भारत और अमरीका : दो बंटे हुए लोकतंत्र

Edited By ,Updated: 03 Jul, 2022 05:11 AM

india and america two divided democracies

7 मार्च तथा 13 मार्च के मध्य पियू रिसर्च सैंटर द्वारा आयोजित एक सर्वे ने पाया कि 61 प्रतिशत अमरीकी वयस्कों ने कहा कि गर्भपात सभी अथवा ज्यादातर मामलों में

7 मार्च तथा 13 मार्च के मध्य पियू रिसर्च सैंटर द्वारा आयोजित एक सर्वे ने पाया कि 61 प्रतिशत अमरीकी वयस्कों ने कहा कि गर्भपात सभी अथवा ज्यादातर मामलों में कानूनी होना चाहिए। 37 प्रतिशत ने इसका विरोध किया। राजनीति में भी इसके बारे में लोग बंटे हुए हैं। डैमोक्रेट्स तथा डैमोक्रेटिक लीनिंग निर्दलीयों ने गर्भपात का समर्थन किया (80 प्रतिशत) तथा रिपब्लिकन और रिपब्लिकन लीङ्क्षनग निर्दलीयों ने गर्भपात का विरोध किया है (38 प्रतिशत) यह फर्क 2016 से 33 प्वाइंटों से 42 प्वाइंटों तक बढ़ गया। 

जो बात मायने रखती है वह यह है कि अमरीकी सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा कि संविधान ऐसा कहता है। लम्बे समय तक अपनी सेवाएं देने वाले अमरीका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने कहा था कि, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि प्रांत और न्यायिक विभाग (अमरीकी सुप्रीमकोर्ट) का कत्र्तव्य वही कहना है जो कानून है।’’ यही वाक्य अमरीका में पवित्र है। 

1973 में रो बनाम वेड के मामले में अमरीकी सुप्रीमकोर्ट ने व्यवस्था दी कि गर्भपात का अधिकार संविधान के विभिन्न प्रावधानों द्वारा संरक्षित आजादी का हिस्सा है जिसमें 14वें संशोधन के ‘डियू प्रोसैस’ खंड भी शामिल है। 20 साल बाद एक अन्य ‘प्लैंड पेरेंटहुड ऑफ साऊथ ईस्टन पी.ए.बनाम केसे’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रो बनाम वेड’ में निष्कर्ष को दोहराया। अमरीका में महिलाओं की 3 पीढिय़ां गर्भपात के अधिकार के साथ जीवन व्यतीत करती आई हैं। 

24 जून 2022 को डॉब्बस बनाम जैक्सन वूमन्स हैल्थ आर्गेनाइजेशन मामले में 5:3 के बहुमत के साथ (डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नियुक्त 3 जज) सुप्रीमकोर्ट ने निर्णय दिया कि संविधान पर गर्भपात का अधिकार प्रदान करता है। रो बनाम वेड मामले में अदालत ने कहा कि ‘‘गर्भपात को करने की अथॉरिटी लोगों तथा उनके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस दी जाती है।’’ 

झेंपते हुए, पहली नजर में यह प्रतीत होता है कि लोगों को गर्भपात के अधिकार की वापसी एक अच्छी व्यवस्था है। मगर यहां पर ‘लोगों’ का मतलब सभी लोग नहीं या फिर यूं कहें कि सभी वयस्क या अमरीका के जनमत संग्रह में वोट करने वाले सभी मतदाता नहीं हैं। यदि ऐसा होता है तो अमरीका के लोग जबरदस्त तरीके से ‘रो और केसे’ के पक्ष में वोट देंगे। यहां पर लोगों का मतलब राज्यों द्वारा बंटे हुए लोग हैं और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों का मतलब विभिन्न निर्वाचन क्षेत्र और विभिन्न आकारों के चुने हुए सांसद हैं। 

कई अधिकारों को खतरा
सिविल वार के बाद अमरीका कभी भी इतना बंटा नहीं था। 50 राज्यों में से आधे राज्य कानूनों को बनाने या फिर उनकी पुष्टि करने के लिए जाने जाते हैं जो व्यावहारिक रूप से गर्भपात नियम विरोधी है। बाकी के आधे दूसरी तिमाही के बाद गर्भपात की अनुमति देंगे। लाखों की तादाद में अमरीकी महिलाएं गर्भपात के अधिकार से वंचित हो जाएंगी।

