Edited By ,Updated: 30 Apr, 2017 11:02 PM
दुनिया के सबसे विकसित देश संयुक्त राज्य अमरीका में आजकल एक अजब....
दुनिया के सबसे विकसित देश संयुक्त राज्य अमरीका में आजकल एक अजब-गजब मुद्दे पर चर्चा हो रही है। इसके बारे में किताबों में लिखा जा रहा है और इस पर गोष्ठियां हो रही हैं जिनके बारे में यूट्यूब पर जानकारी हासिल कर सकते हैं लेकिन कार्रवाई कोई नहीं हो रही, हालांकि उम्मीद यह है कि जल्दी ही कोई कदम उठाया जाएगा।
मुद्दा यह है कि कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टीफिशियल इंटैलीजैंसी) मनुष्य से भी अधिक कारगर हो रही है। हम भारतीयों को यह कोई ऐसा मामला नहीं लगता जिस पर अधिक चिंतन-मनन करने की जरूरत हो। कम्प्यूटर हमारे लिए ऐसे उपकरण हैं जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं। लैपटॉप और मोबाइल फोन भी हमारे लिए किसी नौकर अथवा उपकरण से बढ़कर नहीं। यह हमारा स्वामी नहीं है।
लेकिन अमरीका में टैक्नोलॉजी पर काम कर रहे कुछ सबसे तेज दिमाग लोग हर समय यही सोचते और चर्चा करते हैं कि तब क्या होगा जब कृत्रिम बुद्धिमता यानी कम्प्यूटर प्रोग्राम मनुष्य की सोचने की काबिलियत से भी आगे निकल जाएगी। वे दो कारणों से इस मुद्दे पर चिंतन कर रहे हैं। पहला तो यह है कि कृत्रिम बुद्धिमता के अर्थों को लेकर सहमति बनी हुई है। जिस तरीके से इंसानी दिमाग काम करता है उसमें कुछ भी चमत्कारिक या जादूनुमा नहीं है। चिंतन प्रक्रिया को वैज्ञानिक और जैव वैज्ञानिक शब्दों में बिल्कुल सही-सही बयान किया जा सकता है। जानकारी उपलब्ध होना और इसकी उपादेयता एवं इसे प्रयुक्त करने का तरीका ज्ञात होना ही बुद्धिमता है। गत 20 वर्षों दौरान- खास तौर पर पिछले 3 वर्षों दौरान- कम्प्यूटर बुद्धिमता के मामले में बहुत अधिक विकास कर गए हैं।
इसका सबसे आधारभूत उदाहरण यह है कि अमरीका में आज बिना ड्राइवर के चलने वाली कारें उपलब्ध हैं और यह भविष्यवाणी की जा रही है कि सम्पूर्ण रूपेण स्वतंत्र कार का सृजन अब 2 वर्ष से दूर नहीं रह गया है। इसका तात्पर्य यह होगा कि आप कार के अंदर बैठ और सो जाएं या अखबार पढ़ते रहें, कार स्वयं आपको आपकी मंजिल तक ले जाएगी। यह एक ऐसी कार होगी जो इंजन स्टार्ट करने, गीयर बदलने, जरूरत पडऩे पर ब्रेक लगाने, अवश्यकता अनुसार गति बढ़ाने या घटाने जैसे सभी काम स्वमं करेगी।
इनके अलावा यह वे काम भी करेगी जो हम मनुष्य नहीं कर सकते। यानी यह सामने, पीछे से अथवा दाएं-बाएं से सभी तरह के खतरों को भांप सकती है। यह खतरों को उस स्तर पर भी भांप सकती है जिस पर मानवीय क्षमता नहीं पहुंच सकती। तेल की बेहतरीन खपत के लिए यह ‘ऑप्टीमम स्पीड’ तय कर सकती है। यह अनेक कारों के नैटवर्क से जुड़ी होगी और सैंकड़ों किलोमीटर तक सड़क की परिस्थितियों के बारे में जान सकती है। यह सभी बातें अभी केवल आधारभूत उदाहरण ही हैं कि कम्प्यूटर बुद्धिमता क्या कुछ कर सकती है।
