अधर में लटकी दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष की ‘ताजपोशी’

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2021 05:03 AM

crowning of president of the delhi gurdwara committee hanging in the balance

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को फिलहाल नया अध्यक्ष मिलने में अभी एक महीना और लग सकता है। 51 सदस्यों के हाऊस में अभी 48 सदस्यों का निर्वाचन हुआ है, जिनमें से 46 सदस्यों का चुनाव संगत ने किया है, जबकि 2 सदस्यों का चुनाव नवनिर्वाचित दिल्ली...

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को फिलहाल नया अध्यक्ष मिलने में अभी एक महीना और लग सकता है। 51 सदस्यों के हाऊस में अभी 48 सदस्यों का निर्वाचन हुआ है, जिनमें से 46 सदस्यों का चुनाव संगत ने किया है, जबकि 2 सदस्यों का चुनाव नवनिर्वाचित दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सदस्यों ने को-आप्शन के जरिए किया है। हालांकि एस.जी.पी.सी. (शिरोमणि कमेटी) के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूदा कमेटी अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा के निर्वाचन पर अभी भी संशय बरकरार है। जबकि सिंह सभा अध्यक्षों में से 2 सदस्यों की निकली लॉटरी का भी दावेदार अभी तक साबित नहीं हो पाया है। 

29 सितम्बर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सिरसा को अपनी अयोग्यता पर राहत मिलने की उम्मीद थी लेकिन उपराज्यपाल की तरफ से पेश हुए केंद्र सरकार के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिरसा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने भी अपनी बात रखी। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिन्द्र सिंह द्वारा गुरमुखी के टैस्ट में अयोग्य करार दिए जाने के बाद से सिरसा हाईकोर्ट से राहत की उम्मीद लिए बैठे थे लेकिन दिग्गज वकीलों की दलीलों के आगे हाईकोर्ट के जस्टिस प्रतीक जालान किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे। अब अगली सुनवाई 8 अक्तूबर को होगी, जिसमें उम्मीद है कि वह फैसला सुना सकते हैं। 

हाई प्रोफाइल हुआ सिरसा की अयोग्यता का मामला : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा की अयोग्यता का मामला इतना हाई प्रोफाइल एवं गंभीर हो गया है कि केंद्र सरकार को अपने सबसे बड़े वकील तुषार मेहता को उतारना पड़ गया, जबकि इस मामले में प्रतिवादी एवं दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के नवनिर्वाचित सदस्य हरविंद्र सिंह सरना की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल अपनी दलीलें देते रहे। नाक का सवाल बनी सिरसा की अयोग्यता पर एस.जी.पी.सी. (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने भी सीनियर वकीलों को उतारने में संकोच नहीं किया। शिरोमणि कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और हरीश मल्होत्रा पेश हुए हैं। 

कुल मिलाकर कानूनी दांव-पेंचों में उलझी हुई सिरसा की अयोग्यता का फैसला होने के बाद ही कमेटी के नए हाऊस का गठन संभव हो पाएगा। हाईकोर्ट में हुई बहस में गुरबाणी और गुरमुखी में अंतर को लेकर दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं। यदि सिरसा की अयोग्यता वाला आदेश दिल्ली हाईकोर्ट रद्द नहीं करती है तो निश्चित तौर पर सिरसा अन्य कानूनी विकल्पों को भी अपना सकते हैं। 

फैसला हुए बगैर कमेटी का जनरल हाऊस नहीं : गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के वकील ने भी दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि जब तक मनजिंद्र सिंह सिरसा की अयोग्यता पर फैसला नहीं होगा, तब तक दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का जनरल हाऊस नहीं बुलाया जाएगा। पहले ऐसी चर्चा थी कि 9 अक्तूबर को जनरल हाऊस बुलाया जाएगा और उसमें कमेटी अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी सदस्यों का चयन किया जाएगा लेकिन बदले सियासी माहौल और अदालती दांव-पेंच के बाद कमेटी का गठन कुछ दिन और आगे बढ़ गया है। 

मंजीत सिंह जी.के. ने कहा, वह राजनीति छोड़ देंगे... : जागो पार्टी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. ने मनजिंद्र सिंह सिरसा के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें सिरसा ने कहा था कि सिंह सभा से निकले दोनों सदस्य शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए हैं। जी.के. ने कहा कि सिरसा के झूठ को देखकर कुतुब मीनार भी शॄमदा है। यदि सिरसा के इन कथित सदस्यों के पास गुरुद्वारा चुनाव निदेशक द्वारा जारी प्रमाणपत्र है तो तुरंत सार्वजनिक करें। अभी तो इलाके के संबंधित एस.डी.एम. ने भी इन लोगों को गुरुद्वारा अध्यक्ष के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है। जी.के. ने इसके साथ ही कहा कि यदि सिरसा अपनी पंजाबी ऑनर्स की डिग्री दिखा दें तो वह राजनीति छोड़ देंगे। 

को-आप्शन की 2 सीटों पर फंसा है तकनीकी पेंच : दिल्ली के सिंह सभा गुरुद्वारों के अध्यक्षों का गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में सदस्य के लिए लॉटरी से होने वाले चुनाव के बाद अभी भी पेंच फंसा हुआ है। इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय द्वारा निकाली गई 5 लॉटरियों में निकले नामों की जांच के लिए स्थानीय एस.डी.एम. को भेज दिया है। लेकिन स्थानीय सिंह सभा गुरुद्वारों में कौन अध्यक्ष है, अभी तक इसकी रिपोर्ट एस.डी.एम. ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय को नहीं भेजी है। हालांकि, शिरोमणि अकाली दल बादल ने तीन दिन पहले दावा भी कर दिया कि लॉटरी के जरिए निकले सदस्यों ने उनकी पार्टी को समर्थन दे दिया है, जबकि हकीकत में अभी तक जांच रिपोर्ट ही तैयार नहीं हुई है। 

और अंत में... गुरुद्वारा कमेटी मेंआम चुनाव होने के एक महीने बाद भी कमेटी का गठन न होने से काम-काज प्रभावित हो रहा है। खासकर गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन को लेकर भी हालात ठीक नहीं हैं। स्टाफ की ओर से दावा किया जा रहा है कि उन्हें अभी अगस्त महीने का वेतन नहीं मिला है। कर्मचारी अदालत पहुंचे हुए हैं। अदालत ने भी कमेटी को फटकार लगाई है लेकिन, स्पष्ट नीति नहीं बन पा रही।-दिल्ली की सिख सियासत -सुनील पांडेय 
 

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