Edited By ,Updated: 29 Jul, 2021 06:06 AM
2018 के शुरू में विश्व के सबसे अमीर आदमी तथा एमेजॉन के मालिक जैफ बेजोस ने शिकायत की कि उनके फोन के साथ छेड़छाड़ हुई है। एक मशहूर टैलीविजन न्यूज कास्टर तथा उनकी पूर्व
2018 के शुरू में विश्व के सबसे अमीर आदमी तथा एमेजॉन के मालिक जैफ बेजोस ने शिकायत की कि उनके फोन के साथ छेड़छाड़ हुई है। एक मशहूर टैलीविजन न्यूज कास्टर तथा उनकी पूर्व प्रेमिका के साथ रोमांटिक बातें सबसे ज्यादा बिकने वाले टेबलॉयड न्यूज पेपर में लीक हो गईं। अंतत: इसी के चलते उनकी शादी टूट गई और सबसे बड़े तलाक समझौते के तहत 40 बिलियन डालर से ज्यादा की रकम चुकानी पड़ी।
बेजोस के फोन से छेडख़ानी के पीछे भी एक कहानी है। हैकिंग से कुछ माह पूर्व बेजोस तथा कुछ हॉलीवुड सैलीब्रिटीज का सऊदी अरब के क्राऊन प्रिंस मोह मद बिन सलमान जिन्हें आमतौर पर एम.बी.एस. कह कर भी पुकारा जाता है, के साथ रात्रि भोज हुआ। सलमान ने बेजोस के साथ फोन नंबरों का आदान-प्रदान किया। इस दौरान बेजोस के स्वामित्व वाले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अपने संवाददाता जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी प्रिंस पर प्रहार किया।
मोहम्मद बिन सलमान ने बेजोस का फोन हैक करवाया। फोन से निकाला गया डाटा प्रस्तुत किया गया जिससे बेजोस के विवाहेत्तर रिश्ते उजागर हुए। विशेष रूप से डाटा के चोरी होने से कुछ दिन पूर्व एक मालवेयर फाइल व्हाट्सअप के माध्यम से बेजोस के फोन में डाली गई जो कथित तौर पर सऊदी प्रिंस के नंबर से डाली गई।
अब संचार के आधुनिक यंत्रों के एक और पहलू की बात करते हैं। 2018 में सेन फ्रांसिस्को में एक छोटे से कस्बे में एक आतंकी हमले के बाद एफ.बी.आई. (फैडरल ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टीगेशन) ने आई फोन निर्माता से संदिग्ध लोगों में से एक के फोन को अनलॉक करने के लिए कहा। एप्पल ने सीधे तौर पर नकार दिया और कहा कि वह अपने पहले संशोधन जिसके तहत अभिव्यक्ति की आजादी, काम करने का अधिकार, धर्म तथा जनसाधारण इत्यादि के संरक्षण के तहत अपने अधिकारों की अवहेलना करेगा।
यहां तक कि जब अमरीकी अटार्नी जनरल ने एप्पल कंपनी को फोन डीक्रिप्ट करने को कहा तो क पनी ने सीधे तौर पर इंकार कर दिया और तर्क दिया कि पिछले दरवाजे से जिस तरह के प्रवेश से हैकरों तथा अपराधियों को फोन के दुरुपयोग करने में प्रोत्साहन मिलेगा। हैरानी की बात है कि अदालतों के इस मुद्दे को सुनने से पूर्व एफ.बी.आई. ने एप्पल पर दबाव डालना बंद कर दिया। आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि इस दौरान इसने सफलतापूर्वक आई फोन को खोलने के लिए एक इसराईली फर्म की सेवाएं प्राप्त कर ली। अब उसे एप्पल से कहने की कोई जरूरत न थी कि वह फोन को डीक्रिप्ट करें।
उपरोक्त दोनों मिसालें यह बात स्थापित करती हैं कि (1). विश्व में कोई भी डिजिटल उपकरण 100 प्रतिशत आसान नहीं है। इसकी प्रामाणिकता हमेशा ही मालवेयर द्वारा समझौता कर सकती है तथा (2).यहां तक कि विश्व की सबसे प्र यात जांच एजैंसी को भी इसराईली टैक फर्म की सेवाएं लेने की जरूरत पड़ी ताकि लॉग्ड तथा एनक्रिप्टिड फोनों में घुसपैठ की जा सके।
