‘कांग्रेस तो यही सोचती है कि संघ ही भाजपा है’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2018 04:17 AM

congress thinks that sangh is bjp

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के पूर्व प्रवक्ता तथा वरिष्ठ वैचारिक एम.जी. वैद्य ने नागपुर में संघ तृतीय वर्ष के समापन समारोह के मौके पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति व राहुल गांधी द्वारा की गई संघ की आलोचना एवं एकजुट विपक्ष के...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के पूर्व प्रवक्ता तथा वरिष्ठ वैचारिक एम.जी. वैद्य ने नागपुर में संघ तृतीय वर्ष के समापन समारोह के मौके पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति व राहुल गांधी द्वारा की गई संघ की आलोचना एवं एकजुट विपक्ष के सामने उपचुनावों में भाजपा को पहुंचे नुक्सान के विषय में लम्बी-चौड़ी बातें कीं। ये साक्षात्कार प्रणव दा की नागपुर यात्रा से पहले किया गया था। 

प्रणव की प्रस्तावित यात्रा ने अनेक राजनीतिक अटकलों को जन्म दिया था और कुछ कांग्रेसी नेताओं ने अपील की थी कि इस समारोह में वह हिस्सा न लें। इस संबंध में टिप्पणी करते हुए श्री वैद्य ने कहा कि कांग्रेस को यह पता ही नहीं कि आर.एस.एस. क्या है। वह तो यही सोचती है कि संघ ही भाजपा है। जहां तक कांग्रेस द्वारा भाजपा की आलोचना का संबंध है, यह बात समझ में आती है लेकिन आर.एस.एस. तो भाजपा नहीं। आर.एस.एस. तो समूचे समाज का संगठन है न कि समाज के अंदर एक संगठन। समाज में अनेक धाराएं होती हैं और संघ की अनेक धाराओं तक पहुंच है। संघ भाजपा को केवल परामर्श देता है। वह भी तब जब इससे राय मांगी जाती है। अपने तौर पर यह भाजपा के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता। 

उन्होंने बताया कि 1934 में गांधी जी वर्धा में चल रहे संघ शिविर में गए थे। 1965 में शास्त्री जी ने भारत-पाक युद्ध के दौरान आर.एस.एस. के सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर सहित बहुत से लोगों के साथ परामर्श किया था। इससे पहले 1963 में जवाहर लाल नेहरू ने संघ को गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया था और 3 हजार स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में सजकर अपनी छटा बिखेरी थी। एम.जी. वैद्य ने आगे बताया कि संघ के लिए कोई भी अछूत नहीं है और कांग्रेस केवल अपनी संकीर्ण मानसिकता की ही अभिव्यक्ति कर रही है। उन्हें तो कहना चाहिए था कि संघ के मंच से मुखर्जी कांग्रेस पार्टी के या अपने व्यक्तिगत विचारों की अभिव्यक्ति करेंगे लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस को प्रणव मुखर्जी पर भरोसा नहीं है। जब वैद्य से यह पूछा गया कि आतंकियों के साथ संघ के कथित संबंधों को लेकर मुखर्जी ने 2010 में कांग्रेस के चिंतन शिविर में प्रस्ताव प्रस्तुत किया था तो इसके उत्तर में वैद्य ने कहा : ‘‘आप 2010 की बात कर रहे हैं लेकिन अब 2018 चल रहा है। इस 8 साल की अवधि में बहुत कुछ बदल चुका है।’’ 

जब श्री वैद्य से यह पूछा गया कि अभी हाल ही तक संघ को बहुत संकीर्ण दृष्टि से देखा जाता था, क्या आप यह सोचते हैं कि प्रणव मुखर्जी या उन जैसे अन्य लोग जब संघ के मंच पर आते हैं तो इससे संघ को सहायता मिलती है? तो इसके उत्तर में उन्होंने कहा : ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि इससे सहायता मिलती है या नहीं लेकिन एक बात तय है कि इससे संघ को कोई नुक्सान नहीं होगा। इससे संघ का समावेशी दृष्टिकोण आम जनता के सामने आता है।’’ इससे आगे श्री वैद्य से पूछा गया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता संघ मुख्यालय आते रहते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते समय मोदी भी वहां जाया करते थे, ऐसे में क्या आप कह सकते हैं कि संघ राजनीतिक संगठन नहीं है? इस प्रश्र के उत्तर में उन्होंने मात्र यह कहा कि ये सभी लोग किसी न किसी तरह का परामर्श लेने के लिए आते हैं। 

राहुल गांधी द्वारा संघ पर खुले रूप में निशाना साधने और यह आरोप लगाने कि संघ संस्थानों में घुसपैठ कर रहा है, पर टिप्पणी करते हुए वैद्य ने कहा कि राहुल ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि वह इस भ्रम में हैं कि संघ और भाजपा एक ही चीज हैं और भाजपा के पीछे संघ ही असली शक्ति है। हम लोगों को वोट डालने के लिए नहीं कहते। आर.एस.एस. को समझना कोई आसान नहीं। यह सर्वव्यापी संगठन है। उपचुनावों में विपक्ष के एकजुट होने के कारण कांटे की टक्कर में भाजपा की पराजय के विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वैद्य ने कहा : ‘‘यदि सम्पूर्ण विपक्ष एकजुट हो जाता है तो अगले वर्ष का चुनाव भाजपा के लिए बहुत कठिन हो जाएगा लेकिन फिर भी आप निश्चय से चुनाव के बारे में कुछ नहीं कह सकते। अंतिम फैसला साधारण मतदाताओं के हाथ में है। विपक्ष का लक्ष्य नकारात्मक है। यह किसी भी कीमत पर भाजपा को सत्तासीन होने से रोकना चाहता है लेकिन चुनाव एक वर्ष दूर रह गए हैं।’’-पावन दाहत

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