‘पर्यावरण संरक्षण’ के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयास

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2019 01:14 AM

efforts made by the government of hp for environmental protection

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1999 से 2012 तक पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम तथा राज्य को कार्बन तटस्थ बनाने के लिए आवश्यक एवं कारगर कदम उठाए हैं जोकि इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी के पुनस्र्थापन हेतु...

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1999 से 2012 तक पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम तथा राज्य को कार्बन तटस्थ बनाने के लिए आवश्यक एवं कारगर कदम उठाए हैं जोकि इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी के पुनस्र्थापन हेतु उपयोगी होंगे । 

1. CLAP कार्यक्रम : हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और कार्बन मात्रा संतुलित करने हेतु एक जन अभियान'Community Led Assesment,Awareness,Advocacy & Action Programme(CLAP) for Enviroment Protection & Carbon Neutrality' शुरू किया, जिसके अन्तर्गत पंचायत स्तर पर पर्यावरण आंकलन, जागरूकता  प्रतिपालन एवं क्रियान्वयन कर  पर्यावरण सुधार सुनिश्चित किया जा रहा था ।

2. पॉलिथीन उन्मूलन। 
राज्य सरकार द्वारा 1 जनवरी 1999 से थोक व्यापारियों, फुटकर विक्रेताओं आदि पर पुन: चक्रित प्लास्टिक से बने रंगीन पॉलिथीन के बैग्ज के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया। राज्य सरकार द्वारा 2 अक्तूबर 2009 से प्लास्टिक के कैरी बैग के उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया। राज्य सरकार ने पॉलिथीन के कचरे को सीमैंट उद्योगों में जलाने से ऊर्जा पैदा करने और सड़क पक्की करने में उपयोग करने के लिए पहल की। पॉलिथीन हटाओ-पर्यावरण बचाओ अभियान के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरणों के अन्तर्गत लगभग 311 टन पॉलिथीन एवं प्लास्टिक इकट्ठा किया गया, जिसका लगभग 311 कि.मी. सड़क निर्माण के कार्य में उपयोग किया गया। प्लास्टिक के कप, प्लेट एवं गिलासों के उपयोग पर दिनांक 15 अगस्त, 2011 से प्रतिबंध लगाया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। पर्यावरण विभाग को 21 अप्रैल 2011 को लोक प्रशासन में पॉलिथीन प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु प्रधानमंत्री सम्मान से पुरस्कृत किया गया। 

3. पर्यावरण के सतत् विकास के लिए मास्टर प्लान : राज्य सरकार द्वारा राज्य का पर्यावरण मास्टर प्लान तैयार किया गया जिसके अन्तर्गत स्थानिक अतिसंवेदनशीलता मूल्यांकन एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए क्षेत्रीय दिशा-निर्देशों को तैयार किया गया।
4. पर्यावरण कोष की स्थापना : राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए हिमाचल प्रदेश पर्यावरण निधि का गठन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, पुनर्नवीनीकरण तथा कार्बन के पग-चिन्हों को कम करने, पर्यावरण के बुनियादी ढांचे के विकास पर्यावरण शिक्षा गतिविधियों तथा पर्यावरण जागरूकता आदि पर खर्च करना है।

5. नौ सूत्रीय पर्यावरण संरक्षण संहिता : बच्चों में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने हेतु पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश ने एक नौ सूत्रीय ‘पर्यावरण संरक्षण संहिता’ रचित की, जिसकी बच्चों को प्रतिदिन सुबह की प्रार्थना के पश्चात शपथ दिलाई जाती थी। 
6. प्रदेश पर्यावरण एजैंडे का राष्ट्रीय मिशन में एकीकरण : राज्य सरकार द्वारा 8 राष्ट्रीय मिशन के अन्तर्गत लक्ष्यों की निगरानी तथा एकीकरण हेतु निम्नलिखित परिषद/समितियों का गठन किया गया है— माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन परिषद का गठन। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में परिचालन समिति का गठन। राज्य जलवायु परिवर्तन परिषद का गठन।
7. शिमला घोषणा पत्र : हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमालयी क्षेत्रों के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन शिमला में भारतीय हिमालय हिमखंड, जलवायु परिवर्तन व आजीविका विषय पर आयोजित किया तथा इसकी सिफारिशों को ‘शिमला घोषणा पत्र’ के रूप में जारी किया, जो निम्न हैं :

