किसी ‘किताब के कवर’ से उसको मत जांचें

Edited By ,Updated: 09 Aug, 2020 04:00 AM

do not check it with a book cover

यह भयानक मगर वास्तव में सत्य भी है। मैं मानता हूं कि यह बात हम सब पर लागू होती है। किसी किताब की उसके कवर से समीक्षा मत करें। यदि मेरे पास हमेशा पैसा होगा तो मैं एक अमीर व्यक्ति कहलाऊंगा। मैं जानता हूं कि यह ठीक नहीं मगर अपने विचारों के आधार पर मैं...

यह भयानक मगर वास्तव में सत्य भी है। मैं मानता हूं कि यह बात हम सब पर लागू होती है। किसी किताब की उसके कवर से समीक्षा मत करें। यदि मेरे पास हमेशा पैसा होगा तो मैं एक अमीर व्यक्ति कहलाऊंगा। मैं जानता हूं कि यह ठीक नहीं मगर अपने विचारों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि लोग कैसे दिखते हैं, पहनते हैं और व्यावहारिक तौर पर कैसे बात करते हैं। कोई उच्चारण तत्काल ही प्रतिक्रिया दे देता है और यह आमतौर पर प्रतिकूल होता है। सौभाग्यवश यहां पर कितने मौके हैं जब मैंने अपनी गलती का एहसास किया तथा उसे सुलझाया भी। इस कहानी के हृदय के लिए यह सबक मैंने सीखा है जिसका ब्यौरा मैं आपसे साझा करना चाहता हूं। 

जब मैं पहली बार अमर सिंह से मिला तो मैं उनसे प्रभावित नहीं हुआ। उनसे की गई मुलाकात ने मुझे किसी प्रकार से भी ज्यादा उत्साहित नहीं किया। मैंने उनके हाव-भाव चिंताजनक पाए। उनका उच्चारण बेहद कठिन था और उनकी हंसी बहुत ऊंची थी। मैं कितना गलत था। यहां पर कुछ लोग हैं जो ज्यादा उदार हैं। वीडियो मैगजीन ‘आईविटनैस’ जिसका मैंने 1991 में संपादन किया, के पहले एपिसोड के एक इंटरव्यू में मैंने दिवगंत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को अपसैट कर दिया। उन्होंने सवालों को तुच्छ तथा अपमानजनक समझा। मैंने पूछा कि वह दिखने में इतने मैले क्यों लगते हैं। वह मसली हुई धोती पहनते थे जबकि उनके बालों में कंघी नहीं की गई होती थी। वह एकदम से गरजते थे। 

सव्यसाची जैन जिन्होंने इंटरव्यू किया, का कहना था कि यह भारतीय परम्परा के अनुसार नहीं था। हमारी माताएं अपने बच्चों को नहला-धुला कर स्कूल भेजती हैं। उनकी आंखों में काजल डालती हैं और उन्हें इस्त्री किए हुए परिधान पहनाती हैं। चंद्रशेखर एक हिप्पी की तरह दिखते थे। किसी भी प्रधानमंत्री से इस तरह सवाल नहीं किए गए। जुबान को पूरी तरह से कंट्रोल करके रखा गया। प्रधानमंत्री ने इस इंटरव्यू का खुशमिजाजी पक्ष नहीं देखा। 

फरवरी में यह इंटरव्यू रिकार्ड किया गया और जून तक चंद्रशेखर सत्ता से बाहर हो गए। उनका प्रधानमंत्री पद मात्र 7 महीने तक चला। 3 हफ्तों के बाद अमर सिंह ने मुझे फोन किया। उन्होंने मुझसे कहा कि क्या आप चंद्रशेखर के साथ फिर से बात करना चाहते हैं और या आप यह समझते हैं कि आप जिंदगी भर गलत समझे जाएं? अमर सिंह की आवाज में कड़कड़ाहट थी। मगर वह पूरी तरह से संवेदनशील भी थे। उन्होंने मुझसे कहा कि रविवार की सुबह आप क्यों नहीं मेरे संग चंद्रशेखर के निवास पर चलते? आप उनके बारे में जान सकोगे। आप उस व्यक्ति के साथ मिलकर अचंभित होंगे जिसके बारे में आपने कुछ अलग खोजा था। अमर सिंह के चलते  चंद्रशेखर के साथ संबंधों को एक नया रंग दिया गया। हम दोनों दोस्त बन गए। उसके बाद उन्होंने मुझे कई इंटरव्यू दिए और हमेशा ही खुलकर बोले। कई बार तो वह उत्तेजक दिखे। 

अमर सिंह ने मुझसे कहा कि हम लोग रविवार की सुबह साढ़े 9 बजे चंद्रशेखर के साऊथ एवेन्यू लेन निवास पर मिलते हैं। जब मैं वहां पहुंचा तो वह गार्डन में मैगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ खड़े थे। उन्होंने मुझे गुप्त रूप से बताया कि वह अभिनेता को पूर्व प्रधानमंत्री से मिलवाने आए हैं। कुछ महीने पहले अमर सिंह की पहचान से चंद्रशेखर ने अमिताभ बच्चन की  टैक्स परेशानी को सुलझाया था। अमिताभ अब उनका धन्यवाद करने पहुंचे थे। 

अमर सिंह बोले, ‘‘आ जाइए आपका अगला नंबर है।’’ मेरे कंधों पर हाथ रख कर वह चंद्रशेखर के कमरे में पहुंचे। मेरी आयु इस समय 36 वर्ष की थी और मैं कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी था। चंद्रशेखर ने खिलखिलाकर मेरा स्वागत किया। शायद यह किसी बूढ़े शेर की गर्जना थी?’’ अमर सिंह ने भी मुस्कान भरी अपनी प्रतिक्रिया दी। हम तीनों ने चाय के दौरान बातचीत की। चंद्रशेखर इस बैठक को खत्म नहीं  करना चाहते थे और अमर सिंह इस सारे घटनाक्रम को देख कर स्पष्ट तौर पर खुश हो रहे थे। जब मैं वहां से निकलने के लिए उठा तथा पूर्व प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाया तो वह बोले, ‘‘मेरे सम्पर्क में रहिए।’’ जैसे ही मैं दरवाजे से बाहर निकला अमर सिंह बोले, ‘‘उनका मतलब आप समझे।’’ अमर सिंह सही थे। 

मैं सोचता हूं कि शायद ही कोई अन्य व्यक्ति होगा जो चंद्रशेखर के साथ मेरे रिश्तों को सुधारने के लिए इतना बड़ा कार्य निभाएगा। अमर सिंह के लिए इस बैठक में कुछ भी न था। वास्तव में मैंने कभी भी नहीं यह महसूस किया कि अमर सिंह ने किस लिए अपनी बात निभाई। मगर प्रत्येक समय खुश थे। यह दुखद बात है कि पिछले कुछ वर्षों से हम दोनों मिल नहीं पाए। हमारे रास्ते नहीं मिल पाए मगर मैं उनको हमेशा याद रखूंगा क्योंकि वह एक दयालु व्यक्ति थे जो उनके रास्तों में आए अजनबी लोगों की मदद करते थे। यह एक गुण होता है जो कुछ गलतियां होने के बावजूद भी याद किया जाता है।-करण थापर

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!