Edited By Pardeep,Updated: 15 Nov, 2018 04:38 AM
एक प्रतियोगिता से शुरू हुआ एक विचार अब गोरेगांव के एक स्कूल में पढऩे वाले दो विद्यार्थियों के लिए मुहिम बन गया है। इसके तहत ई-वेस्ट के बेहतर डिस्पोजल को लेकर वे दोनों एक अभियान चला रहे हैं। पिछले 2 महीने में सूर्या बालासुब्रमण्यम और त्रिशा...
एक प्रतियोगिता से शुरू हुआ एक विचार अब गोरेगांव के एक स्कूल में पढऩे वाले दो विद्यार्थियों के लिए मुहिम बन गया है। इसके तहत ई-वेस्ट के बेहतर डिस्पोजल को लेकर वे दोनों एक अभियान चला रहे हैं। पिछले 2 महीने में सूर्या बालासुब्रमण्यम और त्रिशा भट्टाचार्य ने स्कूलों और लोगों से 380 किलो ई-वेस्ट इकट्ठा किया और उसे एक एन.जी.ओ. (गैर-सरकारी नॉन-प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन) को डोनेट कर दिया। इसके जरिए उन्होंने झुग्गी में रहने वाले 17,000 बच्चों की पढ़ाई में मदद दी।
प्रतियोगिता ने दिखाई राह
दरअसल, इस साल की शुरूआत में दोनों ने राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। उन्हें कोई मुद्दा लेकर उसका समाधान निकालना था। सूर्या ने बताया, ‘‘हमारा स्कूल (विबग्योर हाई स्कूल) पहले ही कई अभियान चला रहा था और हम इस प्रतियोगिता में उन पर काम करने की उम्मीद कर रहे थे। इनमें से ई-वेस्ट पर चल रहे अभियान को गति नहीं मिल पा रही थी। इसलिए हमने प्रतियोगिता में उस पर काम करने के बारे में सोचा।’’ प्रतियोगिता में चौथा स्थान हासिल करने के बाद उन लोगों ने इस पर काम जारी रखा। सूर्या और त्रिशा ने अपने स्कूलमेट्स से अपने-अपने घरों से ई-वेस्ट लाने को कहा। त्रिशा ने बताया, ‘‘ज्यादातर घरों में खराब फोन, चार्जर आदि पड़े रहते हैं क्योंकि किसी को पता नहीं होता कि उनका करना क्या है। हमें इंडिया डिवैल्पमैंट फाऊंडेशन मिला जो ई-वेस्ट इकट्ठा कर उसे रीसाइकलिंग कम्पनी को देता है। उससे मिले पैसे से 17,000 से ज्यादा वंचित बच्चों को पढ़ाया जाता है। उन्होंने अपने स्कूल से 180 किलो ई-वेस्ट इकट्ठा किया।
पहले स्कूल व हाऊसिंग सोसायटीज से इकट्ठा किया ई-वेस्ट
सूर्या और त्रिशा ने पहले स्कूल और फिर हाऊसिंग सोसायटीज से ई-वेस्ट कलैक्ट कर एक गैर-सरकारी एन.जी.ओ. के जरिए रीसाइकलिंग कम्पनियों को बेचा। उससे मिले पैसों से झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले हजारों बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे। हाऊसिंग सोसायटीज से उन्हें वाशिंग मशीन, लैपटॉप, चार्जर जैसी चीजें मिलीं। अब ये दोनों अपनी मुहिम में और भी लोगों को जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं।-वी. बोरवांकर