स्पाइवेयर को खोजने के लिए इसराईल सबसे आगे है क्योंकि इसे 24&7 अस्तित्ववादी चुनौतियां तथा धमकियां झेलनी पड़ती हैं जोकि इसे पूरे विश्व भर में से इसके विरोधी तत्वों से मिलती हैं। तकनीकी क्षेत्र में इसराईल की सफलता के चलते विदेशी लोगों तथा सरकारी एजैंसियों से इसे गालियां भी सुननी पड़ती हैं। इसलिए यह आश्चर्यजनक लगता है कि इसराईली एन.एस.ओ. ग्रुप के स्वामित्व वाले पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल 17 विभिन्न देशों के 50,000 से अधिक लोगों के फोनों में झांकने के लिए किया गया। उन देशों में जिनके फोनों में दखलअंदाजी हुई उनमें फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों भी शामिल थे। उनके मामले में मैक्रों सरकार की तरफ शक की उंगलियां उठीं। इन आरोपों को नकार दिया गया।
1000 के करीब भारतीय फोन जोकि भाजपा तथा विपक्षी दलों के राजनीतिज्ञों, केंद्र तथा राज्य सरकार मंत्रियों के सचिवों, एक पूर्व चुनाव आयुक्त, कुछ न्यायाधीशों तथा 40 के करीब पत्रकारों से संबंधित थे, की निगरानी हुई। महत्वपूर्ण बात यह है कि पत्रकारों में वे लोग शामिल थे जो सरकार के विरोधी माने जाते हैं। मगर ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि जो सरकार के निकट थे उनकी निगरानी भी हुई।
पेगासस मामले में आधिकारिक प्रतिक्रिया दूसरी बार है। पहली बार कुछ वर्ष पूर्व यह मामला उठा था। सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है। पहले मामले की तरह इस पर भी चर्चा होनी है क्योंकि कोई भी सरकार ऐसे अतिरिक्त न्यायिक संचालन लेने के लिए इतनी मूर्ख नहीं होती। एन.एस.ओ. का कहना है कि वह अपने स्पाईवेयर को विदेशी सरकारों तथा अधिकृत एजैंसियों को ही बेचती है। इसे खरीदने वाले हमेशा ही स्वीकार्यता के लिए स्थान रखने हेतु सावधान रहते हैं।
विडंबना देखिए कि पिछले सप्ताह संसद ने नए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पर गिरने वाले स्कैंडल से अपना हाथ धो डाला। वैष्णव उन व्यक्तियों में शामिल हैं जिनकी जासूसी हुई। उनको एक मंत्री बनाने से पूर्व क्या किसी ने उनकी साख को जांचा? इसका यकीन नहीं है। पूरे सप्ताह दोनों सदनों की कार्रवाई बाधित हुई। सदियों से जासूसी शासनकला का हिस्सा रही है।
आधुनिक देशों द्वारा अपने नागरिकों को उनके अधिकारों की संवैधानिक गारंटी देने के बावजूद जासूसी को लोग एक धमकी मानते हैं। ज्यादातर शासकों के लिए निजता तथा मानवीय मर्यादा बहुत कम मायने रखती है। आखिर कार्पोरेट जासूसी अब एक आधुनिक सी.ई.ओ. के शस्त्रागार के हिस्से के तौर पर क्यों स्वीकार की जाती है। कुछ वर्ष पूर्व हमारे पास राडिया टेप्स का मामला था। चर्चा का बिंदू यह है कि स्मार्ट फोन दूरियां कम करने के लिए एक अच्छा यंत्र है। इसके अलावा वीडियो कांफ्रैंसिंग तथा डाटा के आदान-प्रदान के लिए भी स्मार्ट फोन अच्छे हैं। कोई भी डिजिटल डिवाइस सरल नहीं है।-सीधी बातें वरिंद्र कपूर