Edited By ,Updated: 30 Jun, 2022 04:38 AM
शुक्रवार को एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ने एक-दूसरे से संलग्र 2 समाचार रिपोर्टें प्रकाशित कीं। बाएं हाथ पर हैडलाइन में दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज (तथ्य जांचने वाली वैबसाइट) के संस्थापक
शुक्रवार को एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ने एक-दूसरे से संलग्र 2 समाचार रिपोर्टें प्रकाशित कीं। बाएं हाथ पर हैडलाइन में दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज (तथ्य जांचने वाली वैबसाइट) के संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 2018 में एक ट्वीट के लिए हिरासत में लिए जाने के बारे में खबर प्रकाशित की। दूसरी हैडलाइन के अंतर्गत समाचार पत्र ने लिखा कि भारत जी-7 में शामिल हुआ। एक के बाद एक 2 समाचारों को लगाने में उत्कृष्ट संपादकीय योग्यता दिखाई गई। जिसके तहत हम ‘कथनी और करनी’ के बारे में प्रचारित करते हैं।
अपनी प्रसिद्ध वैबसाइट के जरिए जुबैर ने सभी गलत समाचारों तथा तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए वीडियो तथा चित्रों का खुलासा किया। जुबैर की गिरफ्तारी दूर की कौड़ी और कमजोर आधारों पर हुई है। उन्हें उस मामले में हिरासत में लिया गया जिसके लिए उन्होंने करीब 5 वर्ष पहले एक ट्वीट किया था। अपने आपको हनुमान भक्त कहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस को ई-मेल के जरिए शिकायत दर्ज करवाई। ट्वीट के लिए अन्य कोई भी प्रतिक्रिया नहीं थी जिसमें कई वर्ष पहले बालीवुड फिल्म के दृश्यों के स्क्रीन शार्ट शामिल थे। जुबैर को गिरफ्तार किया गया तथा उसके लैपटॉप तथा मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए। उनके ऊपर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है।
जुबैर की गिरफ्तारी के बारे में समाचार उस दिन आए जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 की कांफ्रैंस में भाग ले रहे थे तथा इसमें आमंत्रित 4 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें कहा गया कि यह देश ऑनलाइन तथा ऑफलाइन के विचारों तथा अभिव्यक्ति की आजादी को बचाने तथा सिविल सोसाइटी के लोगों की आजादी को संरक्षित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। अपने आलोचकों तथा प्रतिद्वंद्वियों पर हल्ला बोलने के मौके तथा बहाने का व्यवहार पिछले दिनों में अनेकों बार देखा गया है।
इस भेदभाव का अन्य उदाहरण उत्तर प्रदेश तथा अन्य स्थानों पर बदनाम ‘बुलडोजर राजनीति’ के द्वारा देखा गया है। यह जग-जाहिर है कि ऐसे उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष समुदाय द्वारा किए गए प्रदर्शनों से संबंधित मामलों में अभियोक्ता तथा जजों को दर-किनार कर दिया। राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि सार्वजनिक सम्पत्ति को प्रदर्शनकारियों द्वारा ध्वस्त तथा तबाह किया गया। सरकार ने कुछ प्रदर्शनकारियों की पहचान की और कथित तौर पर अवहेलना करने वालों के घरों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजरों को भेजा। सरकार की उकसाने वाली यह कार्रवाई पूर्णतय: मनमाने ढंग से की गई। इस कार्रवाई में बदले की भावना दिखाई देती है।
यह भी बात प्रकाश में आई है कि ऐसे प्रदर्शनकारियों में से एक का घर केवल एक दिन के नोटिस के बाद ही धराशायी कर दिया गया। यह घर प्रदर्शनकारी की पत्नी के नाम पर था जिसने सभी करों का भुगतान किया तथा उसके पास कानूनी तौर पर पानी तथा बिजली का कनैक्शन भी था क्योंकि नियमों की अवहेलना को उचित नहीं ठहराया जा सकता इसलिए यह कार्रवाई एक संदेश भेजने के लिए की गई।
फिर भी विडम्बना देखिए यही सरकार उन मामलों में अपनी नजरें दूसरी ओर कर लेती है जब करोड़ों की सरकारी सम्पत्ति उन युवकों द्वारा क्षतिग्रस्त तथा ध्वस्त कर दी जाती है जो अग्रिपथ स्कीम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। युवकों की पहचान करने तथा उनके खिलाफ कोई भी बनती कार्रवाई करने में पुलिस असमर्थ नजर आती है। ऐसे दोहरे मापदंडों का दिखना आम बात है।
समाज के एक विशेष समुदाय का शिकार करने से एक विस्फोटक स्थिति पैदा हो सकती है। राजस्थान में एक अन्य दिल दहलाने वाली, दर्दनाक और बर्बरता की घटना देखने को मिली जिसमें दो भटके हुए युवकों ने एक टेलर की हत्या कर डाली जिसने पैगम्बर मोहम्मद पर टिप्पणी करने वाली पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था। अब समय है कि सरकार को दोनों धर्मों के लोगों को एक ही टेबल पर एक साथ लाने और साम्प्रदायिक तनाव को नीचे करने की कोशिश करनी चाहिए। सरकार ने कोई प्रयास करने की कोशिश नहीं की मगर यह अति महत्वपूर्ण बात है कि उसे बिना कोई देरी किए प्रयास करने चाहिएं।-विपिन पब्बी