  • हिमालयन सतत् विकास मंच की स्थापना।
  • अनुसंधान का नीति निर्धारण में उपयोग करना।
  • पारिस्थितिकी सेवाओं के लिए भुगतान।
  • सतत् विकास के लिए जल संसाधनों का प्रबंधन।
  • शहरीकरण की चुनौतियां।
  • हरित परिवहन।
  • आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना।
  • ऊर्जा सुरक्षा का विकेन्द्रीयकरण।
  • पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन और तीर्थ स्थलों के विकास का प्रबंध।
  • हरित उद्योग।
  • हरित रोजगार सृजन । 


8. राज्य पर्यावरण रिपोर्ट : राज्य पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने राज्य की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की, जिसमें राज्य में पर्यावरण संबंधी चुनौतियों एवं उनसे निपटने का विवरण है।
9. हरित स्कूल आंकलन कार्यक्रम: इको क्लब्ज के माध्यम से राज्य के स्कूलों का पर्यावरण लेखा परीक्षण करवाने का कार्यक्रम Centre for Science & Environment,New Delhi की देख-रेख में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल के बच्चे अपने स्कूल के पर्यावरण  से संबंधित मानकों जैसे कि जल, ऊर्जा, वायु, भूमि आदि का आंकलन कर स्कूलों के पर्यावरण मानकों पर लेखा परीक्षण करेंगे।
10. इको मॉनिटरिंग कार्यक्रम : राज्य में स्थानीय निकायों की परिधि में इको क्लब्ज के इको मॉनिटर्ज के माध्यम से किसी भी संस्थान/ वाणिज्यिक स्थापन तथा व्यक्ति द्वारा प्लास्टिक कचरे के बिखराव को रोकने हेतु यह इको क्लब्ज/इको मॉनिटर जीव-अनाशित कूड़ा-कचरा नियंत्रण अधिनियम 1995 के उपबंधों के अनुसार प्राधिकृत अधिकारियों को शिकायत दर्ज करा कर उपयुक्त कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। इस कार्य हेतु सरकार ने इको मॉनिटरिंग कार्यक्रम भी शुरू किया है।
11. जल संरक्षण : हिमाचल प्रदेश इमारतों में वर्षा जल संचयन की प्रक्रिया अनिवार्य करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। राज्य सरकार ने जल संरक्षण कार्यों के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करने हेतु एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया। अब तक राज्य सरकार के 279 सरकारी  भवनों एवं 5420 गैर-सरकारी भवनों, होटलों, उद्योग आदि में वर्षा जल संग्रहण टैंक स्थापित किए जा चुके हैं। 

12. जल बिद्युत परियोजनाएं- स्वच्छ ऊर्जा दोहन : हिमाचल प्रदेश सरकार नदी जल पन-बिजली परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है और अपनी ऊर्जा की शत-प्रतिशत आवश्यकता पन बिजली बिद्युत से ही पूरी करने के लिए प्रयासरत है।
13. नदी पारिस्थितिकीय संरक्षण : राज्य सरकार द्वारा यह अनिवार्य कर दिया गया है कि सभी मौजूदा और आगामी पनबिजली परियोजनाओं में न्यूनतम पानी के प्रवाह का 15 प्रतिशत प्रवाह विसर्जन अनिवार्य हो, जिससे कि नदी की पारिस्थितिकी का रख-रखाव ठीक प्रकार से हो।
14. स्वत: ऑन-लाइन प्रवाह मापना : परियोजनाओं से निर्धारित 15 प्रतिशत मात्रा के प्रवाह को सुनिश्चित करने हेतु स्वचालित ऑन-लाइन प्रवाह मापन को भी कार्यरत परियोजनाओं हेतु अनिवार्य बनाया गया है।
15. राज्य में पनविद्युत उत्पादन की प्रचुर संभावनाएं हैं एवं इस हरित संसाधन के चिरस्थायी दोहन के साथ-साथ इससे जुड़ी पर्यावरण समस्याओं के प्रति राज्य सरकार पूर्णत: जागरूक है। 

