‘भारत अगर शरीर है तो किसान उसकी आत्मा’

Edited By ,Updated: 17 Dec, 2020 04:51 AM

if india is a body then the farmer is his soul

कृषि सुधारों के लिए बनाए गए कानूनों के कुछ प्रावधानों के प्रति आशंकाओं से भरे किसानों का एक वर्ग आंदोलन की राह पर है । किसानों  की इन आशंकाओं को निर्मूल करने के लिए केंद्र सरकार जिस तत्परता से किसान प्रतिनिधियों से बात कर रही है

कृषि सुधारों के लिए बनाए गए कानूनों के कुछ प्रावधानों के प्रति आशंकाओं से भरे किसानों का एक वर्ग आंदोलन की राह पर है । किसानों  की इन आशंकाओं को निर्मूल करने के लिए केंद्र सरकार जिस तत्परता से किसान प्रतिनिधियों से बात कर रही है वह सराहनीय है और उम्मीद है कि जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकल आएगा। पर इस दौरान विपक्ष का जो घिनौना चेहरा देखने को मिला है वह अकल्पनीय है। 

पिछले साढ़े 6 वर्षों में विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के किसी भी कदम का समर्थन नहीं किया है और यह भी विदित था कि वह किसानों की आर्थिक संपन्नता के मद्देनजर बनाए गए इन तीन कानूनों का भी समर्थन नहीं करेगी पर संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए जिस तरह कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने किसानों के एक वर्ग को गुमराह करने के साथ साथ राष्ट्रविरोधी तत्वों को इस आंदोलन की आड़ में शह दी है उसके लिए उन्हें देश कभी माफ नहीं करेगा। 

भारत अगर शरीर है तो किसान उसकी आत्मा है, देश के 70 प्रतिशत लोग किसान हैं। सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण तभी संभव है जब देश का किसान आर्थिक रूप से समृद्ध और सम्पन्न होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने देश की बागडोर संभालने के पश्चात इसी वर्ग के उत्थान पर अपना सर्वाधिक ध्यान दिया है और फरवरी, 2016 में देश के समक्ष वायदा किया कि उनकी प्राथमिकता वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आय को दोगुना करना है। यही कारण है कि स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार किसानों के लिए सबसे अधिक योजनाएं मोदी सरकार के कार्यकाल  में बनी हैं। 

अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 14 करोड़ किसानों को पिछले दो सालों में 94,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मोदी सरकार के इस कार्यकाल के दौरान एम.एस.पी. लगभग दो गुना बढ़ी है। किसान फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना, सॉयल  हैल्थ कार्ड योजना, आधुनिक कृषि बाजार योजना, ई- नाम, किसानों को सीधे बैंकों के साथ जोडऩा जैसे अनेक कदमों से किसानों को अत्यधिक लाभ पहुंचा है। इसके साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के तहत किसानों के लिए 1.65 लाख रुपए के पैकेज का प्रावधान किया गया है। 

कृषि सुधारों के प्रति लाए गए 3 कानूनों की अगर हम बात करें तो इन कानूनों में एक भी ऐसा प्रावधान नहीं है जिससे किसानों को कोई नुक्सान पहुंचता हो परन्तु कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने किसानों को भविष्य में होने वाले ‘काल्पनिक नुक्सान’ का भय दिखाकर सड़कों पर उतार दिया। कांग्रेस ने 60 वर्षों के शासन में कभी किसानों की ङ्क्षचता नहीं की। उनकी गलत नीतियों के कारण ही देश भर में तीन लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्याएं कीं। 

मोदी सरकार के लिए किसान हित सर्वोपरि हैं, किसानों को समझना होगा कि विपक्ष केवल उन्हें गुमराह करके अपना राजनीतिक स्वार्थ साध रहा है। नए कानूनों के अनुसार राज्यों की ए.पी.एम.सी. के अधिकार बरकरार रहेंगे। इसलिए किसानों के पास सरकारी एजैंसियों का विकल्प भी खुला रहेगा। नए कानून किसानों को  अंतर्राज्यीय व्यापार के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ताकि किसान अपने उत्पादों को दूसरे राज्य में स्वतंत्र रूप से बेच सकें। वर्तमान में विभिन्न राज्यों के द्वारा ए.पी.एम.सी. के माध्यम से कृषि  पर 1 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक मंडी शुल्क लिया जाता है पर नए कृषि कानून से यदि मंडी से बाहर फसल बिकती है तो यह शुल्क पूर्णतया समाप्त हो जाएगा। 

यही वजह है कि पंजाब में कांग्रेस सरकार ही किसानों के आंदोलन को हवा दे रही है। किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए प्राइवेट प्लेयर्स या एजैंसियों के साथ भी सांझेदारी कर सकते हैं। किसान बड़े व्यापारियों और निर्यातकों के साथ जुड़ पाएंगे, जो नई तकनीक में निवेश करके खेती को लाभदायक बनाएंगे। जो भी हो, किसानों को संकीर्ण स्वार्थ और दुष्प्रचार करने वाले दलों के बहकावे में आने से बचना होगा, जो कल तक वे सब कुछ करने की जरूरत जता रहे थे, जो आज मोदी सरकार ने करके दिखाया है। किसानों को यह समझना होगा कि मोदी सरकार किसानों की हितैषी सरकार है, वह कभी नहीं चाहेगी कि देश के अन्नदाता को थोड़ा-सा भी नुक्सान पहुंचे। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का जो वायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से किया है वह अवश्य पूरा किया जाएगा।-प्रेम कुमार धूमल(पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल)

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