कांग्रेस कार्य समिति : अगला कांग्रेस ‘अध्यक्ष’ कौन

Edited By ,Updated: 24 Aug, 2020 02:30 AM

congress working committee who is the next congress president

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में नेतृत्व मुद्दे को लेकर भारी बहस हो सकती है। कांग्रेस के लिए उच्च निर्णय लेने वाली इकाई सोमवार को 11 बजे वीडियो कांफ्रैंस के माध्यम से बैठक आयोजित करेगी। नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में अनिश्चितता का दौर चल रहा है और इस...

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में नेतृत्व मुद्दे को लेकर भारी बहस हो सकती है। कांग्रेस के लिए उच्च निर्णय लेने वाली इकाई सोमवार को 11 बजे वीडियो कांफ्रैंस के माध्यम से बैठक आयोजित करेगी। नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में अनिश्चितता का दौर चल रहा है और इस पर बहस जारी है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखित एक पत्र कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में मुख्य केंद्र बिंदू हो सकता है। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर पत्र में कई सवाल उठाए गए हैं। 

पिछले वर्ष राहुल गांधी के पद छोडऩे के बाद उनकी मां सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक वर्ष पूर्ण करने जा रही हैं। इस पत्र पर गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, आनंद शर्मा, भूपिन्द्र सिंह हुड्डा, वीरप्पा मोइली, राज बब्बर, मिलिंद देवड़ा, संदीप दीक्षित, रेणुका चौधरी तथा मनीष तिवारी जैसे नेताओं के हस्ताक्षर हैं। पत्र में नेताओं ने एक पूर्ण अध्यक्ष की वकालत की है तथा यह तर्क दिया है कि नेतृत्व के मामले में अनिश्चितता को लेकर कांग्रेसी कार्यकत्र्ता परेशान हैं तथा कांग्रेस पार्टी कमजोर पड़ गई है। 

उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि पार्टी को एक फुल टाइम तथा क्रियाशील नेतृत्व की जरूरत है जो जमीनी स्तर पर भी दिखाई देता है। पत्र में आगे कहा गया है कि लोकसभा चुनावों में हार के बावजूद कोई भी ईमानदारी से आत्म निरीक्षण नहीं किया गया। नेताओं का मानना है कि सी.पी.पी. की बैठकें तथा उनकी कार्यप्रणाली कांग्रेस अध्यक्ष के संबोधन तथा शोक संदेश को लेकर मात्र औपचारिकता बन कर रह गई है। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में 24 अकबर रोड, जहां पर पार्टी मुख्यालय है, की लीज का मुद्दा भी शामिल होगा। 

प्रियंका बोलीं-गैर गांधी पार्टी का नेतृत्व करे
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि पार्टी का नेतृत्व गैर-गांधी को करना चाहिए। अध्यक्ष पद को छोड़ने के बाद राहुल गांधी ने मांग की थी कि हम में से किसी को भी पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए तथा प्रियंका इस बात से राहुल के साथ सहमत हैं। प्रियंका ने कहा,‘‘मेरा मानना है कि पार्टी को खुद अपना रास्ता खोजना चाहिए।’’ भाजपा के खिलाफ पार्टी के हारने के बाद के सवाल को लेकर प्रियंका ने कहा कि नए मीडिया को समझने के लिए कांग्रेस पार्टी धीमी थी।  प्रियंका ने यह भी कहा कि वह गैर-गांधी ‘बॉस’ के निर्देशों को मानेंगी। 

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों पर फोकस
यू.पी. पुलिस द्वारा गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाऊंटर के बाद राजनीतिक पार्टियां उसकी जाति के मामले का इस्तेमाल करने की कोशिश में हैं। मायावती के बाद अब कांग्रेस भी अपनी वोट राजनीति में ब्राह्मण कार्ड का इस्तेमाल करने की कोशिश में है। कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण विधायकों को निवेदन किया है कि वे खुले तौर पर सामने आएं यदि किसी ब्राह्मण को सरकार द्वारा किसी नारे के साथ दंड दिया जाता है। यू.पी. में ‘भाजपा में तीन हैं परेशान, दलित, ब्राह्मण और मुसलमान’ का नारा दिया गया था। हालांकि यू.पी. में ब्राह्मण वोट का कोई निश्चित आंकड़ा उपलब्ध नहीं है मगर राजनीतिक तौर पर यह माना जाता है कि यहां पर 12 से लेकर 15 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं जोकि पूर्व में कांग्रेस का वोट बैंक थे। 

राम मंदिर आंदोलन के बाद ब्राह्मणों ने भाजपा का समर्थन किया था तथा 2007 में मायावती ने ज्यादा टिकट ब्राह्मणों को बांटे थे जिसके नतीजे में बसपा ने ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है’ के नाम पर जीत हासिल की थी। 2007 के बाद बसपा का नारा ‘दलित ब्राह्मण भाई-भाई’ था मगर जल्द ही ब्राह्मण फिर से भाजपा की ओर लौट गए जबकि वर्तमान में मायावती ने विकास दुबे के एनकाऊंटर के बाद फिर से ब्राह्मणों को अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया है। जब ‘आप’ सांसद  तथा यू.पी. के प्रभारी संजय सिंह लखनऊ पहुंचे तब उन्होंने एस.टी.एफ. को विशेष ठाकुर फोर्स कह कर संबोधन किया तथा एस.टी.एफ. की नीची जाति तथा अन्य जातियों के उत्पीडऩ के लिए आलोचना की। 

दादी बनाम पिता
ज्योतिरादित्य सिंधिया जोकि कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए हैं तथा राज्यसभा में पहुंचे हैं, दो दिनों तक इंदौर में रुके। इस दौरान सिंधिया ने कई भाजपा नेताओं के दरवाजे पर दस्तक दी तथा उन सबसे मुलाकात की जो भाजपा में कुछ मतलब रखते हैं। उन्होंने इन सबका आशीर्वाद भी लिया। इस दौरान सिंधिया भाजपा के कार्यालय भी पहुंचे जहां पर उन्होंने अपनी दादी तथा वरिष्ठ भाजपा नेता राज माता सिंधिया के बुत पर माल्यार्पण किया मगर इस समय उन्हें अपने पिता माधव राव सिंधिया के बुत पर माला अर्पण करने का समय नहीं मिला। 

सिंधिया के समर्थक अभी भी माधव राव सिंधिया में आस्था रखते हैं तथा अभी भी वह कांग्रेस में जमे हुए हैं। उनका कहना है कि राजनीतिक विचारधारा के चलते ज्योतिरादित्य ने अपनी दादी से दूरी बनाकर रखी मगर अब भाजपा में शामिल होने के कारण सिंधिया अपने पिता से दूरी बनाकर रख रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के समय सिंधिया ने कई बार अपने पिता माधव राव सिंधिया के नाम का उल्लेख किया और कहा कि उनके पिता उनके लिए बहुत ऊंचा स्थान रखते हैं। 

टी.एम.सी. नेता की वापसी
जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव समीप आ रहे हैं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब अपने घर पर ही अपना ध्यान केन्द्रित कर रही हैं तथा अपने सहयोगियों को वापस लाने की कोशिश में हैं जो पार्टी को छोड़ गए थे या फिर पार्टी से ममता द्वारा निकाल दिए गए थे। कई पूर्व राज्य स्तर के नेता पार्टी में फिर से शामिल हो गए हैं मगर राजनीतिक प्रवेक्षक मुकुल राय के प्रवेश पर निगाहें टिकाए हुए हैं जोकि किसी समय ममता के बेहद करीब थे और अब भाजपा में हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 

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