‘आप’ की तरफ कांग्रेस आक्रामक रुख अपनाए

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2020 04:53 AM

congress adopts aggressive attitude towards aap

पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव अजय माकन कांग्रेस के युवा राजनीतिज्ञों में एक विशेष स्थान रखते हैं। दिल्ली से संबंधित 56 वर्षीय माकन ने राज्य, केन्द्र सरकार तथा कांग्रेस संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी...

पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव अजय माकन कांग्रेस के युवा राजनीतिज्ञों में एक विशेष स्थान रखते हैं। दिल्ली से संबंधित 56 वर्षीय माकन ने राज्य, केन्द्र सरकार तथा कांग्रेस संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। छात्र राजनीति से अपना करियर शुरू कर माकन दिल्ली विधानसभा के स्पीकर तथा शीला दीक्षित सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 3 बार के एम.एल.ए. तथा 2 बार के सांसद माकन ने मनमोहन सिंह सरकार में कई पद सम्भाले। कांग्रेस में दरार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने अजय माकन को दिल्ली की राजनीति में फिर से वापस भेज दिया तथा उन्हें स्टेट यूनिट का अध्यक्ष बना दिया। इस पद को उन्होंने 2019 में त्याग दिया। शरबनी बनर्जी को दिए गए साक्षात्कार के दौरान माकन ने हाल ही में हुए दिल्ली चुनावों तथा कांग्रेस की मौजूदा हालत के बारे में खुलकर बात की। 

भाजपा में विकास मुद्दों पर बात करने की क्षमता ही नही
उन्होंने कहा कि इन चुनावों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कार्य करने के लिए खुला हाथ मिला। भाजपा में विकास मुद्दों पर बात करने की क्षमता ही नहीं, न ही उसमें केजरीवाल पर बात करने की हिम्मत है। भाजपा उस समय भी असफल थी जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। भाजपा सही मुद्दे नहीं उठा पाई। कांग्रेस जिसके पास मुद्दों को लेने की क्षमता है उसे केजरीवाल सरकार के प्रति आक्रामक रुख अपनाना चाहिए। 

2015 के बाद कांग्रेस ने अपनी स्थिति सुधारी। यदि आप वोट शेयर की तरफ ध्यान दें तब आपको पता चलेगा कि 2013 के बाद पहले 2 चुनावों में वोट शेयर का प्रतिशत  गिरा। मगर 2015 से वोट शेयर का प्रतिशत बढ़ा क्योंकि कांग्रेस पार्टी केजरीवाल सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए थी। पार्टी ने ‘आप’ के खिलाफ कई मुद्दे उठाए, जैसा कि मोहल्ला क्लीनिक पर श्वेत पत्र आदि। इसके अलावा पार्टी ने केजरीवाल के विधायकों के संसदीय सचिव का मुद्दा भी उठाया। 

जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस ने दिल्ली चुनावों को लडऩे में अपनी पूरी क्षमता नहीं झोंकी तब उन्होंने कहा कि मैं इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं। वास्तव में पहली बार विभिन्न राज्यों के 4 मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली में चुनावी मुहिम में भाग लिया। इसके अतिरिक्त राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने 4 जनसभाओं को सम्बोधित किया मगर जैसा कि मैंने पहले कहा कि कांग्रेस ‘आप’ के खिलाफ आक्रामक नहीं थी। 2013 तक लगातार 15 वर्ष कांग्रेस ने राज किया, वह एकदम से कैसे धराशायी हो गई इस पर अजय माकन ने कहा कि अब त्रिकोणीय मुकाबला है। पहले यह दोतरफा था। जब लोग एक पार्टी से नाखुश होते थे तब वे विकल्प के तौर पर दूसरी पार्टी को वोट देते थे। अब यह लड़ाई 2 पार्टियों की नहीं। अब हमें प्रत्येक वोट के लिए लडऩा होगा। इसी कारण कांग्रेस ने भाजपा विरोधी वोटों के लिए लड़ाई लड़ी। 

उन्होंने कहा कि पार्टी में अब युवा नेता सामने आ रहे हैं तथा हम और युवाओं को पार्टी में आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि ट्विटर पर मिलिंद देवड़ा, पी.सी. चाको, पी. चिदम्बरम तथा शर्मिष्ठा मुखर्जी के बीच शब्दों की जंग हुई तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली के बाहर के लोगों से सवाल नहीं करूंगा। वे दिल्ली की राजनीति पर कुछ न कहें। उन्होंने कहा कि मैं अपने सभी सहयोगियों से कहना चाहूंगा कि भारत में ऐसी कोई पार्टी नहीं जो केन्द्र को चुनौती दे सके। हमें अपनी जड़ें तलाशनी होंगी। 

भाजपा की हार से खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि यह हमारी भी हार है
माकन ने कहा कि भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही ‘आप’ के झूठे दावों से निपटने में नाकाम रहीं। भाजपा के खिलाफ काफी आक्रोश है। लोग बेरोजगारी, आॢथक मंदी इत्यादि से त्रस्त हैं। हमें भाजपा की हार से खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि यह हमारी भी हार है। भाजपा की हार से न हम खुश हैं, न ही संतुष्ट। ये कांग्रेस की वोटें थीं जो ‘आप’ में चली गर्ईं। लोगों ने सोचा कि ‘आप’ शायद भाजपा से बेहतर है मगर यह हमारे लिए खुशी या संतुष्टि का मामला नहीं होना चाहिए। 

लोकसभा में मैं गठबंधन के हक में हूं 
मैंने दिल्ली विधानसभा तथा म्यूनिसिपल चुनावों में गठबंधन का हमेशा विरोध किया है। लोकसभा में मैं गठबंधन के हक में हूं क्योंकि यह पुलवामा के बाद हुआ। फिर मैंने सोचा कि चुनावों का ध्रुवीकरण हो गया है और हमें वोटों को बंटने नहीं देना चाहिए। यदि लोकसभा चुनावों में गठबंधन हुआ होता तो भाजपा सातों की सातों सीटें दिल्ली में जीत न पाती। हम सब जानते हैं कि पार्टी के लिए यह बदलाव का क्षण है। कोई ऐसा समय भी था जब भाजपा केजरीवाल के खिलाफ हमसे ज्यादा आक्रामक थी इसलिए अब समय है कि कांग्रेस पार्टी ‘आप’ के खिलाफ और आक्रामक हो जाए।-शरबनी बनर्जी 

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