गत 4 वर्षों में केन्द्र व योगी सरकार ब्रजभूमि के लिए नहीं बना पाईं एक भी परियोजना

Edited By Pardeep,Updated: 28 May, 2018 04:34 AM

in the last 4 years the central government could not make a plan for braj bhoomi

राजनेताओं  द्वारा जनता को नारे देकर लुभाने का काम लंबे समय से चल रहा है। ‘जय जवान-जय किसान’, ‘गरीबी हटाओ’, ‘लोकतंत्र बचाओ’, ‘पार्टी विद अ डिफरैंस’ व पिछले चुनाव में भाजपा का नारा था, ‘मोदी लाओ-देश बचाओ’। जब से मोदी जी सत्ता में आए हैं भारत को...

राजनेताओं  द्वारा जनता को नारे देकर लुभाने का काम लंबे समय से चल रहा है। ‘जय जवान-जय किसान’, ‘गरीबी हटाओ’, ‘लोकतंत्र बचाओ’, ‘पार्टी विद अ डिफरैंस’ व पिछले चुनाव में भाजपा का नारा था, ‘मोदी लाओ-देश बचाओ’। 

जब से मोदी जी सत्ता में आए हैं भारत को परिवर्तन की ओर ले जाने के लिए उन्होंने बहुत सारे नए नारे दिए, जिनमें से एक है ‘साफ नीयत-सही विकास’। पिछले 15 वर्षों से ब्रज क्षेत्र में धरोहरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम करने के दौरान जिला स्तरीय, प्रांतीय व केन्द्रीय सरकार से बहुत मिलना-जुलना रहा है। उसी संदर्भ में इस नारे को परखेंगे। 

भगवान श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़े पौराणिक कुंडों, वनों और धरोहरों के जीर्णोद्धार जैसा काम ‘ब्रज फाऊंडेशन’ ने बिना सरकारी आर्थिक मदद के किया, वैसा काम देश के 80 फीसदी राज्यों के पर्यटन विभाग नहीं कर पाए। यह कहना है भारत के नीति आयोग के सी.ई.ओ. अमिताभ कांत का। इसी तरह  प्रधानमंत्री मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक और देश के सभी प्रमुख संतों व लाखों ब्रजवासियों का ब्रज फाऊंडेशन द्वारा सजाए गए गोवर्धन के रुद्र कुंड, ऋणमोचन कुंड व संकर्षण कुंड, जैंत का जय कुंड व अजयवन, वृंदावन के ब्रह्म कुंड, सेवाकुंज व रामताल, मथुरा का कोईले घाट और बरसाना का गहवन वन आदि लाखों तीर्थयात्रियों का मन लुभाते हैं। 

अवैध कब्जाधारियों से लडऩे, इनकी गंदगी साफ करने और इनको बनाने में करोड़ों रुपया खर्च हुआ। जो देश के प्रमुख उद्योगपतियों जैसे कमल मोरारका, अजय पीरामल, राहुल बजाज, रामेश्वर राव और अनेकों कम्पनियों ने अपने ‘सी.एस.आर. फंड’ से दान दिया। परम्परानुसार सभी दानदाताओं के नामों के शिलालेख इन स्थलों पर लगाए गए हैं। पिछले दिनों योगी सरकार के एक छोटे अधिकारी ने अपने तुगलकी फरमान जारी कर, इन सभी शिलालेखों पर पेंट कर दिया। ऐसा काम ब्रज में औरंगजेब के बाद पहली बार हुआ। प्रदेश में जब सरकारें बदलती हैं, तो पिछली सरकार की बनाई इमारतों या शिलालेखों को हाथ नहीं लगातीं, चाहे वे विरोधी दल के ही क्यों न हों। पूरी दुनिया में इस तरह के शिलालेख लगाने की परम्परा बहुत पुरानी है जिससे आनी वाली पीढिय़ां इतिहास जान सकें। 

इस दुष्कृत्य के पीछे उन स्वार्थी तत्वों का हाथ है, जो ब्रज फाऊंडेशन की सफलता से ईष्र्या करते रहे हैं। ब्रज फाऊंडेशन ने मोदी के ‘सही नीयत-सही विकास’ और ‘स्वच्छ भारत’ के नारे को शब्दसह चरितार्थ किया है। इस संस्था को 6 बार भारत की ‘सर्वश्रेष्ठ वाटर एन.जी.ओ.’ होने का अवार्ड भी मिल चुका है। इन सार्वजनिक स्थलों का जीर्णोद्धार करने से पहले मौजूदा कानून की सभी प्रक्रियाओं को पारदर्शी रूप से पूरा किया गया। जिला प्रशासन से लेकर प्रांत और केन्द्र सरकार तक का प्रशासनिक सहयोग, इन परियोजनाओं को पूरा करने में बार-बार लिया गया। फिर भी ‘एन.जी.टी.’ के एक सदस्य ने प्रमाणों को अनदेखा करते हुए संस्था को इन स्थलों के रखरखाव से अलग कर दिया। 

