तकनीक से कितना बदल जाएगा ‘मनुष्य का जीवन’

Edited By ,Updated: 14 Oct, 2019 12:55 AM

how much life will change with technology

एक पुराना परिहास है कि भविष्यवाणियां करना कठिन है, विशेषकर भविष्य के बारे में। हालांकि एक तरीका है जिससे हम बदलाव की दर बारे भविष्यवाणी कर सकते हैं। इसे मूर का नियम कहा जाता है जो कम्प्यूटर चिप कम्पनी इंटेल के संस्थापक गॉर्डन मूर के नाम पर है। 50...

एक पुराना परिहास है कि भविष्यवाणियां करना कठिन है, विशेषकर भविष्य के बारे में। हालांकि एक तरीका है जिससे हम बदलाव की दर बारे भविष्यवाणी कर सकते हैं। इसे मूर का नियम कहा जाता है जो कम्प्यूटर चिप कम्पनी इंटेल के संस्थापक गॉर्डन मूर के नाम पर है। 50 से भी अधिक वर्ष पूर्व उन्होंने पाया कि निर्धारित कीमत पर उपलब्ध गणना की ताकत (कम्प्यूटिंग पावर) प्रत्येक करीब 18 महीनों में दोगुनी हो जाती है। यह ट्रांजिस्टर्स की संख्या पर आधारित था, जिन्हें एक चिप पर लगाया जा सकता था। यह न्यूटन के गति के तीसरे नियम की तरह एक ‘नियम’ नहीं था, बल्कि एक अवलोकन था।

सटीक भविष्यवाणियां
यद्यपि यह अत्यंत सटीक साबित हुआ तथा मूर द्वारा गत 50 वर्षों या अधिक समय में की गई भविष्यवाणियां सही साबित हुई हैं। गणना की ताकत प्रत्येक वर्ष कम से कम एक विशेष दर पर बढ़ती है और इससे अन्य भविष्यवाणियां करना सम्भव बना है। ऐसी सटीक भविष्यवाणियां करने वाले सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति रे कुर्जवील हैं जो एक आविष्कारक हैं और वर्तमान में गूगल के लिए काम कर रहे हैं। वह नोस्त्रादमस जैसा व्यक्तित्व हैं, जिनको विश्व भर में लाखों लोग फॉलो करते हैं क्योंकि वह ऐसा बहुत लम्बे समय से और सटीकता से कर रहे हैं। उनका पहला कार्य एज ऑफ इंटैलीजैंट मशीन्स था, जो उन्होंने 1980 के दशक के अंत में लिखना शुरू किया था।

मूर के नियम के संस्करण का इस्तेमाल करते हुए कुर्जवील उस पुस्तक में यह भविष्यवाणी करने में सक्षम थे कि कम्प्यूटर 1998 तक शतरंज के विश्व चैम्पियन को हरा देगा। उससे एक वर्ष पूर्व आई.बी.एम. के कम्प्यूटर डीप ब्लू ने गैरी कास्पारोव को हरा दिया था। कुर्जवील ने कुछ ऐसी भविष्यवाणी की थी कि 2010 से पूर्व गूगल वाईफाई नैटवर्क पर आ जाएगा। 2010 में उन्होंने अपनी विभिन्न पुस्तकों में की गई 147 भविष्यवाणियों को सूचीबद्ध किया। उनमें से केवल तीन पूरी तरह से गलत साबित हुईं।

सपना नहीं, गणना की ताकत
यही कारण है कि अगले 10 वर्षों के लिए उन्होंने जो भविष्यवाणियां की हैं, हममें रुचि जगाए रखेंगी क्योंकि उनका रिकार्ड भविष्य में भी उतना अच्छा है जितना अतीत में था, उनके द्वारा पहले से देखी गई सभी या अधिकतर चीजें सामने आ जाएंगी। याद रखें कि यह पूरी तरह से गणना की ताकत पर आधारित है, जो हमें उपलब्ध होगी, न कि उनके किसी सपने पर। वह महज बैठ कर अनुमान नहीं लगाते। वह कम्प्यूटिंग टैक्नोलॉजी की प्रगति का मानचित्रण करते हैं और फिर आकलन करते हैं कि ऐसी ताकत उपलब्ध होने पर क्या उसके सक्षम है। उदाहरण के लिए, 30 वर्ष पूर्व यह देखना आसान होता कि लघुरूपण तथा टचस्क्रीन्स की प्रक्रिया के साथ आज हम जिन स्मार्टफोन्स का सामान्य इस्तेमाल कर रहे हैं, इतनी कम कीमत पर उपलब्ध होंगे मगर तकनीकी जगत से बाहर हम में से किसी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा।