ऐसे गर्भपात जो गैर-नियोजित, अवांछित बच्चे, बलात्कारी के बच्चे, एक ऐसा बच्चा जिसे व्यभिचार से पैदा हुआ हो या फिर यूं कहें कि ऐसे बच्चे जिन्हें माताएं इस धरती पर लाना नहीं चाहतीं या उन्हें खिलाना नहीं चाहतीं। अमरीकी सुप्रीमकोर्ट की व्यवस्था पूरी तरह से दोषपूर्ण है क्योंकि यह व्यवस्था लीगल स्कॉलरों को झटका देने वाली है। बाकी के लोग मानते हैं कि संविधान गर्भपात का कोई संदर्भ नहीं देता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि गर्भपात का अधिकार राष्ट्र के इतिहास और उसकी परम्परा की जड़ों में नहीं है। 

मिसाल के तौर पर निजता के अधिकार का अमरीकी संविधान में उल्लेख नहीं किया गया। अमरीका के इतिहास तथा इसकी परम्परा में नस्लवाद तथा नस्लीय भेदभाव दोनों ही जड़ों में समाए हुए हैं। गर्भपात की इजाजत नहीं दी जाएगी। एक ही सैक्स के दो लोगों के बीच यौन संबंधों को अपराध माना जाएगा। यह उदाहरण आगे और गुणा किए जा सकते हैं।‘डॉब्बस’ मामले को मेरे पढऩे के दौरान मैंने यह माना कि लोगों को गर्भपात करने देने का अधिकार वापस करने का यह अभिप्राय: नहीं है कि कानून द्वारा एक राज्य, एक गर्भवती महिला को अपने बच्चे को उसके जन्म तक रखने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। एक राज्य का कानून केवल उसी राज्य के क्षेत्र के भीतर रह रहे निवासियों पर लागू होता है। 

कानून का क्षेत्र से बाहर रह रहे लोगों पर लागू नहीं किया जा सकता। एक गर्भवती महिला गर्भपात समर्थित राज्य में जा सकती है और वहां जाकर वह अपने भ्रूण का गर्भपात करवा सकती है। फैडरल कार्यकारी तथा एक चैरिटी महिला की यात्रा का खर्चा उठा सकती है जो गर्भपात करवाने की जरूरत और इच्छा रखती हो। डॉब्बस मामले में गलती यह है कि इसे राज्य के अधिकार में स्थापित किया गया है जोकि व्यक्तिगत के अधिकार से ऊपर है। 

बंटे हुए राष्ट्र 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद जिसने गर्भपात के अधिकार को निजता के अधिकार में रखा है। इसके साथ ही साथ इसे जीवन के अधिकार और निजी स्वतंत्रता में स्थापित किया गया है। 24 हफ्तों में कानून मैडीकल टर्मीनेशन ऑफ प्रैग्नैंसी (एम.टी.पी.) की अनुमति देता है। उसके बाद हालातों को जांचने और उस पर यकीन होने के बाद 2 मैडीकल प्रैक्टिशनर्ज अपनी राय दे सकते हैं जिसके तहत यह बताया जा सकता है कि महिला के शरीर और उसकी दिमागी हालत को बहुत बड़ा आघात पहुंच सकता है। 

गर्भपात को कानूनी बनाने के बाद विभिन्न सर्वे में पाया गया कि महिला की पढऩे या फिर कार्य करने की क्षमता महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ी है। डॉब्बस ने अमरीका में गलत रेखाओं को पुनर्जीवित किया है। इसी तरह भारत में भी अन्य कारण हैं। भारत जाति, धर्म, भाषा तथा लैंगिक असमानता के आधार पर पहले ही बंटा हुआ है और इसके आगे भाजपा की बहुलवाद और केंद्रीयकृत नीतियों ने इसे और बांट रखा है। मगर इस पर एक अलग लेख चाहिए। क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन ऐसा आएगा जब विश्व के 2 बड़े लोकतंत्र बंटे हुए राष्ट्र होंगे।-पी. चिदम्बरम

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