वर्तमान सरकार तथा कर्मचारी

Edited By ,Updated: 10 Jan, 2019 03:32 AM

current government and staff

वामदलों से संबंधित ट्रेड यूनियन्स ने 8 तथा 9 जनवरी 2019 को भारत बंद का आयोजन किया। क्या उनके सामने कोई वास्तविक मुद्दे हैं या  यह सुनिश्चित करने के लिए सांकेतिक असंतोष के तौर पर वाम राजनीतिक संगठनों की रणनीति का एक हिस्सा है ताकि उन्हें भारत के...

वामदलों से संबंधित ट्रेड यूनियन्स ने 8 तथा 9 जनवरी 2019 को भारत बंद का आयोजन किया। क्या उनके सामने कोई वास्तविक मुद्दे हैं या यह सुनिश्चित करने के लिए सांकेतिक असंतोष के तौर पर वाम राजनीतिक संगठनों की रणनीति का एक हिस्सा है ताकि उन्हें भारत के राजनीतिक नक्शे से मिटा न दिया जाए। वामदलों की ताकत में पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा में उल्लेखनीय कमी आई है। हाल ही में केरल में भी राजनीतिक माहौल उनके खिलाफ बन रहा है। 

राजग सरकार 5 वर्षों से कुछ समय से सत्ता में है। ट्रेड यूनियन्स के साथ निरंतर वार्ता बनाए रखने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया गया है। कुछ ट्रेड यूनियन्स वार्ता के लिए आगे आ रही हैं और समय-समय पर कर्मचारियों के पक्ष में उपाय घोषित करने के लिए सरकार को मनाने में सफल रही हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण बन जाता है कि भारत के कर्मचारियों के हितार्थ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की संख्या की समीक्षा की जाए। 

1. बोनस 
क. बोनस की सीमा गणना 3500 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 7000 रुपए कर दी गई है अथवा अधिसूचित उद्योग की न्यूनतम मजदूरी उपयुक्त सरकार द्वारा निर्धारित की गई है जो भी अधिक हो। 
ख. बोनस के लिए पात्रता सीमा 10,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 21,000 रुपए प्रतिमाह की गई है। 
2. मातृत्व 
मातृत्व अवकाश के लाभ 2 बच्चों के लिए 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह प्रत्येक किए गए हैं। 
3. ग्रैच्युटी 
कर्मचारी के लिए ग्रैच्युटी पेमैंट सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की गई है। 
4. न्यूनतम मजदूरी 
अकुशल कृषि मजदूरों तथा निर्माण मजदूरों के लिए 3 श्रेणियों (क) (ख) तथा (ग) में न्यूनतम मजदूरी हेतु पात्रता के लिए उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की रेंज निम्न अनुसार है। 
-कृषि : अकुशल 
(क्षेत्र क) 226 रुपए से बढ़ाकर 333 रुपए 
(क्षेत्र ख) 206 रुपए से बढ़ाकर 303 रुपए 
(क्षेत्र ग) 204 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए 
-भवन निर्माण/निर्माण/सड़कों का रखरखाव 
अकुशल (क्षेत्र क) 368 रुपए से बढ़ाकर 523 रुपए 
(क्षेत्र ख) 307 रुपए से बढ़ाकर 437 रुपए 
(क्षेत्र ग) 246 रुपए से बढ़ाकर 350 रुपए 
5. ई.एस.आई. 
पात्रता वृद्धि सीमा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए प्रतिमाह की गई। कर्मचारी के लिए 2 डिस्पैंसरियों का लाभ है-एक कार्यस्थल पर तथा एक उसके रहने के स्थान पर। 
6. पैंशन 
न्यूनतम गारंटिड पैंशन 1000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित की गई है। 
7. बीमा 
सेवा के दौरान कर्मचारी की मौत की सूरत में ई.पी.एफ.ओ. की ई.डी.एल.आई. योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए का न्यूनतम सुनिश्चित बीमा तथा 6 लाख रुपए के अधिकतम लाभ सुनिश्चित किए गए हैं। 
8. आंगनबाड़ी तथा आशा वर्कर्स
आंगनबाड़ी तथा आशा वर्कर्स की सभी श्रेणियों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा मानदेय में पर्याप्त वृद्धि की गई है। अब वर्कर 3000 की बजाय प्रतिमाह 4500 रुपए प्राप्त करती हैं। न्यूनतम दर 2250 रुपए से बढ़ाकर 3500 रुपए की गई है। सहायक का मानदेय 1500 से बढ़ाकर 2200 रुपए किया गया है। आशा वर्करों के बीच मानदेय 1000 से बढ़ाकर 2000 रुपए किया गया है। इसके अतिरिक्त मौत की सूरत में 2 लाख रुपए का बीमा कवरेज तथा स्थायी दिव्यांगता की सूरत में एक लाख रुपए का बीमा बिना किसी लागत के उपलब्ध करवाया गया है। 
9. 7वां वेतन आयोग 
7वें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन तथा रियायतों में उल्लेखनीय वृद्धि की है। पूर्ववर्ती सरकार ने ऐसी ही रियायतें लागू करने में वर्षों लिए थे। वर्तमान सरकार ने 7वें वेतन आयोग के सुझावों को तुरंत लागू किया तथा इसके अतिरिक्त रियायतों से संबंधित कुछ शर्तों में सुधार किया। सशस्त्र बलों तथा अन्य अद्र्धसैनिक तथा सुरक्षा बलों के मामले में भी प्रस्तावों में सुधार किया गया है। रक्षा बलों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए ओ.आर.ओ.पी., जो कई दशकों से लंबित था, का जितनी जल्दी हो सका समाधान किया गया। 
10. सरकारी पैंशन 
राष्ट्रीय पैंशन योजना के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी 10 प्रतिशत का योगदान देते हैं तथा सरकार भी 10 प्रतिशत का, जो निवेश के लिए कोष बनाता है, जिसके अंतर्गत सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कर्मचारियों को पैंशन दी जाती है। सरकार ने अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दी है। इस तरह से प्रतिमाह कोष के लिए 24 प्रतिशत का प्रारम्भिक योगदान डाला जाता है। इसके अतिरिक्त 60 प्रतिशत संचय राशि, जो एक सेवानिवृत्त कर्मचारी निकाल सकता है, को पूरी तरह आयकर से मुक्त किया गया है। कर्मचारियों को एक विकल्प दिया गया है जिससे वे अंकित कर सकते हैं कि वे अपने पैंशन कोष को सरकारी बांड्स में निवेश करना चाहते हैं या इसका कुछ हिस्सा बाजार में निवेश करना चाहेंगे। यह अब पूरी तरह से कर्मचारी पर निर्भर है। 

