कब्जे से मुक्त कराई जमीनों पर स्कूल, अस्पताल, खेल मैदान बनाए मान सरकार

Edited By ,Updated: 10 Aug, 2022 06:01 AM

government should build schools hospitals on lands freed from occupation

सन् 1904 से चंद प्रभावशाली लोगों के अवैध कब्जे में रही फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव चलेरी कलां की 417 एकड़ पंचायती जमीन 118 साल बाद सरकार ने खाली करा ली। इस जमीन के एक

सन् 1904 से चंद प्रभावशाली लोगों के अवैध कब्जे में रही फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव चलेरी कलां की 417 एकड़ पंचायती जमीन 118 साल बाद सरकार ने खाली करा ली। इस जमीन के एक हिस्से पर अब सरकारी पशु अस्पताल बनेगा। मोहाली के माजरी ब्लॉक में 350 करोड़ रूपए की 2828 एकड़ जमीन 15 प्रभावशाली लोगों के कब्जे से छुड़ाई गई। बरसों से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे अकेले फतेहगढ़ साहिब या मोहाली में नहीं बल्कि पूरे पंजाब में हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक 50,000 एकड़ से ज्यादा पंचायती और जंगलाती जमीनें रसूखदारों के अवैध कब्जे में हैं। 

‘लैंडलॉक्ड’ पंजाब में जहां आसमान छूते जमीन के दामों की वजह से गरीब बेघर को छत नसीब नहीं, बड़े सरकारी अस्पताल नहीं,औद्योगिक विकास व रोजगार के नए अवसर हाथ से निकल रहे हैं,वहां अवैध कब्जों से सरकारी जमीनें छुड़ाने की आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार की यह पहल राज्य की आर्थिक हालत बेहतर कर विकास व रोजगार की रफ्तार बढ़ा सकती है। 

अवैध कब्जे से छुड़ाई जमीनों की सही उपयोगिता से सरकार जहां हजारों गरीबों की अपनी छत का सपना पूरा कर सकती है वहीं कई सारे गांवों में डिस्पैंसरी,अस्पताल,पशु,अस्पताल, स्कूल, धर्मशाला और खेल के मैदान बनाए जा सकते हैं। कई सारी पंचायती व जंगलाती जमीनों पर रसूखदारों ने अपने एकांतवास के लिए फार्महाऊस बना रखे हैं। इन ‘एशगाहों’(फार्महाऊस) को पशु चारागाहों में तबदील किया जा सकता है। जंगलाती जमीनों को वापस जंगलात इलाकों में शामिल कर पर्यावरण संतुलित हो सकता है। कब्जे मुक्त कराई शहरों से लगती महंगी जमीनों पर आवासीय कॉलोनियां,कमर्शियल काम्पलैक्स,इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट हो सकते हैं। ऐसी हजारों एकड़ सरकारी जमीन की सही उपयोगिता के लिए यह 5 अहम कदम उठाए जा सकते हैं : 

पहला,गरीब बेघर को छत :  केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक पंजाब में 46714 गरीब लोग बेघर हैं। कब्जा मुक्त कराई गई पंचायतों की सांझा जमीन (जुमला मुश्तरका मालिकाना) से 5 मरले तक के प्लाट गरीब बेघरों को दिए जा सकते हैं। इसके लिए 2016 में पंजाब सरकार ने ईस्ट पंजाब होल्डिंग (कंसॉलिडेशन एंड प्रिवैंशन ऑफ फ्रैगमैंटेशन) एक्ट-1948 में संशोधन को मंजूरी दी थी। 

दूसरा, स्कूल-अस्पताल : शिक्षा के साथ युवाओं को हुनर के हथियार से सशक्त करने के लिए नए इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट(आई.टी.आई) कब्जामुक्त जमीनों पर खोले जा सकते हैं। हरेक गांव में ‘पिंड क्लीनिक’ के अलावा 50 गांवों के समूह पर एक सरकारी अस्पताल ऐसी जमीनों पर खोले जा सकते हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा की तर्ज पर हरेक जिले में एक मैडिकल कॉलेज के साथ 300 बिस्तर के मल्टीस्पैशिलिटी अस्पताल भी बनाए जा सकते हैं। 

तीसरा, वन क्षेत्र : पड़ोसी राज्य हरियाणा और हिमाचल की तुलना में पंजाब का तेजी से घटता वन क्षेत्र पर्यावरण असंतुलन के लिए खतरा है। केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरैस्ट रिपोर्ट’ के मुताबिक पंजाब में 456 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र अवैध कब्जों और निर्माण कार्यों की भेंट चढ़ा। 2985 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र राज्य के कुल 50,362 वर्ग किलोमीटर जियोग्राफिकल एरिया का मात्र 6 प्रतिशत है जबकि देश के कुल जियोग्राफिकल एरिया का 24.62 प्रतिशत वन क्षेत्र से ढंका है। 9000 एकड़ वन क्षेत्र से कब्जे छुड़ा इन्हें वापस जंगलात इलाकों में शामिल करने से पर्यावरण संतुलित करने में मदद मिलेगी। 

चौथा, कमर्शियल-इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट : ‘लैंडलॉक्ड’ पंजाब में नया औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के रास्ते सबसे बड़ी बाधा महंगी जमीन है। विकसित औद्योगिक शहरों में जमीन के दाम प्रति एकड़ दो से तीन करोड़ रुपए हैं। औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार के पास विकसित औद्योगिक शहरों में रियायती दरों पर कोई लैंड बैंंक नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए 2017 में पंजाब सरकार ने ‘दॅ पंजाब विलेज कामन लैंड रैगुलेशन एक्ट-1961’ में संशोधन कर पंचायतों की खेती में उपयोग होने वाली शामलात जमीन की खुली नीलामी से ग्रामीण व औद्योगिक रूप से पिछड़े इलाकों में कमर्शियल काम्पलैक्स एंव इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट विकसित करने का रास्ता साफ किया गया। 

पांचवां,आमदन में बढ़ौतरी : 1944 में जमीनों की सांझी जमाबंदियों के तहत गांव के किसानों से ही जुटाई गई शामलात जमीन का मालिकाना हक पंचायती राज एक्ट-1951 के अधीन गांव पंचायतों का सौंपा गया। ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के अधीन 6.68 लाख एकड़ जमीन में से 4.98 लाख एकड़ खेती योग्य नहीं है। खेती के लिए उपजाऊ 1.70 लाख एकड़ में से 23000 एकड़ जमीन प्रभावशाली लोगों के कब्जे में है जबकि 1.47 लाख एकड़ जमीन भूमिहीन छोटे किसानों को औसतन 29000 रुपए प्रति एकड़ लीज पर देने से ग्रामीण विकास एंव पंचायत विभाग को वित्त वर्ष 2021-22 में 384 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। कब्जाधारियों से 23000 एकड़ उपजाऊ जमीन छुड़ाने से विभाग की लीज कमाई में सालाना करीब 70 करोड़ रुपए का इजाफा हो सकता है। 

मई से जुलाई के दौरान 3 महीने में 9000 एकड़ जमीन अवैध कब्जाधारियों के चंगुल से छुड़ाई गई। कब्जा मुक्त कराई जमीनों में से हरेक साल 10,000 एकड़ जमीन की सही उपयोगिता से न केवल सरकार को राज्य की आर्थिक हालत सुधारने में मदद मिलेगी बल्कि इससे पंजाब के 12500 गांवों में शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर किया जा सकता है।(वाइस चेयरमैन सोनालीका ग्रुप तथा पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन)-डा. अमृत सागर मित्तल

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