उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ‘ट्रम्प कार्ड’

Edited By ,Updated: 06 Jan, 2020 04:31 AM

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को मेरठ और मुजफ्फरनगर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने नए नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पुलिस की कथित बर्बरता का शिकार हुए लोगों की सहायता करने...

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को मेरठ और मुजफ्फरनगर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने नए नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पुलिस की कथित बर्बरता का शिकार हुए लोगों की सहायता करने के लिए स्थानीय पार्टी नेताओं को हिदायत दी। उन्होंने  20 दिसम्बर को प्रदर्शन के दौरान मारे गए 5 लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। इससे पहले प्रियंका ने एक प्रदर्शनकारी के परिवार से मुलाकात के लिए बिजनौर का दौरा किया था। राहुल की अनुपस्थिति में प्रियंका गांधी  नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों के दौरान आगे रही हैं और उन्होंने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में  प्रदर्शनों के दौरान धरनों में भी भाग लिया। 

कांग्रेस सी.ए.ए. तथा प्रस्तावित अखिल भारतीय राष्ट्रीय रजिस्टर के इस्तेमाल के खिलाफ भाजपा सरकार के खिलाफ भावनाओं का राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव होने के नाते प्रियंका गांधी ने इस राज्य पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है और वह प्रदेश से जुड़े मुद्दे उठाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हो रही हैं। वह प्रदेश में कानून व्यवस्था तथा दुष्कर्म के कथित तौर पर बढ़ते मामलों को लेकर भी सरकार को कटघरे में  खड़ा कर रही हैं। कांग्रेस को लगता है कि उसके पास योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए यह एक अच्छा अवसर है। 

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान लगभग समाप्त हो चुकी कांग्रेस यहां अपनी उपस्थिति महसूस करवाने के लिए संघर्ष कर रही है। 80 के दशक के अंत में आए मंडल-मंदिर मुद्दों से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व था। बाद के समय में वह हाशिए पर पहुंच गई। प्रियंका गांधी ने जिला और शहरी इकाइयों का पुनर्गठन कर उन्हें सक्रिय करने की कोशिश की है। प्रदेश में नए अध्यक्ष अजय कुमार की नियुक्ति का भी पार्टी में भरपूर स्वागत किया गया। पार्टी ने यू.पी. में अपने ट्रम्प कार्ड का इस्तेमाल किया है और अब  इसका कितना लाभ मिलता है तथा  वह कांग्रेस से छिटक चुके समर्थकों को अपने साथ जोडऩे में कहां तक सफल हो पाती हैं? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह पार्टी कार्यकत्र्ताओं और जनता का कितना विश्वास जीत पाती हैं। 

भाजपा और जद (यू) में मतभेद
बिहार में भाजपा और जद (यू) के बीच मतभेद अब स्पष्ट तौर पर उभर कर सामने आ गए हैं। इस बात से सभी हैरान हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जानकारी के बिना पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर तंज कैसे कस सकते हैं। शुरू में प्रशांत किशोर और पवन वर्मा ने सी.ए.ए. को उनकी पार्टी की ओर से समर्थन से इन्कार किया था और उसके शीघ्र बाद एक टीवी इंटरव्यू के दौरान प्रशांत ने चेतावनी दी थी कि जद (यू) लोकसभा चुनावों की तर्ज पर विधानसभा चुनावों में भाजपा को बराबर सीटें नहीं देगी। 

