनन कार्य सहित अन्य विकास योजनाओं में भी भागीदार है। वियतनाम में भारत की भागीदारी को लेकर चीन बार-बार आंखें तरेरता है, डराता-धमकाता है। डोकलाम विवाद जगजाहिर है लेकिन वहां चीन को जैसे को तैसे के रूप में जवाब मिला था। फिर भी भारत को सीमा पर अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करनी ही होगी। अफ्रीकी उपमहाद्वीप में तानाशाही और अंधेरगर्दी पसारने में चीन की बड़ी खतरनाक भूमिका रही है। चीन के युद्धोन्माद को जमींदोज करने का सही तरीका व्यापार संतुलन सुनिश्चित करना है। चीन के साथ पड़ोसी देशों का व्यापार संतुलन सुनिश्चित होगा, तब चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। ऐसी स्थिति में चीन का युद्धोन्माद खुद ही जमींदोज हो जाएगा।-विष्णु गुप्त
    

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!