Edited By ,Updated: 30 Nov, 2021 04:10 AM
एक शे’र याद आ रहा है-‘जाती रही लम्स (हाथ की लकीरें) की नरमी बुरा हुआ, गिन-गिन के सिक्के हाथ खुरदुरा हुआ’। लेकिन अब सिक्के गिनने और हाथ को खुरदरा बनाने की जरूरत नहीं है। नोट
एक शे’र याद आ रहा है-‘जाती रही लम्स (हाथ की लकीरें) की नरमी बुरा हुआ, गिन-गिन के सिक्के हाथ खुरदुरा हुआ’। लेकिन अब सिक्के गिनने और हाथ को खुरदरा बनाने की जरूरत नहीं है। नोट भी गिनने की जरूरत नहीं है। अब भारत सरकार अपनी क्रिप्टोकरंसी ला रही है। साथ ही बिटकॉइन जैसी करीब 14,000 तरह की क्रिप्टोकरंसी को शर्तों, नियम-कायदों में बांध रही है। आप सवाल उठा सकते हैं कि जिस देश में 80 फीसदी आबादी की रोज की आय एक डालर ही है, ऐसे में क्रिप्टोकरंसी का क्या मतलब? यानी हाथ में मुद्रा ही नहीं है तो अदृश्य मुद्रा का क्या करेंगे।
एक बिटकॉइन की कीमत आज की तारीख में करीब 56,000 डालर यानी करीब 43 लाख रुपए है। ऐसे में एक डालर कमाने वाली 80 फीसदी जनता के देश को क्या बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी से डरना चाहिए? जवाब हां में है क्योंकि देश में डेढ़ करोड़ से 2 करोड़ लोगों के 75,000 करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपए क्रिप्टोकरंसी में लगे हैं। अमरीका में तो माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने अपना आधा काम क्रिप्टोकरंसी में करना शुरू कर दिया है।
दरअसल यह डिजिटल करंसी है। इसके दाम में भारी उतार-चढ़ाव होता है। 2 साल पहले एक बिटकॉइन की कीमत 4 लाख रुपए थी। पिछले साल यह बढ़ कर 22 लाख रुपए हो गई और आज 50 लाख को छूती नजर आ रही है। किसी भी देश की मुद्रा का संचालन वहां के सैंट्रल बैंक से होता है लेकिन क्रिप्टोकरंसी का संचालन कुछ लोगों के हाथ में होता है। आखिर मुद्रा वही है जिसके 3 आधार हों।
एक, वह सरकार की नजर में हो। सरकार को पता हो कि कितने रुपए, कितने डालर, कितने यूरो, कितने पौंड छापे गए हैं। उनका नंबर क्या है। दो, मुद्रा को लेकर पारदर्शिता हो, जवाबदेही तय हो। तीन, उस मुद्रा का ऑडिट हो सके। लेकिन क्रिप्टोकरंसी इन मापदंडों पर खरी नहीं उतरती। हालांकि क्रिप्टोकरंसी वालों का कहना है कि उनकी नैटवर्थ 7-8 लाख करोड़ रुपए है। उनके यहां पूरी पारदर्शिता है, बैंक फेल हो सकता है और लोगों की रकम डूब सकती है लेकिन क्रिप्टोकरंसी में रकम सुरक्षित रहती है, इसकी गारंटी ली जाती है। कोई भी शख्स जब चाहे जिस भी करंसी में चाहे अपनी रकम वापस ले सकता है।
लेकिन विरोध करने वालों का कहना है कि क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल हवाला के लिए किया जा सकता है। इससे मादक द्रव्यों के व्यापार को बढ़ाया जा सकता है। इससे अवैध तरीके से हथियार खरीदे जा सकते हैं, यानी आतंकवाद को बढ़ावा देने में क्रिप्टोकरंसी की भूमिका हो सकती है। हालांकि क्रिप्टोकरंसी खरीदने के लिए आपको बैंक बताना पड़ता है और रकम वापसी की सूरत में भी पैसा आपके बैंक खाते में ही आएगा। चूंकि बैंक खाते आधार से और पैन से लिंक होते हैं, लिहाजा भारत सरकार इसके जरिए क्रिप्टोकरंसी के लेन-देन पर नजर रख सकती है।