लोकसभा चुनावों के दौरान दोनों पार्टियों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों का भी उदाहरण दिया जिसमें जद (यू) ने 139 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि भाजपा ने 102 सीटों पर तथा यह भी दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार गठबंधन का चेहरा होंगे। हालांकि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमारी मोदी ने तुरन्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के नाम पर लड़े जाएंगे तथा उन्होंने प्रशांत किशोर को चेतावनी दी कि चुनावी सर्वे से जुड़े लोगों को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए। प्रशांत किशोर ने भी इस टिप्पणी पर तुरन्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ‘‘परिस्थितियों के उपमुख्यमंत्री’’  हैं और वह 2015 के बिहार चुनावों में उनकी पार्टी की हार के बावजूद इस पद पर हैं। पटना के राजनीतिक पंडितों के अनुसार सी.ए.ए. के खिलाफ बिहार के लोगों के गुस्से को देखते हुए नीतीश कुमार ने सभी विकल्प खुले रखे हैं और वह चुनाव के समय उचित फैसला लेंगे। नीतीश ने यह भी कहा है कि बिहार में एन.आर.सी. लागू नहीं किया जाएगा और यह कि उनके लालू के बेटे तेजस्वी यादव तथा कांग्रेस के साथ अच्छे संबंध हैं। 

महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस नेताओं के विद्रोही स्वर
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार न केवल मुख्यमंत्री के लिए बल्कि कांग्रेस और राकांपा नेताओं के लिए भी सिरदर्द साबित हो रहा है। तीन दलों की सरकार चलाना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। पृथ्वीराज चव्हाण को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरूप उनके समर्थकों ने पुणे में कांग्रेस भवन में तोडफ़ोड़ की। राजनीतिक विश्षलेकों के अनुसार शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण के बीच मतभेदों के कारण पृथ्वीराज को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई और अशोक चव्हाण को कैबिनेट में शामिल कर लिया गया। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के नेताओं को दिल्ली बुलाया और उन्हें इंतजार करने और एकजुट रहने को कहा। इसी प्रकार उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे को कैबिनेट में शामिल कर लिया लेकिन राज्यसभा सदस्य संजय राऊत के भाई सुनील राऊत को शामिल नहीं किया। इस बारे में संजय राऊत ने हाईकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की है। राकांपा में बीड़ से विधायक प्रकाश सोलंकी ने  मंत्री न बनाए जाने पर इस्तीफे की पेशकश की है लेकिन धनंजय मुंडे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने फिलहाल प्रकाश सोलंकी को मना लिया है। शिवसेना सांसद गावली ने मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान शामिल किए गए विधायकों के चयन पर अप्रसन्नता जाहिर की है। इसी प्रकार कांग्रेस नेताओं ने भी असलम शेख और विश्वजीत कदम को भी शामिल किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। इसके अलावा देवेन्द्र फड़णवीस के साथ डिप्टी सी.एम. के पद की शपथ लेने वाले अजीत पवार को फिर डिप्टी सी.एम. बनाए जाने से सरकार हंसी का पात्र बनी है। 

अनिल विज से मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नाराजगी
हरियाणा में सरकार के बीच मतभेदों का असर सरकार के कामकाज पर पड़ रहा है। यह केवल भाजपा और जजपा के नेताओं के बीच मतभेद की बात नहीं है बल्कि भाजपा के अपने नेताओं के बीच भी मतभेद चल रहे हैं। हरियाणा में पिछली भाजपा सरकार के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गृह मंत्रालय अपने पास रखा था लेकिन इस बार यह विभाग वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल विज को दिया गया है। अनिल विज की कार्य प्रणाली से मनोहर लाल खट्टर इतने नाराज हैं कि अब वह इस मामले को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं जहां उन्होंने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को अनिल विज की कार्य प्रणाली और पार्टी में जारी अंतर्कलह से अवगत करवाया है। वह पार्टी के संगठन सचिव बी.एल. संतोष से भी मिले हैं। इस बीच अनिल विज का आरोप है कि खट्टर उनके विभाग में हस्तक्षेप कर रहे हैं तथा उनकी जानकारी और सहमति के बिना सी.एम. ने कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। उनका यह भी आरोप है कि उनके आग्रह के बावजूद उनकी मर्जी का गृह सचिव नियुक्त नहीं किया गया। भाजपा सूत्रों का कहना है कि जे.पी. नड्डा ने खट्टर को आश्वस्त किया है कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को देखेंगे।-राहिल नोरा चोपड़ा
                   

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