इमरान खान : ‘आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने’

Edited By Pardeep,Updated: 02 Aug, 2018 03:35 AM

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पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास की चुनावी जंग में इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को नैशनल असैंबली में 272 में से 116 सीटें हासिल करके सत्तासीन होने का मौका मिला है। जीत हासिल करने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में इमरान खान ने भविष्य की राजनीति पर...

पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास की चुनावी जंग में इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को नैशनल असैंबली में 272 में से 116 सीटें हासिल करके सत्तासीन होने का मौका मिला है। जीत हासिल करने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में इमरान खान ने भविष्य की राजनीति पर अपने विचारों को बड़े ही सकारात्मक और सृजनात्मक ढंग से पेश करते हुए कहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहता है। 

यदि भारत एक कदम आगे बढ़ाएगा, तो हम दो कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं और हम दिलोजान से चाहते हैं कि इस उपमहाद्वीप में शांति बनी रहे। कश्मीर के मसले को भी मिल-बैठकर हल करने की कोशिश करेंगे क्योंकि जंग किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। अमरीका के साथ भी अपने संबंधों को सुधारेंगे। चीन के साथ अपने रिश्ते और सुदृढ़ करेंगे व भारत के साथ भी मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित करने की कोशिश करेंगे क्योंकि पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान के प्रदेश बलूचिस्तान में कोई घटना होती है तो हम भारत पर आरोप लगाते हैं और यदि भारत में कोई घटना होती है तो भारत पाकिस्तान पर इल्जाम लगाता है। इस आरोप-प्रत्यारोप की नीति से हमें बाहर निकलना होगा। 

उन्होंने आगे कहा कि इस उपमहाद्वीप में सबसे बड़ा मसला गुरबत है, जिसे मिलकर जड़ से समाप्त करना होगा। हकीकत में यह दोनों देशों की समस्या है। उनके इस प्रथम बयान पर विश्व के देशों में विशेष करके भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के लिए एक आशा की किरण जगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको मुबारकबाद देते हुए यह कहा है कि मुझे पूर्ण आशा है कि पाकिस्तान में प्रजातंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी। देश का विकास होगा और इस उपमहाद्वीप में शांति और खुशहाली के नए रास्ते तलाशे जाएंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी उन्हें चुनाव में शानदार जीत पर बधाई देते हुए कहा कि उनके इस सकारात्मक रवैए से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार आएगा, जो दोनों के हित में साबित होगा। 

इमरान खान एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि बड़ा लम्बा समय उन्हें क्रिकेट जगत में काम करने का मौका मिला। भारत में भी कई बार आए और समूचा बालीवुड भी उनको बड़े अदब की नजर से देखता है। उनका यह  सकारात्मक रवैया इस बात का प्रतीक है कि आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने...। यह भी जीवन की एक  वास्तविकता है कि गुजरे जमाने के दुखों, परेशानियों और कठिनाइयों को याद करके जख्मों को कुरेदने से कोई उज्ज्वल भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता। भारत और पाकिस्तान के पिछले 70 साल से संबंध बड़े तनावपूर्ण और कड़वे रहे हैं। फारसी में एक कहावत है कि ‘दुनिया बा उम्मीद अस्त’ यानी दुनिया उम्मीद पर जिंदा रहती है और हम सबको यह आशा रखनी चाहिए कि दोनों देशों के संबंध सकारात्मक शक्ल अख्तियार करेंगे न कि नकारात्मक ढंग से। 

अविभाजित भारत का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि पाकिस्तान के कई राष्ट्र अध्यक्षों का जन्म भारत में हुआ और यहीं उनका पालन-पोषण हुआ लेकिन बंटवारे के बाद 1947 में वे पाकिस्तान चले गए। जिनमें मोहम्मद अली जिन्ना, पीरजादा लियाकत अली, जुल्फिकार अली भुट्टो, जिया-उल-हक, नवाज शरीफ, परवेज मुशर्रफ, यहां तक कि इमरान खान के नानके पंजाब के शहर जालंधर के बस्ती दानिशमंदां के रहने वाले थे। 

इसी तरह पाकिस्तान से आए इंद्र कुमार गुजराल, डा. मनमोहन सिंह को भारत के प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। हिंद समाचार के संस्थापक लाला जगत नारायण भी आज के पाकिस्तान से भारत में आए थे। बॉलीवुड के ख्याति प्राप्त करने वाले फिल्मी सितारों में कपूर खानदान के मुखिया पृथ्वीराज कपूर, बलराज साहनी, राजिंद्र कुमार, यूसुफ खां उर्फ  दिलीप कुमार, राज कुमार, प्रेम चोपड़ा, विनोद खन्ना, अमरीश पुरी, ओम प्रकाश, देव आनंद, सुनील दत्त, जकरिया खान उर्फ जयंत के बेटे अमजद खान जिन्होंने ‘शोले’ फिल्म में गब्बर सिंह की भूमिका निभाई थी, आदि का जन्म अविभाजित भारत यानी आज के पाकिस्तान में हुआ था। इस तरह हमारी पैदायशी सरजमीं ही एक नहीं बल्कि हमारी प्राचीन संस्कृति भी एक रही है। 

अब समय आ गया है कि हमें विदेशियों की साजिश से पैदा की गई दलदल की राजनीति से बाहर निकलकर एक नई दुनिया का निर्माण करना चाहिए। इमरान खान को विश्व के दूसरे देशों से संबंध सुधारने से पहले पाकिस्तान की चरमरा गई अर्थव्यवस्था, आपसी तनाव, आतंकवाद और बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेेगा, जिस पर नजरसानी करना अति आवश्यक है। इमरान खान पाकिस्तान का पश्चिमी देशों के विकास एवंं बुनियादी सहूलियतों के आधार पर निर्माण करना चाहते हैं जिसके लिए अरबों रुपए की आवश्यकता है। जबकि इस समय पाकिस्तान का पूरी तरह दिवाला निकल चुका है। 

उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और 2018 में विकास दर 1 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। चालू घाटा जी.डी.पी. के 5.7 प्रतिशत के बराबर है। निर्यात के मामले में मामूली वृद्धि हुई है, जो अर्थव्यवस्था को किसी भी हालत में सुदृढ़ नहीं कर सकती। पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में 18 प्रतिशत गिरावट आई है। पाकिस्तान का कर्ज 92 अरब डालर हो चुका है और जो जी.डी.पी. के 30 प्रतिशत के बराबर है। पिछले 5 वर्र्षों से पाकिस्तान में फैलते दहशतगर्दी के माहौल तथा तनावपूर्ण सामाजिक व्यवस्था, तेजी से बढ़ रही बेकारी और गरीबी को देखते हुए 28 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी देश छोड़कर अपने धन सहित दूसरे देशों में जा बसे हैं और पलायन का सिलसिला निरंतर जारी है। सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान की 21 करोड़ की आबादी में से केवल 10 लाख लोग ही इंकम टैक्स देते हैं और 2018 के अंत तक पाकिस्तान पर 1.45 अरब डालर कर्ज हो जाएगा जिसे वापस करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा।

इस तरह सबसे पहले इमरान खान को दीवालिएपन पर पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय  मुद्राकोष, चीन, रूस आदि अन्य देशों से सहायता लेनी पड़ेगी। अन्यथा पाकिस्तान में परिस्थितियां बड़ा भयंकर रूप धारण कर लेंगी। पाकिस्तान के पिछले 20 वर्षों के इतिहास को देखते हुए कोई भी मल्टीनैशनल कम्पनी निवेश करने को तैयार नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों के स्थापित न होने से बेरोजगारी बड़ी तेजी से फैल रही है, जिसके परिणामस्वरूप नौजवान आतंकवाद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। चरमपंथियों का देश में बोलबाला है और सरकारें भी इन पर कार्रवाई करने से हिचकिचाती रही हैं। दहशतगर्दी पर नियंत्रण करना इमरान खान के लिए चुनौती होगी क्योंकि आतंकवादियों का आका हाफिज सईद और उसका टोला खुलेआम आतंकवाद को प्रोत्साहित करता है और भारत के खिलाफ जहर उगलता है तथा अपने इन आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाता है। 

पाकिस्तान में भ्रष्टाचार भी सातवें आसमान को चीर कर आगे निकल गया है, जिससे हर पाकिस्तानी दुखी है, परेशान है और इससे छुटकारा पाना चाहता है। पी.पी.पी. के नेता आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता नवाज शरीफ भी भ्रष्टाचार के मामले में बुरी तरह फंसे हुए हैं। पाकिस्तान में 2016 में 50 लाख से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे। यहां तक कि प्राइमरी स्कूल में प्रवेश पाने वाले बच्चों की औसत एशिया के अन्य देशों से बहुत कम है। बाल मजदूरी से परिवार अपना पालन-पोषण कर रहे हैं। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन करने और पाकिस्तान में विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए इमरान खान को शिक्षा के बजट में बढ़ौतरी करनी पड़ेगी। 

पाकिस्तान इस समय सबसे ज्यादा मुश्किल के दौर से गुजर रहा है क्योंकि दुनिया के सभी देशों को यह मालूम हो गया है कि यहां की जमीन पर दहशतगर्दों, उग्रवादियों और आतंकवादियों की खेती की जाती है। इसका सबसे पुराना मित्र अमरीका भी इससे मुंह मोड़ चुका है। यद्यपि इमरान खान के सामने बहुत सारी समस्याएं हैं, परंतु नेक नियत और पुख्ता इरादे से इंसान मंजिले मकसूद पर पहुंच जाता है। इमरान खान को जहां आंतरिक सुधारों पर जोर देना पड़ेगा, वहीं विश्व के देशों में विश्वास पैदा करना होगा ताकि उनसे पाकिस्तान के रिश्ते सुधरें और वे आॢथक मदद कर सकें। पाकिस्तान अगर भारत के साथ ही मधुर संबंध स्थापित कर लेता है तथा दोनों देशों में खुला व्यापार शुरू हो जाता है तो उससे उसकी अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी। क्योंकि जो माल वह अमरीका, चीन, ईरान या दूसरे देशों से खरीदता है वही माल उसे भारत से सस्ते दामों पर मुहैया हो सकता है।

भारत के ट्रक पाकिस्तान से होकर अफगानिस्तान, ईराक, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किॢगस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों में जा सकते हैं और यहां आ सकते हैं क्योंकि भारत विश्व में विनिर्माण का सबसे बड़ा केन्द्र बन रहा है। सब कुछ होने के बावजूद सबसे बड़ा खतरा आई.एस.आई. और फौज से ही पाकिस्तान को है, जिन्होंने प्रजातंत्र को वहां जमने ही नहीं दिया। फौजी जनरल पहले सिविलियन सरकार को खत्म करके खुद ही राष्ट्र अध्यक्ष बन गए और इमरान खान भी जब फौज के पर कतरने लगेंगे तो उसके लिए भी यह परेशानी का सबब बन सकते हैं। परंतु यह एक हकीकत है कि दोनों देशों की दोस्ती दोनों के हित में है और दोनों देशों के आम लोग अच्छे संबंधों के हक में हैं।-प्रो. दरबारी लाल पूर्व डिप्टी स्पीकर, पंजाब विधानसभा

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