‘उसने मेरे चेहरे पर तेजाब फैंका लेकिन मेरे सपनों को नहीं जला सका’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2019 04:57 AM

he threw acid on my face but could not burn my dreams

चार साल पहले जब रेशमा खातून पर एसिड अटैक हुआ था तो उसे लगा था कि शायद अब जिन्दगी खत्म हो गई है। इस हमले में उसका चेहरा बुरी तरह जल गया था और आंखों की रोशनी भी जा चुकी थी। लेकिन रेशमा न केवल उस हादसे से बाहर आई बल्कि उसने अपनी जिंदगी संवारने की ऐसी ..

चार साल पहले जब रेशमा खातून पर एसिड अटैक हुआ था तो उसे लगा था कि शायद अब जिन्दगी खत्म हो गई है। इस हमले में उसका चेहरा बुरी तरह जल गया था और आंखों की रोशनी भी जा चुकी थी। लेकिन रेशमा न केवल उस हादसे से बाहर आई बल्कि उसने अपनी जिंदगी संवारने की ऐसी कोशिश की जोकि मिसाल बन गई। 

गत शनिवार को रेशमा की शादी थी। फेसबुक के जरिए मिले एक शख्स से उसने शादी की। इस मौके पर रेशमा काफी खुश थी। उसने बताया कि वह अपने पार्टनर अशोक से फेसबुक के जरिए मिली थी। उन्होंने शुरू के कुछ दिनों तक सिर्फ बातें कीं और फिर मिलने का फैसला किया। रेशमा ने बताया, ‘‘एक साल में उन्होंने मुझे प्रपोज किया लेकिन मुझे लगता था कि अशोक से शादी करने के बाद उसकी जिंदगी असामान्य हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और न केवल उन्होंने, बल्कि उनके परिवार ने मुझे इतना प्यार दिया कि अब मुझे ऐसा नहीं लगता।’’ 

2014 में रेशमा के ऊपर एक मनचले ने तेजाब फैंका था। वह बताती है, ‘‘उसने मेरे चेहरे पर तेजाब जरूर फैंका था लेकिन वह मेरे सपनों को नहीं जला सका।’’ उस लम्हे को याद करते हुए आज भी रेशमा का दिल कांप उठता है। उसने बताया कि वह व्यक्ति एक कार में आया था और तेजाब की पूरी बोतल उसके ऊपर उंडेल कर चला गया। वह मंजर इतना भयावह था कि रेशमा के बाल और त्वचा पिघल कर कपड़ों पर आ गए थे। इसके बाद रेशमा को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि कोई भी डाक्टर उसका केस लेने से घबरा रहा था। 

उस वक्त रेशमा बुरी तरह से हिम्मत हार चुकी थी। कोई हैरानी की बात नहीं कि एक ऐसा भी समय आया जब उसने सब कुछ छोड़ देने का मन बना लिया था लेकिन उसकी मां ने उसे हौसला दिया और एसिड अटैक सर्वाइवर्स फाऊंडेशन की मदद से उसे इलाज मुहैया करवाया गया। दो वर्षों के दौरान 18 सर्जरियों के बाद रेशमा बैड से उठने और कुछ देख पाने के काबिल हो पाई। उसने अतिजीवन फाऊंडेशन की सहायता से कम्प्यूटर का वोकेशनल कोर्स किया और नौकरी भी हासिल की। फिलहाल वह नोएडा स्थित एक होटल में काम कर रही है। रेशमा खातून ने बताया कि उसका पति पंजाब के होशियारपुर में काम करता है जबकि वह नोएडा में। उन्होंने निर्णय किया है कि जब तक वे अपने करियर्स में सुरक्षित तथा स्थिर नहीं हो जाते, वे एक साथ नहीं रहेंगे। 

चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुए उसने कहा कि वह एसिड हमले से बचे सभी लोगों को यही संदेश देना चाहती है कि वे उसे एक उदाहरण के तौर पर लें। बेशक वह एक आंख से देखने के काबिल हो पाई है लेकिन वह अपने सभी काम खुद करती है और यही महत्वपूर्ण है। सामान्य की ओर लौटने में उसके लम्बे संघर्ष में अतिजीवन फाऊंडेशन की प्रज्ञा सिंह ने उसका साथ दिया। वह बेंगलूर में प्रज्ञा से मिली थी और उसी के पत्र ने उसे अपनी पढ़ाई समाप्त करने तथा नौकरी के लिए योग्य बनने में मदद की।

प्रज्ञा सिंह पर भी 2006 में एसिड अटैक हुआ था और उसने 2013 में अतिजीवन फाऊंडेशन की स्थापना की थी, जिसने अब तक एसिड अटैक के 200 से अधिक पीड़ितों की नि:शुल्क करैक्टिव सर्जिकल प्रक्रियाओं में मदद की। प्रज्ञा का मानना है कि एसिड अटैक की पीड़िताओं को कोई कौशल सीखने में मदद करके अथवा उच्च शिक्षा जारी रखने हेतु प्रेरित करके उनका सशक्तिकरण किया जा सकता है।-एस. बिसारिया

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!