अपनों की नाराजगी के बीच उपचुनाव जयराम ठाकुर की परीक्षा

Edited By ,Updated: 25 Sep, 2019 02:42 AM

jairam thakur s test by election amidst his displeasure

हिमाचल प्रदेश के 2 विधानसभा क्षेत्रों धर्मशाला और पच्छाद में उपचुनावों की घोषणा हो गई है। लोकसभा चुनावों में इन दोनों सीटों से भाजपा के निवर्तमान विधायक के सांसद बन दिल्ली जाने के कारण खाली हुए इन हलकों में उपचुनाव 21 अक्तूबर को होने जा रहा है जबकि...

हिमाचल प्रदेश के 2 विधानसभा क्षेत्रों धर्मशाला और पच्छाद में उपचुनावों की घोषणा हो गई है। लोकसभा चुनावों में इन दोनों सीटों से भाजपा के निवर्तमान विधायक के सांसद बन दिल्ली जाने के कारण खाली हुए इन हलकों में उपचुनाव 21 अक्तूबर को होने जा रहा है जबकि मतगणना 24 अक्तूबर को होगी। लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद यह उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

वहीं राज्य में अपने नेतृत्व को कायम करने की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए यह बड़ी परीक्षा है क्योंकि पौने दो साल पहले सत्तारूढ़ हुई भाजपा को अब कहीं न कहीं अपनों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है। इन दोनों उपचुनावों को लेकर टिकट के चाहवानों की सूची भी भाजपा में ज्यादा लम्बी होती जा रही है। संगठन की मैरिट के अलावा इस बार टिकटार्थी खुद का नाम बड़े नेताओं भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार से जोड़ अपने समीकरण बिठाने की कोशिश में देखे जा रहे हैं। इनमें कुछ को जयराम ठाकुर और संघ परिवार में अपनी पैठ का सहारा भी है। 

वहीं धर्मशाला और पच्छाद उपचुनाव के लिए किशन कपूर और सुरेश कश्यप अपनी विरासत अपने ही परिवार को सौंपने की कोशिश में हैं लेकिन भाजपा हाईकमान द्वारा पार्टी के भीतर परिवारवाद को बढ़ावा न देने की नीति से इतना तो जाहिर है कि टिकट संगठन के उसी नेता को मिलेगा जो जीतने की क्षमता रखता होगा। देखा जाए तो उपचुनावों के नतीजे कई बार विपक्ष के पक्ष में तो कई बार सत्तारूढ़ दल के पक्ष में आते रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा भले ही सरकार की ओर से इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में अभी तक घेरेबंदी की कोई योजना नहीं बना पाई है, लेकिन भाजपा संगठन अपनी दूरदर्शी सोच के साथ उपचुनावों की रणनीति बनाने में पहले से जुटा हुआ है। 

पत्र बम और दयाल प्यारी पड़ सकते हैं भाजपा पर भारी
राजनीतिक आधार पर अहम स्थान रखने वाले कांगड़ा जिले के भाजपा नेताओं की जयराम सरकार के प्रति नाराजगी अब तक कई बार देखने को मिल चुकी है, जिसे किसी न किसी तरह से शांत रखने की कोशिश में मुख्यमंत्री और संगठन के पसीने छूट चुके हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल पत्र बम में कांगड़ा जिले के 2 मंत्रियों को घेरते हुए पूरी सरकार को निशाना बनाया गया है। इसकी जांच के लिए पुलिस धूमल गुट के पूर्व मंत्री रविंद्र रवि से पूछताछ भी कर चुकी है, जिससे आने वाले वक्त में धूमल गुट की सक्रियता बढ़ सकती है क्योंकि इस पत्र बम को सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के बेहद करीबी पूर्व मंत्री रविंद्र रवि के साथ जोड़ दिया गया है। देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ नजदीकी इस कदर बढ़ा ली है कि रविंद्र रवि खुद को अकेला महसूस करने लगे हैं। 

यही नहीं, कभी शांता कुमार के साथ चलने वाले कांगड़ा जिले के कुछ नेता और वरिष्ठ कार्यकत्र्ता भी अब बदले निजाम में खुद को हाशिए पर खड़ा देख समीरपुर धूमल और अनुराग के दरबार में हाजिरी लगाते देखे जा रहे हैं। अब बात पच्छाद की करें तो वहां पर संगठन के एक नेता को जयराम दरबार में मिली अहमियत के कारण पार्टी के भीतर गुटबाजी बढऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिला परिषद की चेयरमैन रह चुकी और वर्तमान में भी जिला परिषद सदस्य दयाल प्यारी और संगठन के इस नेता के बीच की कड़वाहट पच्छाद में संगठन के पूरे ढांचे पर असर डाल रही है। गौरतलब है कि पच्छाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है और लम्बे समय से इस सीट पर कांग्रेस के गंगूराम मुसाफिर ही काबिज थे जिन्हें 2 बार लगातार हार का सामना भाजपा प्रत्याशी रहे सुरेश कश्यप ने करवाया था। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में दयाल प्यारी की लोकप्रियता को भी नहीं नकारा जा सकता। 

मुकेश और राठौर की जोड़ी का भी इम्तिहान
धर्मशाला और पच्छाद विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहे उपचुनाव नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है। लगातार चौथी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे मुकेश अग्रिहोत्री पौने 2 साल के भीतर विधानसभा के अंदर और बाहर ज्वलंत मुद्दों पर सत्तापक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 

जाहिर है कि धीरे-धीरे कांग्रेस हाईकमान के चहेते नेता के रूप में वह दिल्ली दरबार में अपना अहम स्थान बना रहे हैं जो उनकी ही पार्टी के कुछेक चेहरों को नागवार गुजर रहा है क्योंकि ऐसे लोग अभी से 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद के नेतृत्व की परिकल्पना कर मुकेश अग्रिहोत्री के लिए दिल्ली दरबार में चुगलबाजी के दौर में सक्रिय होकर मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश में हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर 6 वर्ष से काबिज सुखविंद्र सिंह सुक्खू को हटाकर अध्यक्ष बने कुलदीप सिंह राठौर द्वारा की जा रही संगठन के अहम पदों पर नियुक्तियों को लेकर भी विवाद खड़ा करने की कोशिश इन दिनों जारी है। 

इसी बीच धर्मशाला और पच्छाद विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों की घोषणा हो चुकी है। हालांकि कांग्रेस पार्टी में दोनों हलकों को लेकर टिकट की स्थिति में काफी स्पष्टता है। माना जा रहा है कि पच्छाद से पूर्व मंत्री गंगूराम मुसाफिर और धर्मशाला से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा पर पार्टी भरोसा जता सकती है। हालांकि इस बार धर्मशाला में टिकट के लिए 3 और चेहरे भी आवेदन कर चुके हैं लेकिन पच्छाद से अभी तक सिर्फ गंगूराम मुसाफिर ने ही टिकट के लिए आवेदन किया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी इन दोनों उपचुनावों में शायद अपनी सक्रिय भूमिका न निभा पाएं क्योंकि वह पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे हैं और पी.जी.आई. में उपचाराधीन हैं। जाहिर है कि ऐसे में दोनों उपचुनावों का दायित्व मुकेश अग्रिहोत्री और कुलदीप सिंह राठौर के जिम्मे ही रहेगा।-़डा.राजीव पत्थरिया 
 

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