ऐसे हालातों में एक-दूसरे पर ‘दोष’ मत मढ़ें

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2020 05:07 AM

do not blame each other in such situations

क्या यह मुमकिन है कि देश में आपातकाल जैसे हालातों में राजनेताओं को एक-दूसरे पर दोष लगाने से रोका जाए? इस समय हमारा राष्ट्र एक खतरनाक वायरस की चपेट में है। मुझे यह देखकर खुशी है कि कुछ ही आदर्शवादी राजनेता हमारे देश में हैं। हमें इस बात का स्मरण रखना...

क्या यह मुमकिन है कि देश में आपातकाल जैसे हालातों में राजनेताओं को एक-दूसरे पर दोष लगाने से रोका जाए? इस समय हमारा राष्ट्र एक खतरनाक वायरस की चपेट में है। मुझे यह देखकर खुशी है कि कुछ ही आदर्शवादी राजनेता हमारे देश में हैं। हमें इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि हम सभी एक खतरे में हैं तथा सब को पारस्परिक प्रयत्न करने होंगे। हमें खुश होना चाहिए कि हम अभी भी दूसरे राष्ट्रों की तुलना में अच्छे हैं। 

यह समय शारीरिक, निजी तथा मानसिक हाइजीन का है। हमें नुक्स नहीं निकालने चाहिएं। इस संकट से  सब को इकट्ठे होकर लडऩा होगा। सरकार, डाक्टर तथा पुलिस भी इस महामारी से जूझ रही है। जितना ही हम सरकार तथा मीडिया की आलोचना कर रहे हैं हमें यह जानना होगा कि पत्रकार बेहद संक्रमित परिदृश्य में लोगों तक सही समाचार पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं। पुलिस तथा स्वास्थ्य कर्मी आपकी देखभाल करने में लगे हैं तथा आपको इस घातक वायरस के वास्तविक खतरों के बारे में जागरूक करने में लगे हुए हैं। देश के प्रत्येक कोने में जाकर अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल कर लोग इस महामारी से लडऩे में लगे हुए हैं। हम इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि डाक्टर, मैडीकल स्टाफ तथा पुलिस निरंतर ही कठिन मेहनत कर रहे हैं तथा हमारे लिए अपनी जान जोखिम में डाले हुए हैं। 

इन लोगों की बदौलत ही आज हम अपने घरों में बैठकर टी.वी. देख रहे हैं, आनंदित हैं तथा अपने पारिवारिक सदस्यों का समर्थन कर रहे हैं। हम में से कइयों को मानसिक तौर पर सशक्त होने की जरूरत है। हम में से कुछ लोग अवसाद से गुजर रहे हैं, असहाय हैं तथा आने वाले दिनों के प्रति ङ्क्षचतित हैं। जब मैं इन बातों के बारे में सोचती हूं तब मैं अपने पिता के उस कथन को याद करती हूं जिसमें उन्होंने कहा था कि अंधकार के बादल छंट ही जाएंगे। इसलिए हम देख रहे हैं कि कुछ मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। एक माह पूर्व तो हमें इस बात का ज्ञान नहीं था कि आखिर इस वायरस के लिए कौन-सी दवा कारगर होगी। 

किसी एक के लिए यह बड़ा आसान कार्य है कि दूसरों का नुक्स निकाला जाए। मगर आज हमें कुछ सशक्त राष्ट्रों जैसे अमरीका, रूस तथा यूरोप की ओर देखना होगा जहां पर लोग तनाव, मजबूरी तथा अवसाद को झेल रहे हैं। इस वायरस के समक्ष तो दुनिया के सबसे ताकतवर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पास प्रगतिशील डाक्टरों की सेना होने के बावजूद उनके हाथ खड़े हैं। पूरे विश्व में कई नेता जिसमें इंगलैंड की रॉयल फैमिली भी शामिल है, आज सुरक्षित नहीं। भविष्य के भावी सम्राट कुछ ही समय पूर्व कोरोना से ठीक हुए हैं। वहां के प्रधानमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री दोनों ही कोरोना से पीड़ित हैं तथा क्वारंटाइन के अधीन हैं। रूस जिसके प्रमुख अभिमानी शक्तिशाली पुतिन हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी क्या बॉडी है और क्या रौब है, भी आज असहाय नजर आ रहे हैं। वह भी इस बीमारी से परेशान हैं। 

हम एक जिद्दी राष्ट्र की तरह हैं जहां पर हम अपने धार्मिक विचारों के बारे में बात करते हैं। हम अपनी प्रार्थनाओं को गुम होना नहीं देना चाहते। चाहे हिन्दू, मुस्लिम, सिख या फिर कोई अन्य धर्म हो हम सभी अपने प्रार्थना स्थलों में शांति खोजते हैं। यहां तक कि गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी प्रार्थना करने के लिए उनके घर में स्थान बना हुआ है। वहां पर प्रार्थना करें क्योंकि भगवान सर्वव्यापक है। इसलिए अपने कमरे के एक कोने में बैठकर या फिर बरामदे में बैठकर प्रार्थना कीजिए। परमात्मा आपकी सुन रहा है। मगर इस समय परमात्मा आपसे इस बात की आस लगाए है कि आप एक सही सेवा करें। गरीबों की देखभाल करें, उनको भोजन कराएं और जरूरतमंदों का ख्याल रखें। स्वयं को तथा पारिवारिक सदस्यों को बचाने के लिए कोताही न बरतें। आप लोगों के प्रति दयालु रहें। कोई भी गुरु, घरेलू उपचार तथा नुस्खा इस समय कार्य नहीं कर रहा है। यदि आपमें इस वायरल के लक्षण हैं तो कृपया आप नजदीकी क्लीनिक पर जाएं या फिर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाएं। आज इतना ही हमारे लिए काफी है। प्रत्येक राज्य के पास इतनी सहूलियतें हैं कि आपका ख्याल रख सके। 

कई प्रांतों में पुलिस तथा नर्सों पर थूका जा रहा है तथा उन्हें पीटा जा रहा है। हालांकि ये लोग हमारी जिंदगियां बचाने में लगे हुए हैं। यह कितनी शर्मनाक बात है। ये लोग हमेशा ही हमारे जीवन की रक्षा करने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे अपनी तथा अपने परिवार की जान जोखिम में डाल रहे हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि दिमागी तौर पर ये लोग कितने सशक्त हैं। यदि आज हमारा कोई बेटा, भाई या फिर बेटी मैडीसिन लेने के लिए बाहर जाता है तो हम घबरा जाते हैं। परमात्मा का शुक्र करना होगा कि हमारे पास कड़े निर्णय लेने वाला सही नेतृत्व तथा प्रशासन है। हमें उसको प्रणाम करना होगा।-देवी चेरियन   
 

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