Edited By ,Updated: 03 Jun, 2020 12:38 PM
अजीब मुसीबत में फंस गए हैं, डोनाल्ड ट्रम्प! अमरीका के लगभग सभी बड़े शहरों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वाशिंगटन डी.सी. में तो व्हाइट हाऊस को हजारों लोगों ने ऐसा घेरा कि ट्रम्प डर के मारे अभेद्य बंकर में जा छिपे। दर्जनों लोग इन प्रदर्शनों में...
अजीब मुसीबत में फंस गए हैं, डोनाल्ड ट्रम्प! अमरीका के लगभग सभी बड़े शहरों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वाशिंगटन डी.सी. में तो व्हाइट हाऊस को हजारों लोगों ने ऐसा घेरा कि ट्रम्प डर के मारे अभेद्य बंकर में जा छिपे। दर्जनों लोग इन प्रदर्शनों में मारे जा चुके हैं। सैंकड़ों भवनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया है। लोगों ने दुकानों और घरों में घुसकर सामान लूट लिया है। ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों को 10 साल की गिरफ्तारी, लाठियों और गोलियों का डर भी दिखा दिया है। विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को इस अराजकता के लिए वे दोषी ठहरा रहे हैं।
अमरीका जैसे संपन्न और सुशिक्षित देश में यह सब क्यों हो रहा है ? खासतौर से तब जबकि कोरोना से हताहत होने वालों की संख्या दुनिया में वहीं सबसे ज्यादा है? इसका कारण वैसे तो मामूली दिखाई पड़ता है लेकिन है वह बहुत गहरा। अभी तो हुआ यह कि मिनीपोलिस के एक गोरे पुलिस अफसर ने एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड को जमीन पर पटक कर उसके गले को घुटने से इतनी देर तक दबाए रखा कि उसने दम तोड़ दिया। वह चिल्लाता रहा कि उसका दम घुट रहा है लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।
इस जानलेवा दुर्घटना का वीडियो जैसे ही सारी दुनिया में फैला, प्रदर्शन भड़क उठे। उनमें गोरे और काले सभी शामिल हैं। ये प्रदर्शन सिर्फ अमरीका में ही नहीं हो रहे हैं, आस्ट्रेलिया, ईरान, यूरोपीय और इस्लामी देशों में भी हो रहे हैं। जार्ज का दोष यह बताया जाता है कि वह 20 डॉलर का नकली नोट चलाने की कोशिश कर रहा था। अमरीका के 33 करोड़ लोगों में अश्वेतों की संख्या 4 करोड़ के करीब है। ये लोग विपन्न, वंचित और उपेक्षित हैं। ज्यादातर हाड़तोड़ काम यही लोग करते हैं। गरीबी के साथ-साथ ये लोग अशिक्षा और गंदगी के भी शिकार होते हैं। अभी कोरोना से हताहत होने वालों में भी ज्यादा संख्या इन्हीं की है।