‘मोदी को समझना बहुत मुश्किल है’

Edited By Pardeep,Updated: 12 May, 2018 03:24 AM

it is very difficult to understand modi

सिद्धरमैया आत्मविश्वास से सराबोर हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि विधानसभा चुनाव में वह आसानी से 120 से अधिक सीटें ले जाएंगे। फिर भी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी गत कुछ दिनों से बहुत सलीके से कांग्रेस की जीत की संभावनाओं में सेंध लगा रही है। वह...

सिद्धरमैया आत्मविश्वास से सराबोर हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि विधानसभा चुनाव में वह आसानी से 120 से अधिक सीटें ले जाएंगे। फिर भी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी गत कुछ दिनों से बहुत सलीके से कांग्रेस की जीत की संभावनाओं में सेंध लगा रही है। वह सेना के स्नाइपरों (छिपे हुए बंदूकधारियों) की तरह अभियान चला रही है, जिसमें कोई भी ढंग व उपाय वर्जित नहीं। इसके बावजूद कांग्रेस के मुख्यमंत्री ऊर्जा और जोश से भरे हुए हैं। 

एक साक्षात्कार में सिद्धरमैया ने कहा कि कांग्रेस अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है क्योंकि भाजपा ने न तो केन्द्र में कोई उल्लेखनीय काम किया है और न ही प्रदेश में। उनका कहना है कि मोदी या अनंत कुमार का कर्नाटक के लिए आखिर क्या योगदान है? और लोग उनके पक्ष में वोट क्यों देंगे? वोट तो कांग्रेस को मिलेंगे क्योंकि उसने विकास कार्य किए हैं। ‘‘मुझे विश्वास है कि 2013 के चुनाव की तुलना में भी हम अधिक स्थानों पर जीत हासिल करेंगे। आखिर हमने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और कर्नाटक के लोगों के साथ किए हुए सभी वायदे पूरे किए हैं।’’ 

चुनावी विश्लेषकों को लगता है कि भाजपा तथा जनता दल (एस.) की सरकार बनने की संभावनाओं को वर्तमान में दरकिनार नहीं किया जा सकता, लेकिन सिद्धरमैया का कहना है कि ऐसा हो ही नहीं सकता। हालांकि उनका कहना है कि ‘‘भाजपा और जद (एस.) के बीच लंबे समय से एक मौन सहमति चली आ रही है। लेकिन मैं इससे विचलित नहीं हूं। अगले कुछ दिनों में यदि मतदान के रुझानों में कोई बदलाव आता है तो वह केवल कांग्रेस के पक्ष में ही होगा।’’ वह तो यहां तक कहते हैं कि मोदी भी भली-भांति जानते हैं कि जीत कांग्रेस की ही होगी। अपनी निश्चित जीत को तर्क से सिद्ध करते हुए सिद्धरमैया का कहना है कि येद्दियुरप्पा को अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत करके भाजपा ने बहुत बड़ी गलती की है, जबकि वह भली-भांति जानती है कि उनका व्यक्तित्व दागदार है।

लेकिन विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि कांग्रेस ने येद्दियुरप्पा की बजाय अपने चुनावी अभियान में मोदी पर अधिक निशाना साध रखा है, जिसके चलते येद्दियुरप्पा को काफी प्रभावी ढंग से अभियान चलाने का मौका मिला है। इसके उत्तर में सिद्धरमैया कहते हैं कि येद्दियुरप्पा तो कांग्रेस पर हल्ला बोल ही नहीं सकते क्योंकि वह भ्रष्टाचार के 23 मामलों में फंसे हुए हैं। ‘‘आखिर मुख्यमंत्री के रूप में उनकी उपलब्धि ही क्या थी? पहले तो वह कहा करते थे कि कृषि ऋण माफ करना संभव नहीं, लेकिन आजकल पता नहीं वह किस आधार पर इसे संभव बता रहे हैं। जब वह कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं तो लोग उन पर हंसते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों में वह खुद जेल की हवा खा चुके हैं।’’ जब सिद्धरमैया से यह पूछा गया कि क्या उन्हें मोदी को सबसे बड़ी चुनौती देने वाले नेता के रूप में देखा जा रहा है तो उन्होंने कहा कि ‘‘चुनौती जैसी कोई बात नहीं। मोदी के भाषण बिल्कुल खोखले होते हैं और इनमें जनता और देश से संबंधित कोई मुद्दा होता ही नहीं। दुर्भाग्य की बात है कि वह पंचायती स्तर की राजनीति तक गिर गए हैं।’’ 

सिद्धरमैया यह नहीं मानते कि मोदी और शाह के संयुक्त अभियान की रणनीति ने भाजपा को नई शक्ति दी है, उलटा वह कहते हैं कि अमित शाह का कर्नाटक की जनता पर कोई प्रभाव नहीं और उनका अभियान एक कॉमेडी शो से बढ़कर कुछ नहीं। ‘‘लोग बेशक उन्हें चाणक्य कहते हैं, लेकिन मुझे उनमें ऐसा कोई गुण दिखाई नहीं दिया। उनकी चाणक्य शैली तो केवल सत्ता के दुरुपयोग तक सीमित है।’’ जब उनसे यह पूछा गया कि क्या भाजपा द्वारा हाल के सप्ताहों के दौरान अपनाई गई अभियान रणनीति के कारण ही कांग्रेस का प्रचार अधिक से अधिक आक्रामक हुआ है? तो इसके उत्तर में सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘मैं पहले ही आक्रामक हूं और इससे अधिक आक्रामक होने की जरूरत नहीं। 

भाजपा और मोदी निराधार एवं झूठे आरोप लगा रहे हैं। मैंने कभी गंदी राजनीति नहीं की और न ही अपने राजनीतिक करियर में किसी पर व्यक्तिगत हमला किया है। मोदी ने ही मुझ पर व्यक्तिगत हमलों की शुरूआत की, लेकिन प्रधानमंत्री के नाते उन्हें इस संबंध में दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत करने चाहिए थे। उन्होंने ऐसा नहीं किया और इसी कारण मैं कुछ आक्रामक हूं।’’ क्या मोदी और सिद्धरमैया के बीच कोई समरूपता या सांझापन है? इस प्रश्न के उत्तर में सिद्धरमैया कहते हैं, ‘‘मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और मैं एक प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं। वह आर.एस.एस. की विचारधारा में पारंगत हैं, जबकि मैं एक अलग पृष्ठभूमि से आया हूं। हम दोनों की तुलना नहीं हो सकती। मैं नहीं जानता कि उनका व्यक्तित्व किस तरह का है। उन्हें समझना बहुत मुश्किल है।’’ 

मोदी बेंगलूर में बहुत प्रचंड स्वर में अभियान चला रहे हैं। क्या बेंगलूर की जनता कांग्रेस से खुश है? इसके उत्तर में सिद्धरमैया कहते हैं : ‘‘हम बेंगलूर में पिछले चुनाव की तुलना में अधिक बढिय़ा कारगुजारी दिखाने के प्रति आशान्वित हैं क्योंकि हम 28 में से 18-19 सीटें जीतने की उम्मीद लगाए हुए हैं। अब तक हमने जो कुछ किया है उससे मैं कोई बहुत प्रसन्न नहीं हूं। हमें महानगर में आधारभूत ढांचा सुधारने की जरूरत है और इसके साथ ही झीलों का विकास करने की जरूरत है। यदि हम सत्ता में लौट आते हैं तो बेंगलूर का विकास हमारी कुंजीवत प्राथमिकताओं में से एक होगा।’’-शरण पूवन्ना

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