लोगों में ‘अपराध तथा अधीरता’ बढ़ रही है

Edited By ,Updated: 15 Jan, 2020 12:59 AM

crime and impatience  is increasing among people

मै महान भारत की राष्ट्रीय राजधानी में रहती हूं। मैं अपने राष्ट्र के सांस्कृतिक, भाषा तथा धर्म के कई रंगों को पूजती हूं। मैं चिंतत तथा आश्चर्यचकित भी हूं। मेरा हृदय इस बात को लेकर खुश है कि भारत के छात्र देश का भविष्य हैं तथा हमारे मतदाताओं का 45...

मै महान भारत की राष्ट्रीय राजधानी में रहती हूं। मैं अपने राष्ट्र के सांस्कृतिक, भाषा तथा धर्म के कई रंगों को पूजती हूं। मैं चिंतत तथा आश्चर्यचकित भी हूं। मेरा हृदय इस बात को लेकर खुश है कि भारत के छात्र देश का भविष्य हैं तथा हमारे मतदाताओं का 45 प्रतिशत इतना जिगरा रखता है कि वह खुले तौर पर अपने अधिकारों के लिए लड़ सके। मैं हिंसा के विरुद्ध हूं तथा जाति, धर्म को लेकर मानव को बांटने वाली बातों के सख्त खिलाफ हूं। निश्चित तौर पर मैं जागरूक हूं कि यह बात पुलिस की भूमिका को लेकर प्रश्र खड़े करती है। मेरा यह मानना नहीं है कि अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्र आसानी से हिंसक हो जाते हैं। छात्र भविष्य के नेता हैं। हमारे पास संसद तथा राज्य विधानसभाओं में इसकी मिसाल है। ज्यादातर हमारे आज के नेता छात्र राजनीति से ही ऊपर उठे हैं और इसकी मिसाल दिवंगत अरुण जेतली, सीता राम येचुरी तथा कई मुख्यमंत्री के नामों में दिखाई देती है, जो पूर्व में छात्र नेता थे।

दुर्भाग्यवश दिल्ली के चुनाव सिर पर हैं तथा छात्रों का मुद्दा राजनीतिक बन चुका है। इन सबका दिल्ली के चुनावों पर असर पड़ेगा। वाइस चांसलरों तथा टीचरों को समझना चाहिए कि उनके छात्र शांतिपूर्वक प्रदर्शन से क्या चाहते हैं। आखिर क्यों ये प्रदर्शन शुरू हुए। क्यों नहीं समय पर इनमें दखल दिया गया। क्यों नहीं उनके कालेजों में हिंसा को रोका गया। क्यों मुखौटाधारी गुंडों को कालेजों में जाने दिया। छात्र नेताओं संग कोई बातचीत नहीं की गई। हमारे राष्ट्र के भविष्य के लिए ये बातें घातक हैं। हमारे छात्र हमसे ज्यादा जागरूक हैं जोकि हम अपनी उम्र में नहीं थे। देश में वे कहीं भी हों सोशल मीडिया उनको जोडऩे के लिए बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। कोई अच्छी खबर हो या फिर बुरी वे सैकेंड में इकठ्ठे हो जाते हैं। उनमें हिम्मत है, उत्साह है। उनमें इस बात का ज्ञान है कि कैसे सोशल मीडिया पर मुहिम चलानी है। उनको न तो सरकार न पुलिस और न ही अधिकारियों का खौफ है। वे अधिकारों के लिए लड़ते हैं और इनमें से ही भविष्य के नेता बनेंगे। छात्र राष्ट्र तथा कालेजों में अशांति पैदा नहीं करना चाहते क्योंकि इससे उनकी भविष्य की पढ़ाई प्रभावित होती है। उन्हें यह भी चिंता होती है कि उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे।

