आत्मनिर्भरता की ओर भारतीय इस्पात उद्योग

Edited By ,Updated: 06 Sep, 2021 04:19 AM

indian steel industry towards self reliance

भारतीय इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर भारत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के सक्षम बनाना- मैं ‘स्पैशियलिटी स्टील’ के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पी.एल.आई.) को इस रूप में देखता हूं। इस योजना को हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी...

भारतीय इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर भारत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के सक्षम बनाना- मैं ‘स्पैशियलिटी स्टील’ के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पी.एल.आई.) को इस रूप में देखता हूं। इस योजना को हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है। 

जुलाई में केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, यह पहली नीतिगत योजना है, जिसे लागू करने का सौभाग्य मुझे मिला है। यह योजना इस बात का शानदार उदाहरण है कि कैसे दो तरीकों से संस्थानों की मदद की जा सकती है-सटीकता को ध्यान में रखते हुए सोचें और पेश किए गए विकल्पों के आधार पर बेहतर निर्णय लें। इन विकल्पों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इससे दोनों ही पक्ष जीत की स्थिति में होंगे। 

इस योजना के तहत ‘स्पैशियलिटी स्टील’ के वृद्धिशील उत्पादन के लिए पात्र कंपनियों को साल-दर-साल आधार पर 5 साल की अवधि तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसलिए, सरकार उन्हें उत्पादों में मूल्य-वर्धन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे दोहरा फायदा होगा। उन्हें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मूल्य वॢधत उत्पादों की बेहतर कीमत मिलेगी और योजना के तहत प्रोत्साहन भी प्राप्त होगा। इस योजना से एकीकृत इस्पात उत्पादकों के साथ-साथ द्वितीयक इस्पात उत्पादकों और एम.एस.एम.ई. को भी लाभ होगा। ‘स्पैशियलिटी स्टील’ के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण निवेश आकॢषत करने के लिए 6,322 करोड़ रुपए के परिव्यय की योजना बनाई गई है। ‘स्पैशियलिटी स्टील’ उन 13 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिन्हें भारत की विनिर्माण क्षमता और निर्यात बढ़ाने के लिए चिन्हित किया गया है और जिनके लिए पी.एल.आई. योजनाओं की मंजूरी दी गई है। 

प्रोत्साहन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद देने के साथ आयात में कमी लाकर भारत के विकास को गति देना है। इसके अलावा, इस योजना के तहत अपेक्षित अतिरिक्त निवेश से न केवल घरेलू मांग को पूरा करने की क्षमता विकसित होगी, बल्कि आने वाले समय में इस्पात क्षेत्र, वैश्विक चैंपियन भी बन सकता है। इसके अलावा इस योजना से तकनीकी क्षमताओं को प्राप्त करने और एक प्रतिस्पर्धी व तकनीकी रूप से उन्नत ईको-सिस्टम बनाने में सहायता मिलेगी। लगभग 40,000 करोड़ रुपए के निवेश से ‘स्पैशियलिटी स्टील’ की घरेलू क्षमता में वृद्धि होगी, आयात में लगभग 30,000 करोड़ रुपए की कमी आएगी और निर्यात में लगभग 33,000 करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। लगभग 25 मिलियन टन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता सृजित होगी। अनुमान है कि इस योजना में लगभग 5,25,000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता है, जिनमें से लगभग 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होंगे और शेष अप्रत्यक्ष रोजगार होंगे। 

स्पैशियलिटी स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए चुना गया था क्योंकि इस्पात कारोबार के संदर्भ में भारतीय इस्पात उद्योग मूल्य शृंखला के निचले स्तर पर काम करता है। वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का इस्पात निर्यात 10.7 मिलियन टन था, जिसमें ‘स्पैशियलिटी स्टील’ का हिस्सा 1.8 मिलियन टन था, जबकि आयात 4.7 मिलियन टन रहा, जिसमें ‘स्पैशियलिटी स्टील’ का हिस्सा 2.9 मिलियन टन था। कुल व्यापार के प्रतिशत के रूप में उच्च आयात और कम निर्यात के इस असंतुलन को पी.एल.आई. योजना द्वारा एकदम से विपरीत किया जा सकता है।राष्ट्रीय इस्पात नीति (एन.एस.पी.), 2017 के तहत 2030-31 तक रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिए उच्च श्रेणी के ऑटोमोटिव स्टील, इलैक्ट्रिकल स्टील, विशेष स्टील और मिश्र धातुओं की पूरी मांग को घरेलू स्तर पर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश इस विजन को तभी हासिल कर सकता है, जब सरकार इस तरह के ‘स्पैशियलिटी स्टील’ के उत्पादन को बढ़ाने और मूल्य शृंखला को बेहतर बनाने के लिए इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित करे। 

मुझे विश्वास है कि यह पी.एल.आई. योजना हमें उच्च गुणवत्ता वाले मूल्य वॢधत इस्पात का उत्पादन करने वाले देशों में शामिल करने में मदद करेगी। आइए हम ‘मेक इन इंडिया’ ब्रांड, जिसका अर्थ प्रतिस्पर्धी कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद का निर्माण है, को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करें।-राम चंद्र प्रसाद सिंह (केंद्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार)

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