16. पर्यावरण प्रबंधन योजना की निगरानी एवं समीक्षा : प्रत्येक पन विद्युत परियोजना द्वारा पर्यावरण स्वीकृति हेतु पर्यावरण प्रबंधन योजना बनाई जाती है जिसमें निहित मलबे के निस्तारण के अतिरिक्त जल, वायु एवं शोर हेतु भी पर्यावीक्षण एवं समय-समय पर अनुश्रवण किया जाता है।
17. ऊर्जा दक्षता : राज्य सरकार ने ऊर्जा संरक्षण के लिए 2008-2009 में ‘अटल बिजली बचत योजना’ के माध्यम से प्रत्येक परिवार को चार सी.एफ.एल. बल्बों का वितरण मुफ्त किया है, इससे ऊर्जा की खपत के साथ-साथ ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी।
18. ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कटौती : राज्य सरकार जीवाश्म ईंधन तथा अन्य पारंपरिक सामग्री के उपयोग कर घरों को गर्म रखने के प्रयोग को हतोत्साहित कर रही है और कोयला के उपरोक्त उपयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा रखा है ।

19. वन-कार्बन अवषोषक :  राज्य सरकार पौधारोपण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। वनों के कार्बन अवशोषक की महत्ता को समझते हुए वृहद पौधारोपण अभियान खासकर औषधीय पौधारोपण कर प्रदेश को हर्बल राज्य बनाने के लिए भी सरकार प्रयासरत है ।
20. ऊर्जा, जल एवं अपशिष्ट लेखा परीक्षण : राज्य सरकार ने ऊर्जा एवं जल के उपयोग में दक्षता लाने हेतु ऑडिट प्रक्रिया शुरू कर दी है, सरकार ऊर्जा के उचित उपयोग सुनिश्चित करने और ऊर्जा खपत कम करने के लिए उचित/कुषल उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है और सौर ऊर्जा के प्रयोग का घरों के प्रारूप में एकीकृत अनिवार्य किया गया है।
21. ग्रीन कार्बन : विश्व बैंक की सहायता से मध्य हिमालयन जलग्रहण क्षेत्र विकास परियोजना के अन्तर्गत एक अद्वितीय जैव कार्बन उप परियोजना आरम्भ की गई है, जोकि पंचायतों और स्थानीय समुदायों के लिए कार्बन क्रैडिट के माध्यम से राजस्व का दोहन कर सकेंगे। 

22. पर्यावरण प्रबन्धन : 
पर्यावरण तथा प्रदूषण से संबंधित जन शिकायतों का ई-समाधान प्रणाली के माध्यम से निवारण किया जा रहा है।
राज्य में पारदर्शी पर्यावरण तथा प्रदूषण प्रबंधन हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने HIM-XGN Online Consent Mechanism शुरू किया है, जिससे उद्यमी कहीं से भी Electronically राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आवेदन कर सकता है। 

23. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुछ और महत्वपूर्ण निर्णय : शिमला स्थित सचिवालय भवन के मुख्यमंत्री कार्यालय में एक अपशिष्ट/व्यर्थ कागज पुनर्चक्रण इकाई स्थापित की जा चुकी है तथा हर जिला मुख्यालय में इस तरह की इकाइयां स्थापित करने के दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं एवं यह कार्य ऊना एवं बिलासपुर जिले में पूरा किया जा चुका है। राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट पर्यावरण पत्रकारिता हेतु पत्रकारों/लेखकों को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया। पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाने हेतु एक पर्यटक आचार संहिता जारी की गई।
होटल व्यवसायी अपने उद्यमों का पर्यावरण के मापदंडों पर स्वेच्छा से मूल्यांकन करवा सकेंगे और राज्य का पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उनके होटलों को इस कार्य हेतु आंकलन पश्चात पर्यावरण सितारा दर्जा प्रदान करेगा। 

राज्य में जलवायु परिवर्तन केन्द्र की स्थापना की जा चुकी है। राज्य में ‘आर्यभट्ट जिओ-इन्फार्मैटिक्स एवं स्पेस एप्लीकेशन सैन्टर’ जो राज्य में योजनाओं, प्राकृतिक एवं अन्य संसाधनों के योजना क्रियान्वयन, मूल्यांकन एवं अनुश्रवण में सहायक सिद्ध होगा, की स्थापना की गई। राज्य में विज्ञान, अधिगत और सृजनात्मक केन्द्र की स्थापना शिमला के समीप शोघी में की जाएगी । इस कार्य के प्रथम चरण में स्कूली छात्रों की विज्ञान संबंधी समस्याओं को निपटाने हेतु Virtual Centre IIIT Mandi एवं NIT Hamirpur की सहायता से स्थापित किया जा रहा है। सुन्दरनगर के उपयुक्त तकनीकी केन्द्र में हरित गृह निर्माण केन्द्र की स्थापना करने का निर्णय।-प्रेम कुमार धूमल (पूर्व मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!