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि हर खाते पर नजर रखना मुश्किल है। आप कितना मुनाफा कमा रहे हैं और उसमें से कितना इंकम टैक्स रिटर्न में दिखा रहे हैं उसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। यानी सरकार को राजस्व का घाटा होता है। अगर किसी आम आदमी का पैसा खतरे में पड़े तो वह कहीं एफ.आई.आर. तक दर्ज नहीं करवा सकता। शेयर बाजार में सेबी जैसी नियामक संस्था है लेकिन क्रिप्टोकरंसी के बाजार में कोई नियामक संस्था नहीं है।
ज्यादातर लोगों का कहना है कि यह भविष्य की करंसी है, इस पर रोक लगाई तो भी रुक नहीं पाएगी क्योंकि लोग नए-नए रास्ते निकाल लेंगे। इससे बेहतर तो यही है कि सरकार नियामक संस्था बनाए, शर्तें लगाए। चीन ने हाल ही में हर तरह की क्रिप्टोकरंसी पर पूरी तरह से रोक लगाई है लेकिन भारत जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं में ऐसा करना संभव नहीं है। नाइजीरिया की सरकार ने ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था लेकिन कुछ महीनों बाद ही 4 बिलियन डालर का व्यापार क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से किया गया। आज दुनिया में अमरीका के बाद नाइजीरिया दूसरे नंबर पर है। भारत छठे नंबर पर आता है।
2018 में रिजर्व बैंक ने जब क्रिप्टोकरंसी पर रोक लगाई थी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाए थे। कोर्ट का भी कहना था कि पूरी तरह से रोक कैसे लगाई जा सकती है, आप नियम बनाइए। इसके बाद संसद की स्थायी समिति (वित्त) के पास मामला गया जिसकी अध्यक्षता जयंत सिन्हा कर रहे हैं। इस समिति ने भी कुछ नियामकों के साथ क्रिप्टोकरंसी को चालू रखने की सिफारिश की है।
खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी हाल ही में कुछ इस तरह के संकेत दिए हैं। हालांकि रिजर्व बैंक अभी भी सहमत नहीं है। अब खुद भारत की क्रिप्टोकरंसी लाने की बात हो रही है। संसद के शीतकालीन सत्र में यह मामला उठेगा और बिल पर बहस होगी तब साफ हो पाएगा कि भारत में क्रिप्टोकरंसी को जारी रखा गया तो किस तरह से नियमों में बांधा जाएगा।
कुछ जानकारों का कहना है कि क्रिप्टोकरंसी में पैसा लगाने वालों के लिए अलग डिजिटल वैलेट (बटुआ) होना चाहिए। यह साफ कर देना चाहिए कि जो भी क्रिप्टोकरंसी खरीदेगा या बेचेगा वह अपने बटुए के माध्यम से ही खरीदेगा-बेचेगा। अगर किसी ने इसके बाहर बेचने-खरीदने की कोशिश की तो वह पैसा ब्लैक मनी माना जाएगा।
इसके साथ यह भी जरूरी है कि भारत सरकार तय करे कि क्रिप्टोकरंसी को किस श्रेणी में रखना है। मुद्रा के रूप में या सोने जैसी कमोडिटी के रूप में या फिर घर-दुकान जैसी परिसंपत्ति के रूप में। एक बार यह तय हो जाए तो फिर उसी के हिसाब से कानून बनाए जा सकते हैं। कुल मिलाकर भारत सरकार का इरादा रैगुलेट करने का है, तकनीक के क्षेत्र में कुछ नए को बढ़ावा देने का है, मनी ट्रेल को ट्रैक करने का है, इससे जायज राजस्व कमाने का है। अब रिजर्व बैंक अपनी क्रिप्टोकरंसी लाने की बात कर रहा है तो उस करंसी को मौजूदा क्रिप्टोकरंसी से प्रतियोगिता करनी पड़ेगी। जिसकी सेवा बेहतर होगी, जहां ज्यादा मुनाफा होने की संभावना है उस तरफ ज्यादा लोग आकॢषत होंगे।-विजय विद्रोही