भारत में आई.एस. का फैलता जाल

Edited By Pardeep,Updated: 05 Jan, 2019 05:19 AM

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आई.एस.आई.एस. ईराक और सीरिया में लड़ाई हारा है मगर खत्म नहीं हुआ है। वह कुकुरमुत्तों की तरह दुनिया के कई देशों में उग आया है। भारत के कई राज्यों में उसके निशान दिख रहे हैं। हाल ही में कई जगह उसकी गतिविधियां नजर आईं। राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.)...

आई.एस.आई.एस. ईराक और सीरिया में लड़ाई हारा है मगर खत्म नहीं हुआ है। वह कुकुरमुत्तों की तरह दुनिया के कई देशों में उग आया है। भारत के कई राज्यों में उसके निशान दिख रहे हैं। हाल ही में कई जगह उसकी गतिविधियां नजर आईं।राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) की टीम ने दिल्ली व उत्तर प्रदेश में 16 ठिकानों पर छापेमारी करके आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) के एक नए मॉड्यूल ‘हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम’ का पर्दाफाश किया है और दिल्ली में हमला करने की साजिश रचने के आरोप में इसके सरगना सहित 10 संदिग्धों को हिरासत में लिया। कुछ दिनों पहले ङ्क्षहसक प्रदर्शनों के दौरान आई.एस. के झंडे लहराए जाने के बाद शुक्रवार को श्रीनगर की प्रसिद्ध जामिया मस्जिद में कुछ नकाबपोश संदिग्धों ने आई.एस. के झंडे लहराए।

केरल अधिक प्रभावित
केरल के 10 लोग आतंकवादी संगठन आई.एस.आई.एस. में शामिल हो गए हैं। पिछले साल भी उत्तरी केरल के करीब 21 लोग आई.एस.आई.एस. में शामिल होकर अफगानिस्तान गए थे। केरल पुलिस ने बताया कि 2 महिलाएं और 4 बच्चों सहित 10 लोग आई.एस.आई.एस. में शामिल हुए। ये लोग संयुक्त अरब अमीरात से अफगानिस्तान के आई.एस.आई.एस. प्रभावित इलाकों में पहुंच गए हैं। ये सभी उत्तर केरल के कन्नूर जिले के रहने वाले हैं। कन्नूर के पुलिस अधीक्षक पी.पी. सदानंदन ऐसे ही पिछले कुछ मामलों की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को यह जानकारी है कि राज्य के कम से कम 100 लोग विभिन्न देशों के माध्यम से गलत रास्ते पर निकल पड़े हैं। 

ये घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि आई.एस.आई.एस. भारत में अपना जाल फैला रहा है। हकीकत यह है कि ईराक और सीरिया में आई.एस. द्वारा इस्लामिक राज्य की स्थापना के बाद से ही देश में आई.एस. के निशान मिलने लगे थे, उसके मॉड्यूल तो कई पकड़े गए। जब आई.एस. ने इस्लामिक स्टेट के लिए युद्ध शुरू किया था तब महाराष्ट्र के चार नौजवानों आरिफ फैयाज माजिद, फहद तनवीर शेख, अमन तांडेल और साहीन फारूखी तनकी की आई.एस.आई.एस. की ओर से लडऩे की पुष्टि हो चुकी थी। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ सुन्नी युवकों के मोसुल और तिकरित में आई.एस.आई.एस. के साथ युद्ध में शामिल होने की बात भी सामने आई। 

आई.एस. माड्यूल्स का भंडाफोड़
इसके बाद आई.एस.आई.एस. की भारत में बढ़ती घुसपैठ का संकेत तब आया जब गुप्तचर एजैंसियों ने बेंगलुरू से आई.एस.आई.एस. के संदेशों को प्रसारित करने के आरोपों में पश्चिम बंगाल के एक नौजवान मेहीदी मशरूर बिस्वास को गिरफ्तार किया। वह 2 सालों से सोशल मीडिया पर आई.एस. का प्रचार कर रहा था लेकिन सुरक्षा एजैंसियों को इसकी कोई खबर नहीं थी। जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से आई.एस.आई.एस. के बढ़ते प्रभाव के निशान मिलते रहे मगर कोई आतंकी घटना उसकी तरफ से नहीं हुई। पर हर शुक्रवार को पुराने शहर में जुम्मे की नमाज के बाद कुछ प्रदर्शनकारी आई.एस.आई.एस. के काले झंडे  लेकर प्रदर्शन करते हैं। आई.एस.आई.एस. के मुखपत्र  ‘दाबिक’ में कहा गया  है-आई.एस. कश्मीर पर कब्जा करेगा और गाय की पूजा करने वाले हिन्दुओं को खत्म कर देगा।कुछ ही दिनों बाद हैदराबाद में एक-दो नहीं, पूरे के पूरे 11 आतंकी धरे गए। ये लोग स्लीपिंग सैल के साथ मिलकर यहां आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे। 

