भारत में बढ़ रही भूख की समस्या

Edited By ,Updated: 05 Apr, 2021 04:53 AM

increasing hunger problem in india

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष भूख से मरने वालों की संख्या, एड्स, टी.बी. और मलेरिया से मरने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर वर्ष भूख से मरने वालों की संख्या लगभग 90 लाख

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष भूख से मरने वालों की संख्या, एड्स, टी.बी. और मलेरिया से मरने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर वर्ष भूख से मरने वालों की संख्या लगभग 90 लाख है। 2020 के ग्लोबल हंगर इंडैक्स में शामिल कुल 107 देशों में भारत 94वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, तंजानिया, बुर्किना फासो और इथियोपिया जैसे देशों की स्थिति भारत से बेहतर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के कुपोषण के मामले में भारत पहले नंबर पर है। पिछले वर्ष भारत इस इंडैक्स में 117 देशों की लिस्ट में 102 नंबर पर था। भारत की यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। 

संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ‘फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन’ के अनुसार पूरी दुनिया में पैदा होने वाला 33 प्रतिशत भोजन जरूरतमंदों के पास पहुंच ही नहीं पाता। 45 प्रतिशत फल और सब्जियां, 30 प्रतिशत अनाज, 35प्रतिशत सी फूड, 20 प्रतिशत दूध के उत्पाद और 20 प्रतिशत मीट भी लोगों की भूख मिटाने के काम नहीं आ पाते और बर्बाद हो जाते हैं। अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में बर्बाद होने वाले भोजन का 25 प्रतिशत भी यदि बचा लिया जाए तो दुनिया भर के करीब 82 करोड़ लोगों का पेट भर सकता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल बर्बाद होने वाले भोजन का वजन 130 करोड़ टन से ज्यादा है। विकसित देशों में लगभग 47 लाख करोड़ रुपए की कीमत का और विकासशील देशों में लगभग 22 लाख करोड़ रुपए का भोजन हर साल बर्बाद किया जाता है। 

अधिकतर लोग भोजन तो करते हैं किंतु उन्हें यह सही जानकारी होती ही नहीं कि स्वस्थ रहने के लिए उन्हें कैसा और कितना भोजन करना चाहिए। भारत में पोषण का पैमाना तय करने वाली संस्था ‘नैशनल इंस्टीच्यूट आफ न्यूट्रिशन’ की एक रिपोर्ट जिसका विषय है ‘व्हाट इंडिया ईट्स’ यानी ‘भारतीय लोग क्या खाते हैं’  के अनुसार दिन भर में एक व्यक्ति को डेढ़ सौ ग्राम फल, 90 ग्राम दाल,अंडे या मांसाहार, 20 ग्राम ड्राई फ्रूट्स, 27 ग्राम तेल या घी, 270 ग्राम अनाज, 350 ग्राम हरी सब्जियां और कम से कम 300 मिलीलीटर दूध या दही खाना चाहिए। यह एक स्टैंडर्ड डाइट है। 

एक व्यक्ति को औसतन एक दिन में 2000 कैलोरीज की जरूरत होती है। भारत के शहरों में एक व्यक्ति लगभग 1943 कैलोरीज और गांव में 2081 कैलोरीज लेता है। गांवों और शहरों के भोजन में बहुत अंतर है। गांव की थाली में जौ, गेहूं, बाजरा और मक्का आदि अनाज करीब 65 प्रतिशत तक होते हैं। जबकि शहरों की थाली में अनाज केवल 51 प्रतिशत होते हैं। गांवों के मुकाबले शहरी  लोगों के भोजन में फैट और ऑयल की मात्रा लगभग दुगुनी होती है। शहर के लोग करीब 13 प्रतिशत फैट यानी घी और तेल से बनी चीजें खा रहे हैं, जिनमें जंक फूड्स या फास्ट फूड्स का सबसे ज्यादा योगदान है। जबकि गांवों के लोगों के भोजन में फैट यानी घी और तेल से बनी चीजें केवल 7 प्रतिशत तक ही शामिल हैं। 

एक रोटी में 80 कैलोरीज होती हैं जबकि परांठे में रोटी से दोगुनी यानी 150 कैलोरीज होती हैं। 250 ग्राम चावल में 170 कैलोरीज, 100 ग्राम दाल में 100 कैलोरीज और अढ़ाई सौ ग्राम सब्जी में 170 कैलोरीज होती हैं। एक उबले अंडे में 90 कैलोरीज, 250 ग्राम कार्नफ्लैक्स में 220 कैलोरीज, 250 ग्राम पोहा में 270 कैलोरीज, दो इडली में 150 कैलोरीज और एक समोसे में 200 कैलोरीज मिलती हैं। एक कप चाय में 75 कैलोरीज होती है, 200 मिलीलीटर कोल्ड ड्रिंक में 150 कैलोरीज, पिज्जा के एक स्लाइस में 200 कैलोरीज, 100 ग्राम केसर के हलवे में 320 कैलोरीज होती हैं।

भारत के गांवों में लगभग 63 प्रतिशत लोग पौष्टिक भोजन से वंचित रहते हैं। गांव में पोषक तत्वों से भरपूर एक थाली की कीमत लगभग 45 रुपए होती है, जिसे खरीदने में ग्रामीण व्यक्ति असमर्थ होता है। यदि हम अपनी भूख मिटाने के साथ-साथ अपने आसपास के गरीब और जरूरतमंद लोगों की भूख मिटाने की जिम्मेदारी भी ले लें तो बहुत हद तक हमारे देश की इस भीषण समस्या का हल निकल सकता है।-रंजना मिश्रा
 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!