‘क्रास एल.ओ.सी. ट्रेड’ जारी रखने की जिद पर अड़ी महबूबा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Aug, 2017 03:24 AM

cross loc the persistence of continuing to trade

भारत -पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली उपायों (सी.बी.एम.) के तहत भारतीय जम्मू-कश्मीर एवं पाक अधिकृत कश्मीर...

भारत -पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली उपायों (सी.बी.एम.) के तहत भारतीय जम्मू-कश्मीर एवं पाक अधिकृत कश्मीर के मध्य 21 अक्तूबर,  2008 को नियंत्रण रेखा पर शुरू हुआ क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड शुरू से ही संदेह के घेरे में रहा है। आतंकवादियों एवं तस्करों द्वारा इसका दुरुपयोग करके जम्मू-कश्मीर में हवाला राशि, हथियार और नशीले पदार्थ पहुंचाने के मामले तो पहले भी सामने आते रहे हैं। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद इसे जारी रखने की वकालत करते रहे। 

अब जबकि नैशनल इंवैस्टीगेशन एजैंसी (एन.आई. ए.) ने तथ्यों और साक्ष्यों के साथ क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड से आतंकी फंडिंग के तार जोड़कर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कर दिया है, उससे इस व्यापार की आड़ में चल रहे आतंक के खेल से पूरी तरह पर्दा उठ गया है लेकिन पी.डी.पी. अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हैं कि क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड को जारी रखने की जिद पकड़े बैठी हैं और जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार चलाने के लिए इस जिद को मानना भाजपा नीत केंद्र सरकार की राजनीतिक मजबूरी बना हुआ है। 

हाल ही में एन.आई.ए. ने खुलासा किया कि क्रॉस एल.ओ.सी. के दौरान स्टैंडर्ड  आप्रेटिंग प्रोसीजर (एस.ओ. पी.) का पालन न किए जाने के कारण बहुत-सी अनियमितताएं हुईं और पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. ने इसका जमकर दुरुपयोग किया। इस दौरान उड़ी के जरिए पाकिस्तान की तरफ से भारत में 2 हजार करोड़ रुपए का सामान आया, जबकि भारत से 1900 करोड़ रुपए का सामान पाकिस्तान भेजा गया। शेष 100 करोड़ रुपए का इस्तेमाल कश्मीर घाटी में आतंकवाद, अलगाववाद एवं पत्थरबाजी को बढ़ावा देने में किया गया है। इसी प्रकार पुंछ के चक्कां-दा-बाग के जरिए पाकिस्तान से 2100 करोड़ रुपए का सामान आया, जबकि भारत से केवल 650 करोड़ रुपए का सामान पाकिस्तान गया और यहां 1450 करोड़ रुपए भारत विरोधी तत्वों को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए गए। इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर एन.आई.ए. ने सरकार को क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड बंद करने की सिफारिश की है। 

क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड शुरू होने के साथ ही इसका दुरुपयोग भी शुरू हो गया था और सुरक्षा एजैंसियों द्वारा हवाला राशि, हथियार और नशीले पदार्थों को नियंत्रण रेखा के आर-पार भेजने के संबंध में दर्जनों मामले दर्ज करके करोड़ों रुपए के सामान की बरामदगी की जा चुकी है। 23 नवम्बर, 2009 को खुफिया एजैंसियों से मिली सूचना के आधार पर पाक अधिकृत कश्मीर के इस्लामगढ़ मीरपुर निवासी तुफैल हुसैन शाह को चक्कां-दा-बाग में रोक कर तलाशी ली गई। तलाशी में उसके ट्रंक से थोराया निर्मित सैटेलाइट फोन एवं अन्य संदिग्ध सामान मिला। पूछताछ में उसने बताया कि उसे यह ट्रंक रावलकोट एस.डी.एम. कार्यालय में कार्यरत अकरम ने भारत में पहले से मौजूद पाक अधिकृत कश्मीर के ही पनाग शरीफ निवासी बब्बू शाह को सौंपने के लिए दिया है। बाद में बब्बू शाह को भी गिरफ्तार कर लिया गया और पूछताछ में दोनों ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होना स्वीकार किया। 

2 फरवरी, 2012 को पुंछ थाना प्रभारी ने गश्त के दौरान गांव दाना दोनियां निवासी एस.पी.ओ. मोहम्मद रफी को पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. के साथ मिलकर हथियारों की तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। अगस्त 2013 में पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा क्रॉस एल.ओ.सी. के जरिए भेजी गई 10 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की कोकीन की खेप पकड़ी। 17 जनवरी, 2014 को पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद से सामान लेकर आए एक ट्रक की कश्मीर के सलामाबाद में तलाशी ली गई तो उसमें से 114 पैकेट ब्राऊन शूगर मिली, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 100 करोड़ रुपए बताई जाती है। इस पर जब इस ट्रक के पाकिस्तानी ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया तो भड़के पाकिस्तान ने सामान लेकर गए 27 भारतीय ट्रक ड्राइवरों को बंधक बना लिया था। 

जनवरी 2017 में क्रॉस एल.ओ.सी. के जरिए पाकिस्तान से भारत आया एक पाकिस्तानी ट्रक उड़ी में पकड़ा गया, जिसमें छिपाकर अवैध हथियार लाए जा रहे थे। जुलाई 2017 में उड़ी में क्रॉस एल.ओ.सी. ट्रेड के माध्यम से पाक अधिकृत कश्मीर से लाई गई 300 करोड़ रुपए मूल्य की हैरोइन बरामद की गई। इसे देश के विभिन्न क्षेत्रों में सप्लाई किया जाना था। पुलिस द्वारा पाकिस्तानी ट्रक ड्राइवर सईद मोहम्मद युसूफ शाह को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। खुफिया एजैंसियों के अनुसार एल.ओ.सी. टे्रड तस्करों के लिए जहां ड्रग कारोबार और आतंकवादियों के लिए हवाला कारोबार एवं हथियारों को नियंत्रण रेखा के आर-पार भेजने का जरिया बन गया है, वहीं बाहरी राज्यों के व्यापारी भी कस्टम ड्यूटी बचाने के चक्कर में स्थानीय लोगों के नाम पर व्यापार करके सरकार को चूना लगा रहे हैं। 
 

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