बृहन्मुम्बई के मेयर का चुनाव

Edited By ,Updated: 18 Nov, 2019 01:13 AM

election of mayor of brihanmumbai

सोमवार को शुरू होने जा रहे संसद सत्र से एक दिन पहले रविवार को आयोजित एन.डी.ए. की बैठक में शिवसेना ने भाग नहीं लिया। इस बीच अब शिवसेना के सांसद विपक्ष में बैठेंगे। शिवसेना नेता संजय राऊत  का कहना है कि प्रस्तावित गठबंधन सरकार के लिए शिवसेना,...

सोमवार को शुरू होने जा रहे संसद सत्र से एक दिन पहले रविवार को आयोजित एन.डी.ए. की बैठक में शिवसेना ने भाग नहीं लिया। इस बीच अब शिवसेना के सांसद विपक्ष में बैठेंगे। शिवसेना नेता संजय राऊत  का कहना है कि प्रस्तावित गठबंधन सरकार के लिए शिवसेना, एन.सी.पी. तथा कांग्रेस ने न्यूनतम सांझा कार्यक्रम (सी.एम.पी.) तैयार कर लिया है। 

शिवसेना नीत एन.सी.पी.-कांग्रेस सरकार के गठन से न केवल राज्य की राजनीति प्रभावित होगी बल्कि इसका असर बृहन्मुम्बई नगर निगम में भाजपा-शिवसेना गठबंधन पर भी पड़ेगा। 22 नवम्बर को मेयर का चुनाव होगा क्योंकि वर्तमान मेयर का कार्यकाल इस साल सितम्बर में समाप्त हो गया था लेकिन 21 अक्तूबर को हुए विधानसभा चुनावों के कारण उसका कार्यकाल नवम्बर तक बढ़ा दिया गया था। 2017 में हुए बृहन्मुम्बई नगर निगम चुनावों में शिवसेना ने 84 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने 227 सदस्यीय नगर निकाय में 82 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय भाजपा ने सेना को समर्थन दिया था और इसका नेता विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया था। 24 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों पार्टियां अलग हो गईं क्योंकि  शिवसेना मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में आधा हिस्सा मांग रही थी जिसे देने से भाजपा ने इंकार कर दिया। 

वर्तमान में एम.आई.एम. के 6 तथा 4 आजाद कार्पोरेटर को मिलाकर शिवसेना की संख्या 94 है तथा भाजपा के पास 83 सीटें हैं, कांग्रेस के पास 28, एन.सी.पी. की 8, सपा की 6, एम.आई.एम. की 2 तथा मनसे की 1 सीट है। सपा नेता राय शेख का कहना है कि सपा कांग्रेस से सम्पर्क में है। शिवसेना-एन.सी.पी.-कांग्रेस  मेयर का चुनाव इक_े होकर लड़ेंगे तथा इसके लिए चर्चा राज्य में शिवसेना नीत सरकार के गठन के शीघ्र बाद होगी। 

हरियाणा कैबिनेट की झलक
18 दिन बाद आखिरकार मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। हालांकि इस बार खट्टर ने मंत्रिमंडल का गठन पिछली सरकार की तरह नहीं किया है जब भाजपा ने 47 सीटें जीती थीं। उस समय हाईकमान से सलाह-मशविरा करके खट्टर ने कैबिनेट का गठन अपने हिसाब से किया था लेकिन इस बार मुख्यमंत्री खट्टर को कई मंत्रियों को दबाव में शामिल करना पड़ा है क्योंकि उनके कई पुराने कैबिनेट सहयोगी इस बार चुनाव हार गए हैं। प्रदेश में बनिया समुदाय काफी तादाद में है और खट्टर फरीदाबाद से दीपक मांगला को बनिया प्रतिनिधि के तौर पर कैबिनेट मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन केन्द्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के दबाव के चलते  उन्हें दीपक मांगला के स्थान पर मूल चंद शर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा। इस समय कैबिनेट में बनिया समुदाय से कोई मंत्री नहीं है। 

इसी प्रकार जाट समुदाय से 4 मंत्री हैं, 3 कैबिनेट और एक राज्यमंत्री। एस.सी. विधायक अनूप धानक को जे.जे.पी. के कोटे से राज्यमंत्री बनाया गया है जबकि एस.सी. मतदाताओं को संदेश देने के लिए खट्टर ने डा. बनवारी लाल को कैबिनेट मंत्री बनाया है। भाजपा के वरिष्ठतम विधायक अनिल विज को प्रदेश का गृहमंत्री बनाया गया है। इसके बावजूद जे.जे.पी. अब भी खट्टर सरकार पर दबाव डाल रही है कि उसके एक और विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। 

