पहले वुहान वायरस, फिर नोवेल कोरोना और अब ‘कोविड-19’

Edited By ,Updated: 20 Mar, 2020 02:39 AM

first the wuhan virus then the novel corona and now the covid 19

नोवेल कोरोना वायरस : आलेख लिखे जाने तक, भारत में 170 से अधिक लोग वैश्विक महामारी कोविड-19 (Mahamari Covid-19) से संक्रमित हैं। अब तक इससे देश में 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जो सभी 60 वर्ष की आयु के अर्थात वृद्ध थे। इस संकट से निपटने और लोगों को...

नोवेल कोरोना वायरस : आलेख लिखे जाने तक, भारत में 170 से अधिक लोग वैश्विक महामारी कोविड-19 (Mahamari Covid-19) से संक्रमित हैं। अब तक इससे देश में 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जो सभी 60 वर्ष की आयु के अर्थात वृद्ध थे। इस संकट से निपटने और लोगों को जागरूक करने की दिशा में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (19 मार्च) को राष्ट्र के नाम संदेश भी दिया। 

बात यदि शेष विश्व की करें, तो यह खतरनाक वायरस चीन के बाद इटली सहित 162 देशों में फैल गया है और लगभग 9,000 लोगों का जीवन समाप्त कर चुका है। आलेख लिखे जाने तक, 2.20 लाख से अधिक लोग पूरे विश्व में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित हैं, तो 85 हजार लोग ऐसे भी हैं जो समय रहते चिकित्सकीय निरीक्षण में आने के बाद स्वस्थ भी हो गए। इस वैश्विक महासंकट के कारण भारत सहित कई देशों ने अपना सम्पर्क शेष विश्व से कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया है। 

नावेल कोविड-19 का दुनियाभर पर असर 

इसका नतीजा यह हुआ कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार बुरी तरह प्रभावित हो गए। आंतरिक रूप से कई देशों की सरकारों (प्रांतीय सरकार सहित) ने स्कूल-कालेज आदि शिक्षण संस्थान, मॉल, सिनेमाघर, बाजार और एक स्थान पर इकट्ठा होने आदि पर सशर्त प्रतिबंध लगा दिया है। बचाव में उठाए गए इन कदमों से विश्वभर में सामान्य जीवन मानो ऐसा हो गया है, जैसे कई दशकों पहले हुआ करता था। 

इस वायरस से बचने की औषधियां बनाने या फिर किन्हीं दो बड़े रोग रोधी दवाओं के मिश्रण से इसे ठीक करने के दावे तो किए जा रहे हैं किंतु आधिकारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन या फिर किसी अन्य विश्वसनीय आयुर्विज्ञान संस्था की ओर से ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है। सच तो यह है कि यदि चिकित्सकीय वैज्ञानिक कोविड-19 रोधी किसी दवा का आविष्कार कर भी लेते हैं, तो उसे भारत सहित पूरे विश्व तक पहुंचाने में कम से कम छह माह का समय लग जाएगा। ऐसे में यह वायरस आने वाले समय में विश्व को और कितना नुक्सान पहुंचाएगा, इसका उत्तर अभी फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। 

कोविड-19 वायरस का जन्म चीन की धरती पर हुआ 

यह निॢववाद सत्य है कि सम्पूर्ण विश्व को गहरे संकट में डालने वाला कोविड-19 वायरस का जन्म चीन की धरती पर हुआ है। कई मीडिया रिपोटर््स से स्पष्ट है कि चीन के बड़े प्रांत वुहान में इस वायरस का पहला मामला नवम्बर 2019 में आया था, जिसे साम्यवादी चीन की अधिनायकवादी सरकार ने दुनिया से न केवल छिपाया, अपितु जिन चीनी चिकित्सकों ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया में सांझा करने की हिम्मत दिखाई, उन पर सख्त राजकीय कार्रवाई भी कर दी। यही कारण है कि इस वायरस का प्रारंभिक नाम वुहान वायरस पड़ा, जो बाद में नोवेल कोरोना से होते हुए आज कोविड-19 नाम में परिवर्तित हो गया है। 


