कर्ज की राह पर जयराम सरकार का पहला बजट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 03:58 AM

jairam governments first budget on the path of debt

सत्तारूढ़ होने के बाद पुन: सत्ता में आने की राजनीतिक दलों की ख्वाहिशों ने हिमाचल प्रदेश को कर्ज के बोझ में दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछली सरकारों की तुलना में नए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने थोड़ा हटकर चलने की कोशिश तो की है लेकिन फिर भी...

सत्तारूढ़ होने के बाद पुन: सत्ता में आने की राजनीतिक दलों की ख्वाहिशों ने हिमाचल प्रदेश को कर्ज के बोझ में दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछली सरकारों की तुलना में नए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने थोड़ा हटकर चलने की कोशिश तो की है लेकिन फिर भी उन्हें वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में कर्ज की राह पर ही चलना पड़ा है। 

जयराम ठाकुर ने विधानसभा में पेश किए कुल 41400 करोड़ रुपए के अपने पहले बजट में बहुत ज्यादा लोक-लुभावनी घोषणाओं पर तवज्जो न देते हुए कृषि, बागवानी, पर्यटन और स्वरोजगार को प्राथमिकता दी है। बजट में मुख्यमंत्री की सोच को स्थान देने के साथ-साथ अफसरशाही ने आंकड़ों का भ्रमजाल भी खूब फैलाया है। इस बजट में वित्तीय घाटा 7821 करोड़ रुपए का दर्शाया गया है जिसे नए कर्ज उठाकर पूरा किया जाएगा यानी आने वाले वित्तीय वर्ष में भी हिमाचल प्रदेश को कर्ज लेकर अपना काम चलाना पड़ेगा। 

वर्तमान में हिमाचल सरकार पर 48385 करोड़ रुपए का कर्ज है और अगले वर्ष में नए कर्ज उठाने के साथ-साथ उनकी अदायगी और ब्याज चुकाने में 7892 करोड़ रुपए सरकार खर्च करेगी। कुल 41400 करोड़ रुपए के बजट में से वेतन, पैंशन व ऋणों की अदायगी आदि पर 25048 करोड़ रुपए खर्च होंगे जबकि विकास कार्यों पर केवल 39.56 प्रतिशत राशि ही खर्च होगी। इस बजट में राज्य सरकार की ओर से अपने आर्थिक संसाधन बढ़ाने बारे कोई जिक्र नहीं किया गया है जिससे आने वाले सालों में हिमाचल को कर्ज की बीमारी गंभीर परिणामों की ओर ले जाएगी। 

बेहतर होता कि पिछली सरकारों के कर्ज के आंकड़े अपने बजट भाषण में देने वाले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कर्ज से प्रदेश को उबारने के लिए अपनी योजना का खुलासा भी करते लेकिन हिमाचल प्रदेश में हर साल करमुक्त बजट देने की परम्परा रही है जिसे जयराम ठाकुर ने भी निभाने की कोशिश की है। इस बजट में 28 नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई है लेकिन इन योजनाओं का लक्ष्य क्या रहेगा और प्रदेश की कितनी आबादी इनसे लाभान्वित होगी, इसका जिक्र नहीं किया गया है। सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 में रोजगार के कितने अवसर पैदा होंगे, यह जानकारी भी बजट में नहीं है। हिमाचल प्रदेश में पिछली सरकारें भी कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए अनेकों योजनाएं लाई हैं लेकिन उन योजनाओं का लाभ कितने लोगों को मिला और उनका सामाजिक प्रभाव क्या रहा, उसे जानने की कोशिश किसी भी सरकार ने नहीं की। यही कारण है कि इस बार भी पिछली योजनाओं की बिना समीक्षा किए कुछ नई योजनाएं कृषि और बागवानी के क्षेत्र में लाने की घोषणा जयराम ठाकुर ने अपने बजट में की है। 

स्वरोजगार के लिए शुरू की गई 2 योजनाओं को अधिकतम 35 वर्ष की आयु सीमा में बांध दिया गया है जबकि राज्य में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से है और बेरोजगारी का सामना कर रहे 35 वर्ष से अधिक आयु के वर्ग को भी इन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। इस बजट में गत वर्ष कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई बेरोजगारी भत्ते की योजना के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है जिससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान सरकार कांग्रेस शासनकाल की इस योजना को अब विराम देना चाहती है। लंबे समय बाद पहली बार इस बजट में पर्यटन के विकास की बात कही गई है। उद्योगों के लिए भी थोड़ी राहत की बारिश इस बजट में हुई है। 

अनावश्यक ए.जी.टी. की दर में कमी की गई है और बिजली में भी थोड़ी रियायतें दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने कृषि-बागवानी सहित अन्य क्षेत्रों के लिए सरकारी भूमि लीज पर देने की एक बड़ी घोषणा भी बजट में की है। अगर सरकार की ओर से इसके लिए सरल शर्तें बनाई जाती हैं तो यह योजना बेरोजगारी की समस्या कम करने के साथ-साथ राज्य की आर्थिकी बढ़ाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।  आगामी वित्त वर्ष में राज्य की विकास दर को बढ़ाने का एक बड़ा जिम्मा भी नए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कंधों पर है क्योंकि विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हिमाचल प्रदेश की विकास दर लंबे समय के बाद पटरी से उखड़ी है। लंबी अवधि से राष्ट्रीय विकास दर से आगे तो कभी बराबरी पर चलते आ रहे हिमाचल प्रदेश में वित्त वर्ष 2017-18 की अर्थव्यवस्था में विकास दर 6.3 प्रतिशत अनुमानित की गई है जबकि राष्ट्रीय विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 

जाहिर है कि कर्ज के बोझ से थक रहे प्रदेश को विकास में आगे ले जाने के लिए इस बजट में पी.पी.पी. (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) आधार पर राज्य में ढांचागत विकास कार्य करने का जिक्र है। वहीं निवेश मित्र माहौल बनाकर निजी क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश में निवेश करने की कोशिश में सरकार की ओर से कठिन अनुमति प्रक्रियाओं को सरल करने की बात भी मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में कही है। अगर जयराम ठाकुर राज्य में निवेश के द्वार खोलते हैं तो आगामी वित्त वर्ष में विकास दर रफ्तार पकड़ सकती है।-डा. राजीव पत्थरिया

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