झारखंड में अकेले चुनाव लड़ रहे नीतीश और पासवान
भाजपा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक और वैचारिक पार्टनर शिवसेना के व्यवहार से दुखी है जबकि ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के घटनाक्रम का असर झारखंड की रणनीति पर भी पड़ रहा है। भाजपा अपने अन्य सहयोगियों को एकजुट रखने के लिए कोशिश कर रही है।  जब राम विलास पासवान की जगह चिराग पासवान एल.जे.पी. (लोक जनशक्ति पार्टी) के अध्यक्ष बने तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने फोन करके उन्हें बधाई दी।

यह इस तथ्य के बावजूद हुआ कि  एल.जे.पी. झारखंड में अकेले चुनाव लड़ रही है। इस बीच झारखंड में जहां 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 30 नवम्बर से 5 चरणों का चुनाव होने जा रहा है भाजपा को अपने पुराने सहयोगी जनता दल (यू) के खिलाफ चुनाव लडऩा पड़ रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में नई दिल्ली में हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में स्थिति स्पष्ट कर दी थी। 

मंदिर ट्रस्ट में शामिल होने के लिए भिड़े साधु
राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट में शामिल होने के लिए साधु-संतों और धार्मिक नेताओं में अंतर्कलह शुरू हो गई है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केन्द्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए 3 महीनों में एक ट्रस्ट का गठन करना होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एन.एस.ए.) अजीत डोभाल ने धार्मिक नेताओं की एक बैठक बुलाई है जिसमें बाबा रामदेव को भी आमंत्रित किया गया है। स्वामी रामदेव को बैठक में बुलाए जाने से बहुत से भाजपा नेता, आर.एस.एस. नेता तथा संघ से जुड़े साधु नाराज हैं। इन लोगों का कहना है कि रामदेव एक व्यापारी हैं और वह कभी भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नहीं रहे हैं। हरिद्वार में अधिकतर साधु इस मामले पर अजीत डोभाल की ङ्क्षनदा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि स्वामी रामदेव को ट्रस्ट में शामिल किया जा सकता है। 

इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद चाहती है कि जगत गुरु आश्रम कनखल के आर.एस.एस. समॢथत पीठाधीश्वर स्वामी राज राजेश्वराश्रम को ट्रस्ट का मुखिया बनाया जाए तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने मांग की है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और सचिव को ट्रस्ट में शामिल किया जाना चाहिए। 

क्या उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे
काफी जद्दोजहद के बाद न्यूनतम सांझा कार्यक्रम (सी.एम.पी.) तैयार हो चुका है और अब पावर शेयरिंग फार्मूला पर ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि शिवसेना, एन.सी.पी.तथा कांग्रेस ने मूल रूप से पावर शेयरिंग पर फैसला कर लिया है। पुणे के दौरे और एन.सी.पी. नेताओं से बैठक के बाद शरद पवार दिल्ली पहुंच कर सोनिया गांधी से महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर चर्चा करेंगे। सूत्रों के अनुसार शुरूआती प्रस्तावों पर चर्चा के बाद उन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। तीनों दलों में 42 मंत्री पदों का बंटवारा होगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन सकते हैं तथा उपमुख्यमंत्री का पद एन.सी.पी. को दिया जाएगा और कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष का पद मिलेगा। 

गृह, वित्त, राजस्व, कार्पोरेटिव, लोक निर्माण, जल संसाधन, शहरी विकास, ग्रामीण विकास एवं कृषि  महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं। सूत्रों के अनुसार एन.सी.पी. को गृह, वित्त तथा कार्पोरेटिव मंत्रालय मिलेंगे जबकि कांग्रेस को कृषि, ग्रामीण विकास तथा लोक निर्माण विभाग मिलेगा। इसी प्रकार अन्य मंत्रालयों तथा स्थानीय निकाय विभाग पर भी सहमति बन चुकी है। अब यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि शरद पवार  कब तक इन प्रस्तावों पर सोनिया गांधी की सहमति ले पाते हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 

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