मुझे एक बात विचलित करती है कि जब मैं कोई एक टी.वी. चैनल देखती या कोई समाचार पत्र पढ़ती हूं तो यह प्रदर्शन के बारे में होता है या फिर युद्ध के बारे में। सब ओर तबाही की बात होती है या फिर अर्थव्यवस्था में मंदी दिखाई जाती है। धर्म तथा जाति में घृणा निराशाजनक है। मैं खुश हूं कि मैं उस समय पली-बढ़ी जब मैं यह नहीं जानती थी कि मेरे साथ वाली सीट पर कौन-सी छात्रा बैठी है। मुझे यह चिंता न थी कि साथी छात्रा हिन्दू, मुस्लिम, सिख या फिर ईसाई धर्म से है। मेरे लिए तो वह मात्र एक लड़की होती थी, जोकि मेरी दोस्त थी तथा मेरी सहपाठी थी। समय बदल चुका है। आज बच्चे जानते हैं कि ओह! मेरा दोस्त है जोकि एक हिन्दू है। मेरा एक दोस्त है जोकि ईसाई है। 

यहां तक कि 5-6 साल की आयु वाला बच्चा यह जानता है कि धर्म क्या है तथा उसका सहपाठी किस जाति से है। मुझे उम्मीद है कि शिक्षा प्रणाली तथा घर पर बैठे अभिभावक उनको अच्छी सिखलाई देंगे और यह सिखाएंगे कि जाति धर्म से ऊपर मानवता होती है और एक अच्छा मनुष्य होना बहुत बड़ी बात होती है। हम सब एक जैसे हैं तथा एक ही परमेश्वर को मानने वाले हैं जो किसी भी धर्म से हो सकता है। एक धर्म को नीचा दिखाना या उसका निरादर करना किसी पाप से कम नहीं। हम क्यों नहीं जीते हैं और जीने देते हैं। वोट बैंक के लिए राजनीति करने की बजाय बुद्धिजीवियों को बहस करनी चाहिए।

यह भी गम्भीर विषय है कि लोगों में अपराध तथा अधीरता बढ़ रही है। राष्ट्र के लिए संविधान का सम्मान न करना तथा असभ्यता मुझे चिंतित करती है। आखिर हम अपनी युवा पीढ़ी को क्या सिखा रहे हैं। हमारे साथ क्या घट रहा है। हम सब जानते हैं कि राजनीति देश में सब कुछ घट रहे का एक हिस्सा है। मगर क्या राजनीति मानवता से ज्यादा जरूरी है। यूक्रेन का एक कॉमेडियन नेता बन गया। हमारे पास अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मिसाल है जो एक अग्रणी बिजनैसमैन होते हुए अमरीका का राष्ट्रपति बन गया। आप ईरान में एक विमान को उड़ा देते हैं और बाद में इसको मानवीय भूल करार दे देते हैं। 176 लोग मारे गए। उनके परिवार तबाह हो गए। इंगलैंड भी ब्रेग्जिट को लेकर झेल रहा है। पैरिस प्रदर्शनों के उग्र होने से पर्यटक विहीन हो चुका है। सभी ओर अनिश्चितता का दौर है।

अर्थव्यवस्था में मंदी ने पूरे विश्व को घेर रखा है तथा मंदी तेजी से दरवाजा खटखटा रही है। हम जितनी तेजी से नीचे की ओर गिर रहे हैं,इतना तो हमने सोचा भी न था। सभी वर्गों के लिए भविष्य उज्ज्वल नहीं दिखाई देता। यहां पर आक्रोश, निराशा तथा व्याकुलता का माहौल है। मुझे उम्मीद है कि जल्द से जल्द सब कुछ ठीक हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि सरकार सही निर्णय लेगी तथा हम अपने युवा वर्ग की ओर ध्यान देंगे, जोकि हमारे राष्ट्र के भविष्य के लिए अच्छा होगा। अंत में मैं यह कहना चाहूंगी कि केन्द्र में एक शक्तिशाली सरकार है मगर फिर भी ले-देकर सभी ओर अशांति तथा व्याकुलता का माहौल है। अर्थव्यवस्था को सही दिशा दिखानी होगी।    देवी चेरियन  devi@devicherian.com

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