यह आदेश भी दिया कि ‘भविष्य में सारे कुंड सरकार बनाए’।  ब्रजवासियों का कहना है कि, ‘‘जो शासन गत 70 वर्ष में एक भी धरोहर का जीर्णोद्धार व संरक्षण ब्रज फाऊंडेशन द्वारा बनाई गई स्थलियों के सामने 10 गुनी लागत लगाकर 10 फीसदी भी नहीं कर पाया, वह जिला प्रशासन ब्रज के 800 से भी ज्यादा वीरान और सूखे पड़े कुंडों को आज तक क्यों नहीं बना पाया? 

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुदान पर अब तक कम से कम 200 करोड़ रुपया पिछले 70 सालों में ब्रज में लग चुका होगा। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग एक भी धरोहर को दिखाने लायक नहीं बना पाया तो भविष्य में क्या कर पाएगा, उसका अनुमान लगाया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के ‘ङ्क्षहचलाल तिवारी केस’ मामले में सब जिलाधिकारियों को अपने जिले के सभी कुंडों पर से कब्जे हटवाकर, उनका जीर्णोद्धार करना था, पर आज तक इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। यह सीधा-सीधा अदालत की अवमानना का मामला है। 

इससे भी गंभीर प्रश्न यह है कि एक तरफ  तो भारत सरकार उद्योगपतियों से अपने सी.एस.आर. फंड को समाज के कामों में लगाने के लिए आह्वान करती है तथा दूसरी तरफ उसी भाजपा के मुख्यमंत्री की जानकारी में ऐसा काम करने वालों के नामो-निशान तक मिटा दिए जाते हैं। ऐसे में कोई क्यों सेवा करने सामने आएगा? नीयत साफ वाले और ठोस काम करने वाले लोगों को अपमानित किया जाए और खोखले व नकारा सलाहकारों को लाखों रुपए फीस देकर, उनसे वाहियात परियोजनाएं बनवाई जाएं और उन पर बिना सोचे-समझे पानी की तरह पैसा बहा दिया जाए, तो कैसे होगा सही विकास? इस संदर्भ में एक और अनुभव बड़ा रोचक हुआ। 

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने ब्रज के 9 कुंडों के जीर्णोद्धार के लिए 77 करोड़ रुपए का ठेका लखनऊ के ठेकेदारों को दे दिया। जबकि हमने बढिय़ा से बढिय़ा कुंड बनाने में अढ़ाई-3 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च नहीं किया। हमारे विरोध पर ठेका निरस्त करना पड़ा और हमसे कार्ययोजना मांगी। अब यही 9 कुंड मात्र 27 करोड़ रुपए में बनेंगे। जाहिर है कि योगी सरकार के मंत्री और अधिकारी इस एक परियोजना में 50 करोड़ रुपए हजम करने की तैयारी किए बैठे थे, जो हमारे हस्तक्षेप से बौखला गए और साजिश करके उन्होंने पिछले हफ्ते इन सारी धरोहरों पर कब्जा कर लिया जबकि ब्रज फाऊंडेशन वहां नि:स्वार्थ भाव से बाग-बगीचे, मंदिर आदि की इतनी सुंदर सेवा कर रहा था कि हर आदमी उसे देखकर गद्गद् था। पिछले 4 साल में केंद्र सरकार और पिछले सवा साल में योगी सरकार तमाम शोर-शराबे के बावजूद एक भी परियोजना नहीं बना पाई। इसका कारण है भ्रष्ट नौकरशाही, राजनीतिक दलालों का हस्तक्षेप और नकारा सलाहकारों से परियोजनाएं बनवाना। 

हमने कई बार प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव, केन्द्र सरकार के मंत्रियों व सचिवों और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आला अफसरों के साथ बैठकें कर-करके प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को दूर करने के अनेक ठोस और व्यावहारिक सुझाव दिए जिससे काम बेहतर और कलात्मक हो और लागत आधी से भी कम आए पर कोई सुनने या बदलने को तैयार नहीं है। दावे और बातें बहुत बड़ी-बड़ी हो रही हैं, पर जिला स्तर पर हालातों में कोई बदलाव नहीं। बाकी प्रदेश को छोड़ो, भगवान श्रीकृष्ण, राम और शिव की भूमि में भी वही हाल है। दीवाली और होली मनाने से राजनीतिक प्रचार तो मिल सकता है पर जमीन पर ठोस काम नहीं होता है। ठोस काम होता है, ‘सही नीयत-सही विकास’ के नारे को अमल में लाने से, जो अभी तक कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।-विनीत नारायण

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