कुर्जवील ने भविष्यवाणी की है कि यदि सभी नहीं तो अधिकांश बीमारियां अगले दशक तक आसानी से सुसाध्य होंगी। वह सोचते हैं कि ऐसा नैनो-बोट्स द्वारा सम्भव होगा, अर्थात अत्यंत छोटे रोबोट जो हमारे रक्त प्रवाह में दाखिल हो सकते हैं। मनुष्यों की औसत जीवन प्रत्याशा काफी तेजी से बढ़ रही है तथा 1960 से भारतीयों के लिए यह 40 से महज कुछ अधिक से बढ़ कर 70 से जरा कम वर्षों तक पहुंच गई। बीमारियों से लडऩे में नाटकीय सुधारों के साथ अन्य 30 वर्षों तक जा सकती है, जो एक ऐसी चीज है जिसे कभी कुछ दुर्लभ मनुष्य ही हासिल कर पाए हैं। इसके साथ ही एक्सोस्कैल्टन्स तथा कृत्रिम अंगों का विकास भविष्य में लोगों को 100 से अधिक वर्षों तक तथा अतीत के मुकाबले अधिक गतिशील तथा सक्रिय जीवन जीने के काबिल बनाएगा। सेवानिवृत्ति की आयु पर पुनर्विचार करने की जरूरत होगी। 

आभासी वास्तविकता
कुर्जवील का कहना है कि आगामी 15 वर्षों में आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रिएलिटी) सब कुछ बन जाएगी और इसे वास्तविकता से अलग नहीं किया जा सकेगा। अर्थात जो लोग आभासी 3डी दुनिया में दाखिल होंगे वे उसी तरह देख, छू, सूंघ तथा सुन सकेंगे जैसे कि हम आज प्रमाणिकतापूर्वक करते हैं। बहुत से लोग बाहरी वास्तविक दुनिया की समस्याओं की बजाय एक ऐसी कृत्रिम लेकिन लगभग दोषहीन दुनिया में रहना पसंद करेंगे। कुर्जवील ने हमारे खुद के नए शरीरों में अपलोड तथा डाऊनलोड के विकल्पों के साथ हमारी चेतना के डिजीटल जगत में विलय बारे भविष्यवाणी की है।

तकनीकी जगत में कुछ अन्य लोग हैं जो ऐसी क्षमताएं आने पर कहीं अधिक अंधकारमय भविष्य देखते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें संदेह है कि यह नजदीक है तथा हमारी सोच से भी अधिक तेजी से हम तक पहुंच रही है। यदि हम इसके बारे में सोचें तो वर्तमान में हम साइबोग्र्स हैं, अर्थात आधे मनुष्य तथा आधे रोबोट। हमारा फोन हमारा खुद का एक विस्तार है तथा इसके साथ हम दुनिया में किसी भी प्रश्र का उत्तर दे सकते हैं। इसकी लोकेशन्स के माध्यम से हम दुनिया में किसी भी स्थान को खोज सकते हैं। हममें से 1990 में कितने लोग थे (मैं था) जो इसकी भविष्यवाणी कर सकते थे?

वायस व थॉट्स कमांड
हमारी वर्तमान समस्या डाटा की दर है अर्थात हम डाटा इनपुट में धीमे हैं क्योंकि टाइप करने के लिए हम केवल अपने अंगूठों (स्मार्टफोन्स पर) का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह वायस कमांड्स के साथ जरा-सा तेज हुआ है लेकिन आगामी कदम, जो विचारों की कमांड का है, शीघ्र ही नजर आ रहा है। और याद रखें कि जैसे स्मार्टफोन्स पृथ्वी पर सबसे गरीब देशों में से एक भारत में भी आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध हैं, यह भी कोई ऐसी तकनीक नहीं होगी जो केवल अमीरों अथवा कुछ लोगों के लिए होगी। इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा तथा अत्यंत अमीरों के लिए यह अलग नहीं होगी, ठीक वैसे ही जैसे अत्यंत धनाढ्य लोगों के लिए आज कोई ऐसा स्मार्टफोन नहीं है जो कुछ ऐसा कर सकता हो जो नियमित रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले स्मार्टफोन्स न कर सकते हों।

मनुष्यों के तौर पर हमारी क्षमताएं तथा हम अपने तौर पर क्या हासिल कर सकते हैं, इसमें भी नाटकीय रूप से अत्यंत वृद्धि होगी। जो लोग आगे बढऩे वाले, उत्साही तथा मेहनत करने वाले हैं, ऐसी चीजें उत्पन्न करने में सक्षम होंगे जो पहले केवल बड़ी कार्पोरेशन्स कर सकती थीं। मगर हम जैसों के लिए भी, जो आगे बढऩे वाले तथा मेहनती नहीं हैं, जीवन आज के मुकाबले कहीं अधिक रुचिकर तथा अत्यंत अलग होगा। — आकार पटेल

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