वैसे आई.एस.आई.एस. के हमले की एक घटना हुई है। भोपाल से उज्जैन जा रही पैसेंजर ट्रेन में 7 मार्च 2017 की सुबह आतंकी हमला हुआ। भोपाल से 70 कि.मी. दूर जबड़ी स्टेशन के पास ट्रेन में पीछे से दूसरे जनरल कोच में एक के बाद एक 2 धमाके हुए। इसमें 10 यात्री घायल हो गए। धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ था। खुफिया एजैंसियों के अनुसार हमले को आतंकी संगठन आई.एस. के मॉड्यूल ने अंजाम दिया है। देश में पहली बार आई.एस. का कोई मॉड्यूल आतंकी हमले में कामयाब रहा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि तमाम एजैंसियों की सक्रियता के बावजूद आई.एस. भारत में हमले करने में सफल कैसे हो गया? लखनऊ में संदिग्ध आई.एस. आतंकी सैफुल्ला को पुलिस ने मार गिराया, यू.पी. पुलिस ने कानपुर, इटावा में संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। लखनऊ में सैफुल्ला के कमरे से काफी मात्रा में हथियार और अन्य सामान बरामद हुए हैं, जिसे 12 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद मार गिराया गया। वह आई.एस. के खुरासान मॉड्यूल के तहत काम कर रहा था। 

आई.एस. एक वैश्विक आतंकवादी संगठन है। उसके जेहादियों में 30 से 40 देशों के लोग शामिल हैं। यह संगठन दो स्तरीय है। एक तरफ  दुनियाभर के 43 इस्लामी संगठनों ने उसके प्रति आस्था का इजहार किया है। दूसरी तरफ  दुनियाभर में उसके प्रांत हैं जिन्हें वह विलायत कहता है। उसके ये प्रांत हैं-लीबिया, मिस्र (सिनाई), खुरासान (भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान), नाईजीरिया, अल्जीरिया, यमन, सऊदी अरब, नार्थ कॉकेशस। इनमें से लीबिया, मिस्र और खुरासान प्रांत बहुत सक्रिय हैं। उनका अपने देशों के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा है। 

अफगानिस्तान के रास्ते भारत में घुसपैठ
पिछले कुछ समय में आई.एस. ने अफगानिस्तान में  कई हमले किए हैं। ये हमले आई.एस. की विलायत खुरासान ने किए हैं। इस्लामिक स्टेट अब अफगानिस्तान के रास्ते भारत में पैर जमाने की एक बड़ी रणनीति पर काम कर रहा है। भारतीय खुफिया एजैंसी रॉ ने एक रिपोर्ट केन्द्र को सौंपी है। इसमें कहा गया है कि आई.एस. अफगानिस्तान में नांगरहार कैम्प में युवाओं को आतंकी हमलों का प्रशिक्षण दे रहा है। इस समय इस ट्रेनिंग कैंप में 20 से ज्यादा भारतीय युवा मौजूद हैं। इनमें ज्यादातर युवा केरल से हैं। आई.एस. खुरासान पाकिस्तान में भी 3 बड़े हमले करा चुका है जिनमें मस्त कलंदर की दरगाह पर हुआ हमला भी शामिल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ईराक-सीरिया में हारने के बाद आई.एस.आई.एस. खुरासान विलायत को अपनी रणभूमि बनाने का इरादा रखता है। केरल में इन दिनों आई.एस.आई.एस. की विचारधारा का असर बढ़ता जा रहा है। केरल से बड़े पैमाने पर लोग खाड़ी देशों में रोजगार के लिए जाते हैं, वहां आई.एस. की विचारधारा के सम्पर्क में आने के बाद उसकी तरफ से लडऩे अफगानिस्तान चले जाते हैं। 

जाकिर मूसा के बयान ने खोली आंखें 
हाल ही में हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना जाकिर मूसा का बयान आया जिसने पर्यवेक्षकों की आंखें खोल दीं। इसमें कहा गया था कि कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा किसी भी तरह से कश्मीर की आजादी के लिए नहीं है। यह सिर्फ कश्मीर में इस्लामिक राज और शरियत बहाल करने की जंग है। राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और देश भक्ति इस्लाम में हराम है। यहां इस्लाम की जंग चल रही है और पत्थरबाज भाई जब भी पत्थर उठाएं, वे इस्लाम के लिए ही पत्थर उठाएं। दरअसल कश्मीर के संघर्ष को इस्लाम के संघर्ष में बदलने का मतलब है कि अब इस्लाम का संघर्ष स्वायत्तता या आजादी के लिए नहीं, उसे  इस्लामी राज्य बनाने के लिए होगा। शरियत को लागू करने के लिए होगा।-सतीश पेडनेकर

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