क्या सचमुच जवाहर लाल नेहरू भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार थे

Edited By Pardeep,Updated: 17 Aug, 2018 04:40 AM

did jawaharlal nehru really be responsible for partition of india

ऐसा है तो नहीं परन्तु सारे नेहरू को ही विभाजन का दोषी मानते हैं तो मैं भी स्वीकार कर लेता हूं, पर क्या जवाहर लाल नेहरू अकेले दोषी थे? ऐसा दिखता तो नहीं, परन्तु सभी कहते हैं तो मानना ही पड़ेगा कि नेहरू सचमुच विभाजन के खलनायक थे पर नेहरू को खलनायक...

ऐसा है तो नहीं परन्तु सारे नेहरू को ही विभाजन का दोषी मानते हैं तो मैं भी स्वीकार कर लेता हूं, पर क्या जवाहर लाल नेहरू अकेले दोषी थे? ऐसा दिखता तो नहीं, परन्तु सभी कहते हैं तो मानना ही पड़ेगा कि नेहरू सचमुच विभाजन के खलनायक थे पर नेहरू को खलनायक मानने वाले यह तो जानते ही होंगे कि इतिहास तटस्थ होता है। मूक रह कर भी सब कह जाता है। और कहूं तो इतिहास निर्दयी भी होता है। भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार के धर्मगुरु परम पावन दलाईलामा का निजी विचार था कि यदि जवाहर लाल नेहरू मोहम्मद अली जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री मान लेते तो भारत विभाजन रुक सकता था। 

पूज्य दलाईलामा ने अपने इस कथन पर भारतवासियों से क्षमा भी मांग ली है लेकिन मान लो नेहरू जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने पर सहर्ष राजी भी हो जाते तो क्या भारत विभाजन रुक जाता? कभी नहीं। मोहम्मद अली जिन्ना तब भारत में रहने वाले मुसलमानों को जिस मुकाम पर ले आए थे, मुस्लिम लीग ने 3 जून, 1947 से पहले जो ‘जेहाद’ भारत में खड़ा कर दिया था, उससे वह वापस नहीं आ सकते थे। जिन्ना पाकिस्तान बनाने के लिए ‘करो या मरो’ का पक्का इरादा कर चुके थे। 3 जून, 1947 का दिन मैंने इसलिए लिखा कि ब्रिटिश हुकूमत ने उस दिन पार्टीशन ऑफ इंडिया के मसविदे की घोषणा कर दी थी। 

थोड़ा याद दिला दूं मुस्लिम लीग ने अपने डायरैक्ट एक्शन डे यानी पाकिस्तान के लिए सीधी कार्रवाई पर क्या किया, केवल कलकत्ता में एक दिन की कार्रवाई में 10,000 मासूम लोगों की जानें गईं। 15,000 जख्मी हुए। करोड़ों की सम्पत्ति का नुक्सान हुआ। ‘डायरैक्ट एक्शन डे’ पर उन्मादी मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में किसी को गली-कूचों में निकलने ही नहीं दिया। बिहार और उत्तर प्रदेश के आंकड़े इससे भी भयानक थे। जिन्ना मुसलमानों को अलग मुल्क देने, भारत को खंडित करने की ठान चुके थे। महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल की गिड़गिड़ाहट का उन पर कोई असर नहीं था। 

कांग्रेस के ये तीनों नेता यदि मुस्लिम लीग के सर्वेसर्वा, एकछत्र नेता मोहम्मद अली जिन्ना को स्वर्ग का राज्य भी सौंप देते तो जिन्ना पाकिस्तान बनाए बिना रुकने वाला नहीं था। नेहरू बेचारे की क्या बिसात कि पाकिस्तान की मांग छोड़ देने के लिए जिन्ना साहिब को मना पाते? कुछ राजनेता नेहरू, पटेल और महात्मा गांधी में विभेद करना चाहते हैं। ऐसा नहीं है, ये तीनों भारत का विभाजन नहीं चाहते थे। तीनों समस्तर पर महान थे। तीनों भारत मां के वरद पुत्र थे। हां, यह जरूर मानता हूं कि जवाहर लाल नेहरू कश्मीर मसले पर लौह पुरुष पटेल की न मान सके। ऐसा उनकी शेख मोहम्मद अब्दुल्ला से घनिष्ठता के कारण हुआ। वरन् नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाएंगे। महात्मा गांधी युग पुरुष थे, पटेल भारत के बिस्मार्क थे। एकता-अखंडता की मूर्ति थे। इनकी महानता पर कोई राजनेता उंगली उठा कर इन्हें छोटा न करे। 

फिर चाहे भारत में 1947 के पहले हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रयास के लिए क्रिप्स मिशन आया, लार्ड बेव्स प्लान बना, गोलमेज कान्फ्रैंस लंदन में हुई, कैबिनेट-मिशन योजना बनी, सब जिन्ना की हठधर्मी की बलि चढ़ गईं। ऊपर से अंग्रेजों की धर्म, जाति, प्रांत, भाषा, सामंत-किसान में भारत को बांटने की दुष्कर नीति ने आग में घी डालने का काम किया। लार्ड माऊंटबैटन सदैव मुस्लिम लीग को गौरवान्वित करते रहते। मुस्लिम लीग के अधिष्ठाता जिन्ना को गांधी, नेहरू और पटेल पर अधिमान देते रहे। मुस्लिम तुष्टीकरण जैसे शब्द भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माऊंटबैटन ने ईजाद किए। दूसरा जो स्वभाव में कमी देखी उसे भी आंखों से ओझल नहीं किया जा सकता। नेहरू, पटेल और महात्मा गांधी बातचीत की मेज पर हमेशा लचीलापन रखते परन्तु जिन्ना साहिब जो शब्द मुंह से निकालते वही अंगद का पैर बन जाते। 

