Edited By ,Updated: 02 Apr, 2017 11:55 PM
श्रीनगर में अपने चुनावी अभियान के पहले ही दिन नैशनल कांफ्रैंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला ने...
श्रीनगर में अपने चुनावी अभियान के पहले ही दिन नैशनल कांफ्रैंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी कार्यकत्र्ताओं को देश में मजबूत हो रही साम्प्रदायिक शक्तियों के प्रति आगाह किया। अपने अनूठे स्टाइल में नैकां नेता ने कहा, ‘‘आग लगी हुई है।’’ अपनी भाषण कला की जादूगरी दिखाते हुए उन्होंने पार्टी काडर को कहा कि साम्प्रदायिक शक्तियों से देश को बचाने के लिए कठोर परिश्रम करें। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक ही मजहब का देश नहीं बन सकता और यदि यह इस दिशा में आगे बढ़ रहा है तो नए सिरे से मंथन करना पड़ेगा।’’
डा. अब्दुल्ला ने यह विचार यू.पी. के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद व्यक्त किए। बेशक लखनऊ कश्मीर से 877 किलोमीटर की दूरी पर है तो भी योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद सौंपने के भाजपा के निर्णय को घोर विघटनकारी एवं कट्टर हिन्दुत्व की आवाज के पक्ष में समझा जा रहा है तथा कश्मीर भी इससे अछूता नहीं रहा। यू.पी. में भाजपा की धमाकेदार जीत के तत्काल बाद जम्मू-कश्मीर की दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और नैकां ने श्रीनगर और अनंतनाग के लोकसभा उप चुनाव के लिए चुनाव से पूर्व ही गठबंधन बना लिया है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जी.ए. मीर अनंतनाग से प्रत्याशी होंगे जबकि श्रीनगर सीट से नैकां के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला चुनाव में उतरेंगे।
भाजपा द्वारा योगी आदित्यनाथ को यू.पी. का मुख्यमंत्री घोषित करने के दिन से ही नैकां ने इस पर तेज हल्ला बोल दिया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पी.डी.पी. सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती को कटाक्षपूर्ण ढंग से बधाई देते हुए कहा, ‘‘आपके मित्रों और सहयोगियों ने एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया है जिसने मुस्लिम महिलाओं की लाशों से भी बलात्कार करने का आह्वान किया था।’’
पी.डी.पी. ने सार्वजनिक रूप में यू.पी. के घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन फिर भी वह योगी आदित्यनाथ के चयन पर काफी विचलित है। एक वरिष्ठ पी.डी.पी. नेता ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, ‘‘पार्टी को 2016 की बेचैनी तथा योगी आदित्यनाथ की नियुक्ति का बोझ उठाए हुए चुनाव में उतरना पड़ेगा जबकि नैशनल कांफ्रैंस (नैकां) इस मुद्दे को भुनाने का कोई भी बहाना खाली नहीं जाने देगी।’’ इस नेता ने खुद के बारे में भी बताया कि योगी की नियुक्ति से वह स्वयं भयभीत हैं लेकिन भाजपा के साथ अपने गठबंधन को न्यायोचित ठहराते हुए इस नेता ने कहा, ‘‘उग्र हिन्दुत्व का उदय एक हकीकत है और हम हकीकत से आंखें नहीं मूंद सकते।’’
बेशक महबूबा भाजपा के साथ गठबंधन के पक्ष में प्रचार करते हुए कह रही हैं, ‘‘केवल नरेन्द्र मोदी ही कश्मीरी लोगों के घावों पर मरहम लगा सकते हैं’’ तो भी उन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को रद्द किए जाने की बातें करनी शुरू कर दी हैं ताकि अपना खोया हुआ जनाधार कुछ हद तक फिर से बहाल कर सकें। कश्मीर आमतौर पर शेष भारत के राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से परहेज करता है लेकिन यू.पी. चुनाव के परिणामों और योगी आदित्यनाथ की नियुक्ति के मुद्दे पर खुद को अछूता नहीं रख सका। आजकल तो कश्मीर के ड्राइंग रूमों, अदालतों और सोशल मीडिया में भी योगी की चर्चा होती है और लोग कहते हैं कि उनकी नियुक्ति करके भाजपा ने एक सशक्त संदेश दिया है।
2002 के गुजरात दंगों के कारण मोदी कश्मीर घाटी में काफी अलोकप्रिय थे लेकिन जब वह प्रधानमंत्री बने तो कश्मीर में इसके विरुद्ध कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। 2014 के चुनाव के बाद तो आमतौर पर यही सुनने में आता था कि भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और इससे कश्मीरियों को कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। जब मोदी सत्तासीन हुए थे तो भाजपा अभी एक अन्य मुख्यधारा पार्टी के रूप में ही देखी जाती थी लेकिन अब योगी आदित्यनाथ भी मुख्यधारा के राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे हैं तो कश्मीर के लोग उन्हें अपने लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के मुसलमानों के लिए एक चुनौती मान रहे हैं। सोशल मीडिया में भी इस प्रकार की दलीलों की झलक दिखाई देती है।
सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी बातें की जाती हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना के साथ जाने की बजाय सैकुलर भारत के चयन करने वाले मुसलमानों के भाग्य में योगी आदित्यनाथ की तुलना में कोई अच्छा व्यक्ति चाहिए था। कश्मीरी सोशल मीडिया के लगभग हर पोस्ट से ऐसा आभास मिलता है कि कश्मीरी युवक योगी आदित्यनाथ के प्रति घृणा से भरे हुए हैं लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने से वे काफी सदमे में हैं। कश्मीर के कई भारत विरोधी ङ्क्षचतक यू.पी. में भाजपा की विजय और आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर काफी प्रसन्न भी दिखाई दे रहे हैं। कश्मीर की स्थिति के बारे में बिल्कुल सटीक टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पी.डी.पी. नेता ने कहा, ‘‘हिन्दू चरमपंथ की एक लहर चल पड़ी है और इसकी आंच से हम भी अछूते नहीं रहेंगे।’’