‘कैसे बीता सेना का विलक्षणताओं से भरा साल’

Edited By ,Updated: 01 Jan, 2021 04:10 AM

how a military year filled with fantasies

हथियारबंद सेनाओं का ढांचा, आधुनिकीकरण, सैन्य तैयारी, बहुपक्षीय विकास, वेतन-भत्ते, पैंशन आदि जैसे खर्चों का दारोमदार जहां रक्षा बजट पर निर्भर करता है वहीं सरकार की दूरदर्शिता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के साथ शासकों द्वारा सैन्य

हथियारबंद सेनाओं का ढांचा, आधुनिकीकरण, सैन्य तैयारी, बहुपक्षीय विकास, वेतन-भत्ते, पैंशन आदि जैसे खर्चों का दारोमदार जहां रक्षा बजट पर निर्भर करता है वहीं सरकार की दूरदर्शिता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के साथ शासकों द्वारा सैन्य वर्ग के कल्याण हेतु स्पष्ट नीति पर साफ नीयत का होना भी जरूरी है। इस संबंध में सेना के बीते साल की विशेषताओं तथा चुनौतियों का विशलेषण करना जरूरी है। 

नयापन-पहली बार : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 दशकों से पैंडिंग सुरक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2019 को अचानक चीफ ऑफ डिफैंस स्टाफ (सी.डी.एस.) की स्थापना करने वाली अपनी मंशा जाहिर की। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की सिफारिशों पर नैशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एन.एस.ए.) अजीत डोभाल वाली उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को मुख्य रखते मोदी सरकार ने सी.डी.एस. का मुख्य ढांचा, कत्र्तव्य, जिम्मेदारियां आदि निश्चित करके 24 दिसम्बर, 2019 को आदेश जारी कर दिया। 

उल्लेखनीय है कि जनरल बिपिन रावत को देश का पहला सी.डी.एस. नियुक्त कर दिया गया तथा उन्होंने 1 जनवरी 2020 को यह पद संभाल लिया। इसके साथ ही सैन्य मामलों से संबंधित एक नया विभाग डी.एम.ए. अस्तित्व में आया जोकि सेना के ढांचे में परिवर्तन का मुख्य संकेत कहा जा सकता है। देश तथा फौज के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब 71वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नव-नियुक्त सी.डी.एस., तीनों फौजों के प्रमुख तथा रक्षा सचिव समेत पहले की तरह अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट की बजाय नैशनल वार मैमोरियल (एन.डब्ल्यू.एम.) में परम्परा के अनुसार शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट की। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने बीती 25 फरवरी को एन.डब्ल्यू.एम. देश को समॢपत किया था जहां 25942 शहीदों के नाम अंकित हैं। 

विशेष घटनाएं : हथियारों की खरीद-फरोख्त में कथित घपलों के कारण देशवासियों को इस बात की जानकारी तो है कि भारत महत्वपूर्ण जरूरतों की पूर्ति जैसे कि बोफोर्स तोपों, हैलीकॉप्टर, राफेल वगैरह आयात करता है परन्तु इस बात की जानकारी आम जनता को कम ही होगी कि हमारा देश विशेष तौर पर कई छोटे देशों को हथियार निर्यात भी करता है। इस संबंध में लखनऊ में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की देखरेख में 5 से 8 फरवरी के बीच रक्षा प्रदर्शनी लगाई गई जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया। इस प्रदर्शनी में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स ने प्रमुख भूमिका निभाई तथा 856 भारतीय डिफैंस फर्मों ने उनकी तरफ से तैयार किए गए कई किस्म के हथियार, यंत्र, सैन्य साजो-सामान प्रदर्शित किए। 

सुप्रीमकोर्ट ने 17 फरवरी को लिंग भेदभाव को खत्म करने के नजरिए के साथ महिलाओं को हथियारबंद सेनाओं में स्थायी कमिशन मुहैया करवाने के साथ-साथ कमांड संभालने का रास्ता भी साफ कर दिया। भारतीय सेना के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब असम राइफल्स से महिला सैनिकों को गत वर्ष के मध्य में डैपुटेशन पर लाकर उत्तरी कश्मीर के तंगधार सैक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल (एल.ओ.सी.) के नजदीक जारी अप्रत्यक्ष युद्ध में अपनी नियमित भूमिका निभाने के लिए तैनात कर दिया। 

भारत ने 59000 करोड़ की लागत से राफेल फाइटर जैट फ्रांस से खरीदने के लिए सितम्बर 2016 में सौदा किया। पहले 5 विमान जुलाई 2020 में भारत पहुंचे तथा उनको रक्षामंत्री ने फ्रांस के रक्षामंत्री की उपस्थिति में 10 सितम्बर को एयरफोर्स स्टेशन अम्बाला के 17 एयरफोर्स स्क्वाड्रन को सौंप दिया जिसके साथ जंगी तैयारी को बल मिलेगा। 

भारतीय सेना की सराहनीय भूमिका-चीन के इरादे नेक नहीं : बीते साल के शुरू में आर्मी मैडीकल कोर के डायरैक्टोरेट मैडीकल सॢवसेज इंडियन एयरफोर्स के साथ मिलकर कोरोना वायरस से जूझ रही थी तो चीन ने घटिया हरकतों से बाज न आते हुए लद्दाख के पश्चिमी सैक्टर में पेंगौंग-त्सो झील के उत्तरी तरफ भारतीय क्षेत्र में 5/6 मई को पी.एल.ए. के कुछ सैनिक दाखिल करके तार वाले डंडों से हमला किया। 15/16 जून को गलवान घाटी में दुश्मन को पीछे धकेलते समय हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए। चीन के भी लगभग 40 से अधिक हमलावर मारे गए। वहां पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है। दोनों देशों के लगभग 50-50 हजार सैनिक आमने-सामने हैं। चीन कहीं युद्ध की तैयारी में तो नहीं लगा हुआ था। 

यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि अलग तौर पर निर्धारित किए गए 1,33,829 करोड़ के पैंशन बजट को घटाने के मकसद से सी.डी.एस. कई तरह के सुझाव पेश कर रहा है। एक तरफ तो वित्त मंत्री ने 1 जनवरी से लागू होने वाले महंगाई भत्ते पर 18 महीनों के लिए रोक लगा दी है, फिर जब 15/16 जून को गलवान घाटी में हमारे शहीदों का खून अभी सूखा भी नहीं था, सैनिकों की पैंशनें कम करने वाली खबर अखबारों में सुर्खी बनी। इसका सबसे अधिक प्रभाव विधवाओं पर पड़ेगा। ‘जय जवान जय किसान’ के संकल्प को लागू करने के लिए सेना का राजनीतिकरण बंद हो, किसानों की समस्याओं को तुरन्त हल किया जाए। इससे देश और सेना की भलाई होगी।-ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.)
 

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