‘नेताओं का अपना निजी जीवन भी होता है’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 02:18 AM

leaders also have their own personal life

कुछ दिन पहले हार्दिक पटेल ने कहा था कि भाजपा को वोट देने का मतलब है, चोर को अपने घर की चाबी देना। अब उन्होंने कहा है कि जल्दी ही उनके चरित्र हनन के लिए कोई सैक्स सी.डी. जारी की जा सकती है। पिछले दिनों उन पर आरोप लगा था कि वह जब दिल्ली गए थे तो एक...

कुछ दिन पहले हार्दिक पटेल ने कहा था कि भाजपा को वोट देने का मतलब है, चोर को अपने घर की चाबी देना। अब उन्होंने कहा है कि जल्दी ही उनके चरित्र हनन के लिए कोई सैक्स सी.डी. जारी की जा सकती है। पिछले दिनों उन पर आरोप लगा था कि वह जब दिल्ली गए थे तो एक लड़की को साथ ले गए थे। 

इसी तरह राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव का भी एक लड़की के साथ फोटो दिखाकर उनका चरित्र हनन करने की कोशिश की गई। तेजस्वी ने कहा कि यह तस्वीर तब की है जब वह आई.पी.एल. में क्रिकेट खेलते थे। आज वह लड़की किसी की पत्नी होगी, किसी की मां, किसी की बहू, उस पर और उसके परिवार पर क्या बीत रही होगी। वैसे इस प्रसंग में बताते चलें कि राबड़ी देवी ने एक बार कहा था कि उन्हें अपने दोनों बेटों के लिए माल्स में जाने वाली बहू नहीं, घर चलाने वाली बहू चाहिए। इस फोटो को चूंकि जनता दल यूनाइटेड के लोगों ने जारी किया था इसलिए तेजस्वी ने नितीश कुमार पर भी बहुत घटिया ढंग से आरोप लगाए।

उन्होंने कहा कि नितीश जब रेल मंत्री थे तो उन्होंने अर्चना एक्सप्रैस और उपासना एक्सपै्रस चलाई थीं। जरा बताएं कि ये किनके नाम हैं। इसके अलावा जब नितीश दिल्ली जाते हैं तो बिहार भवन में अपना सामान रखकर द्वारका और पालम विहार क्यों जाते हैं? कल तक वह इन्हीं नितीश को चाचा कहते थे। जब तक समझौता सरकारें रहें, तब तक सब ठीक, रिश्ते-नातेदारी भी चले और जैसे ही ये टूटें इस तरह निजी जीवन पर कीचड़ उछाला जाए। वैसे भी नेताओं से हम भगवान होने की उम्मीद क्यों लगाते हैं? उनका भी निजी जीवन होता है। उसके गुण-दोष भी हो सकते हैं। साधारण आदमी अपनी निजता, स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी करे, नेता होते ही आदमी फौरन चरित्र की तुला पर तोला जाने लगता है। कई बार ऐसे आरोप एकदम निराधार भी होते हैं, मगर चुनावी और राजनीतिक रणनीति की उठा-पटक में जैसे सब कुछ जायज होता है। और यह सिर्फ अपने ही देश में नहीं बल्कि अमरीका जैसे खुले समाज में भी होता है।

आरोप सिर्फ  आदमियों पर ही नहीं अपितु औरतों पर भी खूब लगते हैं और रस ले-लेकर कहे-सुने जाते हैं। पिछले साल जब हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रही थीं तो उनके बारे में कहा गया था कि वह अपने पति बिल क्लिंटन को पीटती थीं। आदमी औरत पर हाथ उठाए तो इसे सामान्य बात माना जाता है लेकिन औरत अगर आदमी को पीटे और वह भी पति को तो यह बड़ी मजेदार खबर सिर्फ हमारे यहां ही नहीं, विकसित समाजों में भी होती है। इस तरह के कीचड़ उछालू आरोपों से महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी से लेकर कोई भी तो नहीं बचा है। क्या लोकतंत्र का मतलब हमारे नेताओं का जनता का बंधुआ मजदूर हो जाना है। हर पवित्रता की उम्मीद उन्हीं से क्यों की जाती है?

देखा यह जाना चाहिए कि जिन वायदों को करके वे चुनाव जीते, वे उन्होंने पूरे किए कि नहीं। जनता ने जिन उम्मीदों से उन्हें वोट दिया और जिताया उन पर वे खरे उतरे कि नहीं। यह क्या कि कोई और मसला नहीं मिला तो किसी लड़की या महिला के साथ कोई प्रसंग बताकर या कोई दशकों पुराना मामला मीडिया की सुर्खियों में लाकर लोगों की राय बनाने की कोशिश की जाए। हालांकि, लोग भी अब इतने सजग हो गए हैं कि वे इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। जिसे जितना खलनायक बनाने की कोशिश की जाती है उसे भारी बहुमत से जिता देते हैं। 

वैसे भी हार्दिक पटेल मात्र 23 साल के हैं और तेजस्वी 28 के। व्यक्तिगत जीवन में इन युवाओं को इनकी जिन्दगी जीने के लिए आजाद छोडऩा चाहिए। हां, राजनीतिक पटल पर वे क्या करते हैं इस पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए। अच्छा करें तो तारीफ मिले और बुरा करें तो आलोचना। यही स्वस्थ लोकतंत्र की मांग हो सकती है। इन युवाओं को भी चाहिए कि वे उत्तेजना में इस तरह के आरोप न लगाएं जैसे कि तेजस्वी ने नितीश पर लगाए क्योंकि इस तरह की छीछालेदर का कोई अंत नहीं होता और इस तरह की बातों से इन युवाओं की छवि ज्यादा खराब होती है। 

इस प्रसंग में अभिनेता ऋषि कपूर का एक बयान बहुत दिलचस्प है। एक बार उनके बेटे अभिनेता रणबीर कपूर उस समय की अपनी महिला मित्र कैटरीना कैफ के साथ स्पेन के एक समुद्र तट पर छुट्टियां बिता रहे थे। किसी ने उन दोनों की तस्वीर खींचकर वायरल कर दी। मीडिया में हाय-हाय होने लगी। तब ऋषि कपूर ने एक सवाल के जवाब में नाराज होकर अपने बेटे का बचाव करते हुए कहा था-अब वह इस उम्र में ऐसा नहीं करेगा तो क्या मैं करूंगा। बुजुर्ग नेताओं को भी इन युवाओं के बारे में ऐसी ही सोच रखनी चाहिए, तभी उनका सम्मान भी बना रह सकता है।-क्षमा शर्मा 

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