एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती से भारतीय आई.टी. पेशेवर चिंतित

Edited By Pardeep,Updated: 27 Oct, 2018 03:22 AM

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इन दिनों अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एच-1बी वीजा नीति में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे प्राप्त करना भारत की नई पेशेवर पीढ़ी का सपना भी होता है। अमरीकी सरकार के...

इन दिनों अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एच-1बी वीजा नीति में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे प्राप्त करना भारत की नई पेशेवर पीढ़ी का सपना भी होता है। 

अमरीकी सरकार के अनुसार 5 अक्तूबर 2018 तक अमरीका में एच-1बी वीजा रखने वालों की संख्या 4,19,637 थी, इनमें से तीन-चौथाई यानी 309,986 भारतीय मूल के नागरिक हैं। एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है जोकि अमरीकी कम्पनियों को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की अनुमति देता है। अमरीका की प्रौद्योगिकी कम्पनियां भारत और चीन जैसे देशों से कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं। 

हाल ही में अमरीका के गृह सुरक्षा विभाग (डी.एच.एस.) ने कहा कि अमरीकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यू.एस.सी.आई.एस.) ने संकेत दिया है कि उनके द्वारा एच-1बी वीजा नीति में बदलाव के संबंध में जनवरी 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बनाई जा रही है। इसका उद्देश्य विशेष व्यवसाय की परिभाषा को संशोधित करना हैै ताकि एच-1बी वीजा कार्यक्रम के माध्यम से बेहतर और प्रतिभाशाली विदेशी नागरिकों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। डी.एच.एस. ने कहा कि वह अमरीकी कामगारों और उनके वेतन-भत्तों के हितों को ध्यान में रखते हुए रोजगार और नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की परिभाषा को भी संशोधित करेगा। 

अमरीकी सरकार ने कहा कि एच-1बी वीजाधारकों को नियोक्ताओं से उचित वेतन मिलना सुनिश्चित करने के लिए गृह सुरक्षा विभाग और भी कदम उठाएगा। निश्चित रूप से अमरीका के इस कदम से भारत की आई.टी. (सूचना प्रौद्योगिकी) कम्पनियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा। भारतीय मूल के अमरीकियों के स्वामित्व वाली छोटी तथा मध्यम आकार की कम्पनियां भी इससे प्रभावित होंगी। एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव को अमरीका में आई.टी. कम्पनियों के संगठन आई.टी. सर्व अलायंस ने चुनौती दी है। पहले एच-1बी वीजा 3 साल के लिए दिया जाता था, लेकिन अब अमरीका कम अवधि के लिए भी यह वीजा दे रहा है। इसको लेकर संगठन ने अमरीकी इमिग्रेशन एजैंसी यू.एस.सी.आई.एस. के खिलाफ याचिका दायर की है। 

आई.टी. सर्व  अलायंस 1,000 से ज्यादा छोटी आई.टी. कम्पनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें ज्यादातर का संचालन भारतीय अमरीकी करते हैं। टैक्सास स्थित आई.टी. सर्व अलायंस ने 43 पेज की याचिका में कहा है कि यू.एस.सी.आई.एस. अब कम अवधि के भी एच-1बी वीजा जारी कर रही है। इनकी वैधता कुछ माह या दिन की होती है। कई बार तो बाकी मंजूरी मिलने तक वीजा की अवधि खत्म हो जाती है। आई.टी. सर्व अलायंस का कहना है कि यू.एस.सी.आई.एस. के पास वीजा की अवधि कम करने का कोई अधिकार नहीं है। 

गौरतलब है कि अमरीका ने एच-1बी वीजा में बदलाव की तैयारी के नए अभियान से पहले भी 1 अक्तूबर, 2018 से एच-1बी वीजा नियम सख्त किए हैं। जिनके वीजा की मियाद खत्म हो गई है या स्टेटस बदल गया है, उन्हें देश से बाहर निकाला जा सकता है। इसका भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। जिन लोगों का वीजा बढ़ाने से इंकार किया गया उनमें भारतीय ज्यादा हैं। वीजा देने की यह व्यवस्था 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुरू की थी। इसका उद्देश्य अमरीका में दुनियाभर से प्रतिभावान लोगों को काम के लिए बुलाना था, ताकि देश की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। 

उल्लेखनीय है कि अमरीका हर साल 85,000 विदेशियों को एच-1बी वीजा जारी करता है। इनमें 20,000 अमरीकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री वालों के लिए हैं। वर्ष 2017 में 67,815 वीजा भारतीयों को दिए गए हैं जिनमें से 75.6 फीसदी आई.टी. प्रोफैशनल्स को मिले लेकिन अब वर्ष प्रति वर्ष एच-1बी वीजा स्वीकृति की संख्या घटती जा रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि अमरीका में एच-1बी वीजा के अलावा भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य वीजा प्रस्तावों को भी समाप्त करने या कठोर करने के प्रस्ताव सामने आए हैं। अमरीका में डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों के लिए कार्य परमिट के लिए दिए जाने वाले एच-4 वीजा को खत्म करने की योजना को अंतिम रूप दिया है। ऐसे में अब अमरीका में यदि पति के पास एच-1बी वीजा है, तो पत्नी को भी कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह पत्नी के पास एच-1बी वीजा होने पर पति को कार्य परमिट नहीं मिलेगा। माना जा रहा है कि इस कदम से करीब 64 हजार से अधिक पेशेवरों को काम की अनुमति नहीं मिलेगी। 