चीन के बाजारों में 100 से अधिक जीवों का मांस है बिकता

चीन में जनित इस वैश्विक महामारी को लेकर दुनिया में मुख्य रूप से दो प्रकार की धारणाएं प्रचलित हैं। पहली धारणा-दावा किया जाता है कि यह वायरस चमगादड़ और सांप में पाया जाता है, जिनका सेवन करने से यह मनुष्य में फैल गया और कालांतर में संक्रमण होने के बाद मनुष्य से मनुष्य में फैलने लगा। यह सच है कि चीन के बाजारों में चमगादड़, सांप, चूहे, लोमड़ी, मगरमच्छ, भेडिय़ा, मोर और ऊंट सहित 100 से अधिक जीवों का मांस बिकता है। प्रारंभ में कहा भी यही गया था कि चमगादड़ों और सांपों का मांस खाने से वुहान कोरोना वायरस का केंद्र बन गया। इसलिए यहां इससे अब तक 3,250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो 84 हजार से अधिक संक्रमित हैं। 

दूसरी धारणा यह है कि कोविड-19 एक प्रकार का जैविक हथियार है या फिर यह चीन द्वारा जैविक हथियारों के विफल परीक्षण की भीषण प्रतिक्रिया है। इसे लेकर कई प्रकार के दावे सोशल मीडिया पर भी किए जा रहे हैं। अमरीकी, रूसी, चीनी और ईरानी आदि मीडिया नेताओं की बात करें, तो वे मान रहे हैं कि कोरोना वायरस अपने आप पैदा नहीं हुआ है, बल्कि इसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए पैदा किया गया है। गत दिनों चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा था कि गहरी साजिश के माध्यम से कोरोना चीन आया है, जिसके लिए अमरीकी सेना जिम्मेदार है। वहीं अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते मंगलवार (17 मार्च) कोविड-19 को ‘चाइनीज वायरस’ संबोधित करके नई बहस को जन्म दे दिया। 

कोरोना महामारी को लेकर का शोधकत्र्ताओं का आकलन

कोरोना के बारे में शोधकत्र्ताओं का आकलन है कि एक व्यक्ति से औसतन 2-3 लोगों में संक्रमण फैलेगा। इसका एक पक्ष यह भी है कि विश्व में कोविड-19 के जितने भी मामले सामने आए हैं, उसमें मृत्यु दर केवल 3.6 प्रतिशत ही है। इस पृष्ठभूमि में कई प्रकार की सूचनाएं-परामर्श सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से जनता के बीच पहुंचाई जा रही हैं। जैसे-एक स्थान पर इकट्ठा होने से बचें।

अगले तीन-चार सप्ताह के लिए सामाजिक मेल-जोल को या तो खत्म कर दें या फिर उसमें कमी लाएं। अपने हाथ नियमित रूप से पानी के साथ साधारण साबुन से धोएं या फिर अल्कोहलयुक्त सैनीटाइजर का नियमित उपयोग करें। खांसने या छींकने वाले किसी भी व्यक्ति से कम से कम 1 मीटर (3 फीट) की दूरी बनाए रखें। इस प्रकार के कई बिंदुवार दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

क्या अकेले सरकार द्वारा उठाए कदमों से आप और हम सुरक्षित रह सकते हैं? सच तो यह है कि जब तक सामान्य नागरिक अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं करेंगे या उसके प्रति सजग नहीं होंगे, तब तक देश से या यूं कहें कि पूरी दुनिया से कोविड-19 का खतरा नहीं टलेगा। 

विश्व की भावी पीढ़ी को यदि कोरोना वायरस जैसी महामारी से सुरक्षित रखना है या बचाना है, तो वैश्विक समाज को प्रकृति के प्रति प्रत्येक दर्शन के दृष्टिकोण और विचारधारा का ईमानदारी के साथ विश्लेषण करना होगा। कोविड-19 के भयावह रूप लेने से विश्व में कहीं न कहीं लोगों द्वारा शाकाहारी भोजन को अपनाना, सामान्य जीवन में अभिवादन हेतु भारतीय परम्परा के प्रतीक ‘नमस्ते’ को अंगीकार करना और भोजन की पवित्रता व उसके स्वच्छ होने की प्रासंगिकता आदि को समझना-इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं।-बलबीर पुंज

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!