कृत्रिम बुद्धिमता में लगातार सुधार होता रहेगा और होगा भी बहुत गति से। क्यों? क्योंकि हम मनुष्यों को अनेक समस्याएं दरपेश हैं जिन्हें हम टैक्नोलॉजी की सहायता से हल करना चाहते हैं- बीमारियों का इलाज ढूंढने से लेकर कारोबारी प्रणालियां विकसित करने तक। आधुनिक जगत में होने वाले हर काम के लिए अब कम्प्यूटर की बुद्धिमता प्रयुक्त होती है और भविष्य में भी ऐसा ही होगा।
दूसरा आयाम जो लोगों ने स्वीकार्य करना शुरू कर दिया है वह यह है कि इंसान स्वयं बुद्धिमता के इस विस्फोटक विकास के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पाएगा। क्यों? क्योंकि हमारे मस्तिष्क का आकार प्राकृतिक रूप में तय है और इसमें सैरीब्रल कोर्टैक्स एवं आनुषंगिक सामग्री केवल निश्चित मात्रा में ही मौजूद हो सकती है और यही चीज हमें सोचने और याद रखने की काबिलियत प्रदान करती है। कम्प्यूटर की बुद्धिमता पर ऐसी कोई सीमाएं लागू नहीं होतीं। किसी बड़े भवन के आकार का कम्प्यूटर बनाना भी असंभव नहीं।
सवाल तो यह है कि कोई व्यक्ति इतना विशालकाय और शक्तिशाली उपकरण क्यों बनाना चाहेगा जबकि यह स्पष्ट है कि ऐसे खतरे खड़े हो सकते हैं जिनका हमें पूर्वाभास नहीं। इसका उत्तर यह है कि दुनिया भर की कम्पनियां और सेनाएं तकनीकी प्रगति के माध्यम से ही एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं। इसी कारण यह दौड़ चल रही है जोकि कुछ समय पूर्व ही शुरू हुई थी और बिना रुके जारी रहेगी। बड़ी-बड़ी कम्पनियां और सेनाएं एक-दूसरे से शक्तिशाली और अधिक बुद्धिमान कम्प्यूटर तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम बनाने जारी रखेंगी। इस बुद्धिमता को ऐसी स्वायत्तता प्रदान करनी पड़ेगी जिसके साथ कदम मिलाकर चलना इंसान के बूते की बात नहीं होगा। 20 वर्ष पूर्व एक कम्प्यूटर ने दुनिया के नम्बर 1 शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्पारोव को हरा दिया था। तब से अब तक दो दशकों दौरान कम्प्यूटर अनगिनत गुणा ‘स्मार्ट’ यानी तेज-तर्रार और बुद्धिमान बन चुके हैं।
यह आकलन लगाया गया है कि अगले 25-30 वर्षों में हमारे कम्प्यूटरों में इतनी बुद्धिमता होगी जो हर लिहाज से इंसान को पीछे छोड़ जाएगी। उस बिन्दू पर कम्प्यूटर बुद्धिमता खुद को इंसान की तुलना में कई गुणा अधिक तेजी से सुधार सकेगी। समय पाकर सुधार की यह गति भी विस्फोटक हो जाएगी। कम्प्यूटर हमारी तुलना में जानकारी का बहुत अधिक तेजी से प्रसंस्करण करता है और ऊपर से उसके आकार और जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं पर वे शर्तें लागू नहीं होतीं जो प्रकृति ने इंसान के लिए तय कर रखी हैं।
फिलहाल हमें इस बात की कोई परिकल्पना नहीं कि सुपरइंटैलीजैंस की यह प्रगति कौन-कौन से आयाम धारण करेगी और इसके बाद क्या होगा? ऐसी अटकलें लगाई गई हैं कि कृत्रिम बुद्धिमता दुर्भावनापूर्ण नहीं होगी यानी कि जानबूझ कर दूसरों को नुक्सान नहीं पहुंचाएगी। लेकिन फिर भी यह हमें कीड़ों-मकौड़ों से बढ़कर कुछ भी नहीं समझेगी। खुद को हर लिहाज से परिपूर्ण करने की प्रक्रिया में यह हमारी अनदेखी करेगी। और यही मुद्दा है जिस पर अमरीका में लोग माथा-पच्ची कर रहे हैं और यह एक ऐसा विषय है जिसकी हम भी अधिक समय तक अनदेखी नहीं कर पाएंगे।