एक बार जो राष्ट्रवादी विचारधारा 1935 में कांग्रेस से अलग होकर जिन्ना ने छोड़ी, फिर तो  उसने कांग्रेस व भारत की ओर मुड़ कर देखा तक नहीं। पाकिस्तान शब्द उनकी नस-नस में समा गया। हिंदू-मुस्लिम एक होकर रह ही नहीं सकते, उनकी फिलास्फी बन गई। हिंदू-मुस्लिम दो मजहब हैं-ङ्क्षहदुस्तान ङ्क्षहदुओं का, पाकिस्तान मुसलमानों का। बंटवारा हो जाना चाहिए, यह जिन्ना की पहली और अंतिम प्रतिज्ञा थी। बताओ विभाजन कैसे रुकता? नेहरू दोषी कैसे हुए? महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने कहां धोखा दिया। भारत के साथ धोखा मुस्लिम लीग ने किया। पाकिस्तान जिन्ना ने बनाया। विभाजन यदि भारत का हुआ तो दो कौमों की नफरत और अविश्वास की आंधी से हुआ। नेहरू, गांधी, पटेल को तथाकथित नेता विभाजन का मुजरिम न ठहराएं। देश 1947 आते-आते परिस्थितियों के आगे नतमस्तक हो चुका था। इस नफरत में देश बंट गया। 

वैदिक सभ्यता से ही देश बनते-आलोप होते रहे हैं। देशों का विभाजन होता आया है। नए-नए देश उभर कर सामने भी आते हैं। परिवारों में भी विभाजन होता है। भारत और पाकिस्तान के साथ भी हुआ, पर भारत विभाजन के समय जो वीभत्स तांडव हुआ, मनुष्यता के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। दस लाख लोग बंगाल और पंजाब में विभाजन की बलि चढ़ गए। कोई लॉ एंड आर्डर नाम की चीज भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय रही ही नहीं। गाडिय़ों की गाडिय़ां इंसानी लाशों की हिंदुस्तान-पाकिस्तान में भेजी गईं। गिद्ध, कुत्ते, सियार इंसानी लाशों को नोचने लगे। बहू-बेटियों के रेप ही नहीं, उन्हें बेरहमी से कत्ल भी कर दिया। हिंदू मुसलमानों का और मुसलमान ङ्क्षहदू-सिखों के खून से होली खेलने लगे। इस खून की होली में न किसी ने नेहरू की सुनी, न जिन्ना की। 

नफरत की आग में सब स्वाहा हो गया। जिन्ना ने जो पाकिस्तान बनाया, वह फिर बंट गया। अभी पाकिस्तान के और बंट जाने का अंदेशा है, पर भारत भी सावधान रहे। नफरत फिर पनप रही है। मुजफ्फरनगर और श्रीनगर, आतंकवाद और नक्सलवाद किस तरफ इशारा कर रहे हैं? सावधान हिंदोस्तान, सीमाओं की दस्तक सुनो।पाठकवृंद, हिंद समाचार ग्रुप परिवार भी पाकिस्तान की सरजमीं छोड़ आया था। 70 साल की मेहनत और कुर्बानियों से इस समाचार पत्र समूह ने देश में नाम पाया है। यह परिवार जानता है कि पाकिस्तान का फलसफा 1916 में ही आगाशाही ने गढ़ दिया था। मुस्लिम एक अलग कौम है, सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नींव पत्थर रख कर विभाजन की रेखाएं खींच दी थीं। सच से इंकार मुसलमान भी नहीं करते कि हमने 7वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी तक भारत पर राज किया है। शायद यह राज फिर आ जाए। अविश्वास तो लोकतंत्र में अभी तक बना है कि एक हिंदू का एक वोट हमें कभी सत्ता पर नहीं आने देगा। भला सोचो इस मनोविज्ञान का देश क्या हल करे। 

हम हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, ङ्क्षलगायत, पारसी सभी शपथ खाकर कहते हैं-हमें भारत में रह रहे मुसलमानों से कोई डर नहीं। देश हमारा भी उतना, मुसलमानों का भी उतना। तुम मस्जिद में जाओ, हमें इससे कोई एतराज नहीं। तुम मक्का जाओ, हमें खुशी है, पर भारत की टीम क्रिकेट में पाकिस्तान से हार जाए, मुसलमान दीपक क्यों जलाएं? अयोध्या में मंदिर राम का बने, इसके लिए मुसलमान हिंदू भाइयों के साथ बैठ कर योजना क्यों न बनाएं? बाबर के नाम पर बनी मस्जिद तोड़ दी, टूट गई तो टूट गई, अब सदियों तक इसी पर आंसू बहाते रहें? देश तुम्हारा भी, हमारा भी। बहुत लड़ लिया, अब देश को आगे नहीं बढ़ाना? इस हिंदुस्तान पर सबका समान अधिकार है। शर्त सिर्फ इतनी है कि इस भारत की मिट्टी को मस्तक पर तो लगाओ। पाकिस्तान अपना भाग्य जिए, हमें तो ङ्क्षहदुस्तान पर गर्व है। तनिक सब देशवासी हृदय विशाल करें। हमारी अनेकता ही हमारी विशेषता है। मुसलमान भी इस भारत रूपी फुलवाड़ी का फूल हैं। एक बनो, देश का भला ही चुनो।-तरुण विजय

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