कांग्रेस का डूबता ‘जहाज’

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2020 03:18 AM

congress sinking ship

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात का उल्लेख किया कि उन्हें पिछले एक वर्ष से इस बात की जानकारी थी कि उन्हें पार्टी के बाहर धकेला जा रहा है। इसके बावजूद भी सोनिया ने कोई ङ्क्षचता नहीं जताई। मध्य...

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात का उल्लेख किया कि उन्हें पिछले एक वर्ष से इस बात की जानकारी थी कि उन्हें पार्टी के बाहर धकेला जा रहा है। इसके बावजूद भी सोनिया ने कोई ङ्क्षचता नहीं जताई। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ तथा कांग्रेसी दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के कद को छोटा कर दिया। उन्हें हर कदम पर शर्मसार किया। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से लेकर राज्यसभा के लिए नामांकित न करने पर नाथ तथा सिंह ने जोकि आपस में इतने निकट नहीं, सिंधिया को शून्य करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि जब सिंधिया से यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ तब उन्होंने वह कर दिया जो एक व्यक्ति आत्म सम्मान पाने के लिए करता है। उन्होंने विद्रोह किया और कांग्रेस से किनारा कर लिया। अब कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह अपने हिसाब से कार्य कर सकते हैं मगर मध्य प्रदेश सरकार के बचने की उम्मीदें भी कम ही लगती हैं। 

कांग्रेस गांधी परिवार की पकड़ में
कांग्रेस के लिए एक झटका लगने के बाद पार्टी में किसी भी नेता पर सवाल करने की हिम्मत नहीं क्योंकि पार्टी गांधियों की पूरी पकड़ में है। सब कुछ गांधी परिवार की उंगली के इर्द-गिर्द घूमता है। यहां पर एक गांधी नहीं बल्कि पार्टी के पास तीन गांधी हैं। जब से राहुल गांधी ने लोकसभा में हार के बाद अपना इस्तीफा दिया है तब से 73 वर्षीय सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं। बतौर पार्टी प्रमुख लौटने की बात को राहुल ने न तो पक्का किया और न ही नकारा। यह किसी भी तर्कसंगत व्यक्ति की समझ से बाहर है कि राहुल क्यों नहीं सीधे-सीधे हां या फिर न में इसका जवाब देते। ऐसी बातें अफवाहों को जन्म देती हैं कि सोनिया गांधी परिवार से बाहर कांग्रेस की विरासत को किसी बाहरी व्यक्ति के हाथ में सौंपना नहीं चाहतीं। 

राहुल से ज्यादा राजनीतिक सामान्य बुद्धि वाली हैं प्रियंका
एक अन्य कयास का केन्द्र प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। यदि ऐसा मान लिया जाए कि वह अपने भाई राहुल से ज्यादा राजनीतिक सामान्य बुद्धि वाली हैं तब वह ऐसे कयासों पर क्यों नहीं विराम लगातीं कि वह कांग्रेस पार्टी पर अपना नियंत्रण करने वाली हैं और यदि बहन-भाई दोनों में से कोई भी तैयार नहीं और मां सोनिया का स्वास्थ्य अच्छा नहीं तब यह उचित होगा कि वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों को नए अध्यक्ष को चुनने की अनुमति दे दें, जोकि पार्टी संविधान के अनुसार हो। ऐसी वर्तमान स्थिति केवल पार्टी के उन भरोसेमंद नेताओं की नीति को उजागर करेगी जो इसके साथ अभी भी जुड़े हैं। इसमें कोई आशंका की गुंजाइश नहीं कि कांग्रेस को अपनी अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी है। कांग्रेस ऐसा केन्द्र बिन्दू बन सकती है जिसके इर्द-गिर्द सत्ताधारी राजग के खिलाफ अखिल भारतीय गठजोड़ घूम सकता है। कोई अन्य क्षेत्रीय पार्टी ऐसी भूमिका अदा नहीं कर सकती। वर्तमान सत्ताधारी व्यवस्था का विकल्प देने के प्रस्ताव को लेकर गांधी परिवार असफल रहा है। कांग्रेस ने राष्ट्र को क्षति पहुंचाई है। 

क्या आप मान सकते हैं कि ममता बनर्जी, शरद पवार, जगन मोहन रैड्डी इत्यादि को पार्टी में वह स्थान तथा आगे बढऩे की स्वतंत्रता दी जाती यदि वह कांग्रेस में अभी भी होते। पार्टी को छोड़ कर उन्होंने अपने प्रभाव को बढ़ाया है। एक अच्छा नेता अपनी योग्यता को सिद्ध करता, बजाय इससे पीछे हटने के। लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी को पार्टी का चेहरा बनाया जा रहा है जबकि उनसे कई कद्दावर नेता मौजूद हैं। इससे पता चलता है कि गांधी परिवार अपने आपको कितना असुरक्षित महसूस करता है। यदि गांधी परिवार दीवार पर लिखे को देखना नहीं चाहता तो ऐसे लोगों को शीशा दिखाना चाहिए, जो राज्यसभा में कांग्रेस के पहले बैंचों पर विराजमान हैं। वह भी गांधी परिवार के साथ डूबने की कामना रखते हैं। एक संगठित चुनाव की आवाज उठानी होगी, नहीं तो सिंधिया जैसे कई और कांग्रेस के इस डूबते जहाज में से बाहर आ जाएंगे। 

दिग्गी राजा असली खलनायक
सिंधिया को कांग्रेस से बाहर करने वाले दिग्विजय सिंह ही असली खलनायक हैं। उन्होंने ही उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा और उन्हें शून्य कर दिया। हालांकि कई मुद्दों पर नाथ तथा सिंह एक-दूसरे को आंख नहीं भाते मगर सिंधिया को बाहर करने के लिए दोनों इक_े हुए। सिंधिया इस कदर शर्मसार हुए कि उनको यह भी यकीन नहीं था कि उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया जाएगा। दिग्विजय सिंह ने अगले टर्म के लिए राज्यसभा हेतु अपना पुन: नामांकन यकीनी कर रखा था मगर दूसरी सीट प्रियंका गांधी के लिए रखी गई ताकि सिंधिया का दावा नकार दिया जाए। दूसरी सीट भी अब भाजपा को मिल सकती है।-सीधी बातें

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