इसके अतिरिक्त ट्रेड यूनियनों से संबंधित विभिन्न कानूनों तथा नियमों में कई प्रक्रियात्मक बदलाव किए गए हैं। ट्रेड यूनियन्स एक्ट के अंतर्गत एक यूनियन को आवेदन के 45 दिनों के भीतर पंजीकृत करना होगा अन्यथा इसे स्वत: पंजीकृत समझ लिया जाएगा। देश के कई राजस्व जिलों में प्रोवीडैंट फंड कार्यालय खोले जा रहे हैं। कर्मचारी को अब किसी भी सामान्य सेवा केन्द्र से डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र दाखिल करने की सुविधा दी गई है। ब्यौरे के उन्नयन हेतु आधार का इस्तेमाल किया जा सकता है। वेज कोड तथा सामाजिक सुरक्षा कोड को अब मजबूत तथा अधिक तार्किक बनाया जा रहा है। दिवालियापन कोड के अंतर्गत पूर्व के शासन की तुलना में कर्मचारी को भुगतान का प्रवाह ऊंचे दर्जे का आंका जा रहा है। 

अतीत में किसी भी सरकार ने इतनी कम अवधि में कर्मचारी समॢथत निर्णय नहीं लिए ताकि देश में आॢथक विकास के अन्तर्गत उनको जीवन में बेहतर स्तर के फायदे देना यकीनी बनाए जा सके। कागजी कार्यों में कटौती लाने के लिए कई विभिन्न कानूनों को बनाए जाने के लिए प्रक्रियात्मक सरलीकरण किया गया है। कर्मचारियों के हितों को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी निर्णय को सरकार ने नहीं लिया है। इन सबसे ऊपर उठ कर यदि लैफ्ट ट्रेड यूनियनें गैर-व्याप्त मुद्दों पर प्रदर्शन करने के लिए ट्रेड यूनियन आंदोलन के राजनीतिकरण पर जोर दें तो देश में यह कर्मचारियों पर निर्भर है कि वे गम्भीर होकर यह आकलन करें कि वर्तमान सरकार ने उनके लिए क्या किया है तथा इसकी तुलना पूर्व की विभिन्न सरकारों के कोरे रिकार्ड से करें।-अरुण जेतली

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