गौरतलब है कि 2015 में अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में जीवनसाथी को कार्य परमिट देने का फैसला हुआ था। इससे ऐसे भारतीय पेशेवर, जो एच-1बी वीजा पर अमरीका गए थे, उनके जीवनसाथी को भी अमरीका में एच-4 वीजा देकर काम करने की अनुमति प्रदान की गई थी। दिसम्बर 2017 तक 1,26,853 एच-4 वीजा प्रस्ताव मंजूर हुए थे। इसी तरह से ट्रम्प प्रशासन ने ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम को बंद करने का प्रस्ताव अमरीकी कांग्रेस के सामने रखा है। ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम के जरिए विदेशी लोगों को अमरीका में 6.7 करोड़ रुपए तक निवेश करने के लिए ग्रीन कार्ड जारी किया जाता है। 

अमरीका ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम के तहत हर साल करीब 10000 विदेशियों को वीजा जारी करता है। इस वीजा कार्यक्रम के बंद होने से बड़ी संख्या में भारतीय निवेशक प्रभावित होंगे। इस वर्ष 700 भारतीयों द्वारा ईबी-5 वीजा के लिए आवेदन करने का अनुमान है। ट्रम्प सरकार का आरोप है कि इस वीजा के जरिए विदेशियों द्वारा अमरीका में फर्जीवाड़ा करने की घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले 4 साल में ईबी-5 वीजा के तहत आए आवेदनों की संख्या 3 गुना हो गई है। भारतीयों को इस वर्ग के तहत ग्रीन कार्ड पाने के लिए करीब 3.5 करोड़ रुपए अपनी पत्नी और अविवाहित बच्चों के नाम से निवेश करने होते हैं। इसके लिए किसी तरह की पढ़ाई या अन्य पैमाने की जरूरत नहीं होती है। ईबी-5 वीजा मिलने के बाद व्यक्ति अमरीका में कहीं भी जाकर रह सकता है। 

अमरीका के विख्यात शोध संस्थान केटो इंस्टीच्यूट ने अमरीका में ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार की अवधि के बारे में अपनी गणना के आधार पर कहा है कि उच्च डिग्रीधारी भारतीयों को अमरीका में ग्रीन कार्ड के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ेगा। अमरीका के नागरिकता और आव्रजन सेवा विभाग का कहना है कि वर्ष 2017 में 60394 भारतीयों को ग्रीन कार्ड दिए गए थे, जबकि 20 अप्रैल, 2018 तक 6,32,219 भारतीय आव्रजक तथा उनके पति/पत्नी तथा अल्प वयस्क बच्चे ग्रीन कार्ड के इंतजार में थे। ग्रीन कार्ड से अमरीका की स्थायी नागरिकता मिलती है। भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की संख्या लगातार कम होती जा रही है। 

निश्चित रूप से इस समय अमरीका में भारत के कुशल पेशेवरों (प्रोफैशनल्स) की  वीजा संबंधी कठोरता के कारण मुश्किलें और ङ्क्षचताएं लगातार बढ़ती  जा  रही हैं। खासतौर से अमरीका में सरकार की ‘‘बाय अमरीका, हायर अमरीकन’’ नीति के तहत नई-नई वीजा संबंधी कठोरता भारतीय हितों को नुक्सान पहुंचाती दिखाई दे रही है।  एच-1बी वीजा में बड़े बदलाव की अमरीका की योजना को रोकने हेतु भारत द्वारा अमरीका में आई.टी. कम्पनियों के संगठन आई.टी. सर्व अलायंस के अभियान को पूरा समर्थन देना होगा। साथ ही भारत द्वारा ट्रम्प सरकार और अमरीकी कांग्रेस के समक्ष जोरदार ढंग से यह मुद्दा उठाना होगा। 

भारत द्वारा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के साथ-साथ अमरीका के प्रभावशाली प्रवासी भारतीयों और भारत के हित चिंतक प्रबुद्ध वर्ग के माध्यम से भी वीजा प्रतिबंधों का जोरदार  विरोध किया जाना जरूरी होगा। ऐसे प्रयासों के साथ-साथ अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 18 अक्तूबर को उनके द्वारा दिया गया यह वक्तव्य याद दिलाना होगा  कि अमरीका में सिर्फ  वे लोग ही आ सकते हैं, जो योग्य हों और अमरीका की मदद कर सकते हों। इस वक्तव्य का समर्थन करते हुए भारत को बताना होगा कि भारतीय पेशेवर अमरीका में कार्यरत सबसे योग्य और ईमानदार पेशेवर हैं और अमरीकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में आगे हैं।-डा. जयंतीलाल भंडारी

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