Edited By ,Updated: 26 Jun, 2019 05:10 AM
किसी भी राज्य के विकास की रफ्तार वहां होने वाले निवेश से ही जुड़ी होती है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले निवेश से ही रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को बल भी मिलता है। शायद यह बात हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर...
किसी भी राज्य के विकास की रफ्तार वहां होने वाले निवेश से ही जुड़ी होती है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले निवेश से ही रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को बल भी मिलता है। शायद यह बात हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समझ चुके हैं।
यही कारण है कि 85,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य लेकर चले जयराम ठाकुर को अब भारत के अलावा बाहरी देशों के उद्योगपतियों का सहयोग मिलना भी शुरू हो गया है। उनके हैदराबाद और बेंगलूर के सफल दौरों के बाद जर्मनी, नीदरलैंड और दुबई के दौरों में वहां के उद्योगपतियों ने हिमाचल में निवेश करने की रुचि प्रकट की है। हालांकि इसी वर्ष फरवरी माह में लगभग 17,356 करोड़ रुपए के निवेश के 159 एम.ओ.यू. राज्य सरकार निवेशकों के साथ साइन कर चुकी है।
7-8 नवम्बर को धर्मशाला में आयोजित होने वाली इन्वैस्टमैंट मीट को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में राज्य की अफसरशाही इन दिनों देश और विदेशों में जाकर निवेशकों को आमंत्रित कर रही है। वहीं निवेशकों को आकॢषत करने के लिए राज्य सरकार नई उद्योग नीति में कई प्रकार की रियायतें भी देने जा रही है। अगर सरकार के ये प्रयास सिरे चढ़ते हैं तो जाहिर है कि राज्य में आने वाले निवेश के चलते बेरोजगारी की समस्या का भी हल निकलेगा।
निवेश के लिए लैंड बैंक जरूरी
पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश में वन भूमि ज्यादा है और सरकार के अधिकार वाली भूमि की यहां पर कमी है, जिस कारण राज्य सरकार के पास अपना कोई बड़ा लैंड बैंक नहीं है लेकिन इन्वैस्टर-मीट के चलते इस बार सरकार ने सभी जिलों में सरकारी और निजी भूमि को मिलाकर लैंड बैंक का एक प्रारूप तैयार किया है क्योंकि राज्य में जो भी निवेश आएगा उसके लिए बहुत ज्यादा भूमि की जरूरत रहेगी।
वहीं निवेश के आड़े आने वाली धारा 118 के सरलीकरण की ओर भी सरकार आगे बढ़ी है। निवेश के लिए अनिवार्यता प्रमाण-पत्र के वक्त और धारा 118 की मंजूरी से पहले अनेक अनापत्ति प्रमाण-पत्रों की जरूरत को अब खत्म किया जा रहा है, जिससे निवेशक के समय की बचत होगी और उसे केवल औद्योगिक इकाई लगाने के वक्त ही कुछ अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेने होंगे। यही नहीं, राज्य सरकार के पास आने वाले सभी प्रकार के निवेशकों के प्रोजैक्ट पर हर समय मुख्यमंत्री कार्यालय की आंख रहेगी, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने हिम प्रगति नाम से एक पोर्टल शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री की सलाह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचल प्रदेश में बतौर भाजपा प्रभारी रहे हैं, इसलिए राज्य से पूरी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हिमाचल को दुनिया में टूरिज्म स्टेट बनाने की सलाह दी है। प्रधानमंत्री की इस सलाह पर मुख्यमंत्री आगे बढ़ भी रहे हैं और उन्होंने राज्य में पर्यटन विकास के लिए कुछ योजनाएं अपने पहले और दूसरे बजट में पेश की थीं लेकिन अफसरशाही उनकी योजनाओं को अभी तक अमलीजामा नहीं पहना पाई है। नए पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करने पर अभी तक केवल कागजी प्रक्रिया ही चल रही है और फील्ड पर कहीं कोई काम नजर नहीं आ रहा है।
विदेश दौरों पर गए मुख्यमंत्री के समक्ष पर्यटन क्षेत्र में निवेश की कई परियोजनाएं सामने आ रही हैं। यही नहीं, फरवरी माह में पर्यटन क्षेत्र में निवेश के 36 एम.ओ.यू. हो चुके हैं जिनमें 2810 करोड़ रुपए का निवेश होना है। माना जा रहा है कि नवम्बर माह में धर्मशाला में होने वाली इन्वैस्टमैंट मीट में पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए सैंकड़ों करोड़ों रुपए के और निवेश के कई प्रस्ताव आ सकते हैं। वहीं प्रदेश में सड़कों की खराब हालत को सुधारने और सैलानियों के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे का विकास करना भी सरकार को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना होगा।
अनेक विभागों के दखल से निजात
हिमाचल प्रदेश में निवेश के लिए विभिन्न विभागों की थका देने वाली औपचारिकताओं को जयराम सरकार कुछ हद तक तो दूर करने जा रही है लेकिन राज्य में छोटा या बड़ा उद्योग लगाने के लिए अन्य विभागों के गैर-जरूरी दखल को भी खत्म करना होगा क्योंकि राजस्व, नगर नियोजन, श्रम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य और बिजली विभाग की जरूरत से ज्यादा औपचारिकताएं निवेशकों को हिमाचल प्रदेश से अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर करती हैं। हिमाचल भले ही विद्युत सरप्लस राज्य है लेकिन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां पर कमर्शियल विद्युत कनेक्शन लेना काफी मुश्किल है।-डा. राजीव पत्थरिया