पिता, मां और पत्नी की ‘किडनियों’ के सहारे जिंदा

Edited By ,Updated: 28 Dec, 2019 02:55 AM

living with the  kidneys  of father mother and wife

नई दिल्ली के सुकेश सिंह को 15 वर्ष पूर्व किडनी फेल होने का पता चला। तब उनकी आयु 24 वर्ष थी। तब डाक्टरों ने उन्हें सुझाव दिया कि उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाएगा। सुकेश के पिता ने उन्हें अपनी किडनी दी। हालांकि 10 वर्ष बाद सुकेश की किडनी एक बार...

नई दिल्ली के सुकेश सिंह को 15 वर्ष पूर्व किडनी फेल होने का पता चला। तब उनकी आयु 24 वर्ष थी। तब डाक्टरों ने उन्हें सुझाव दिया कि उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाएगा। सुकेश के पिता ने उन्हें अपनी किडनी दी। हालांकि 10 वर्ष बाद सुकेश की किडनी एक बार फिर फेल हो गई जिससे उनको एक और ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी। इस बार उनकी मां आगे आई तथा अपने बेटे की जान बचाने के लिए अपनी किडनी उसे दी मगर यह ज्यादा देर नहीं चल सकी। सुकेश (39) को डाक्टरों ने फिर से किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी क्योंकि हाल ही में एक बार फिर उसकी किडनी फेल हो गई। सर गंगा राम अस्पताल (एस.जी.आर.एच.) के डाक्टरों ने एक अदभुत सर्जरी से सुकेश का तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट किया। इस बार सुकेश की पत्नी ने अपनी किडनी देकर उसे एक नया जीवन दान बख्शा। 

तीसरा ट्रांसप्लांट दो कारणों से अदभुत था। पहला यह कि तीसरी बार किडनी दान देने वाले को ढूंढना मुश्किल कार्य था और दूसरी बात यह कि डाक्टरों ने कह रखा था कि अतिरिक्त कैविटी को बनाना होगा ताकि नए अंग को स्थापित किया जा सके। एस.जी.आर.एच. के किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डा. विपन त्यागी के अनुसार तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट वास्तव में सॢजकल चुनौती था। डाक्टरों ने इसका पूरा ध्यान रखा कि नई किडनी की वर्किंग सुचारू ढंग से चलती रहे, वहीं इस बात की भी मुश्किल थी कि सुकेश के शरीर में उपयुक्त स्थान मिल सके। क्योंकि सुकेश के शरीर में पहले से ही चार किडनियां मौजूद थीं, दो उसकी अपनी तथा दो ट्रांसप्लांट की हुईं। डा. त्यागी ने आगे कहा कि सर्जरी के उपरांत सुकेश का स्वास्थ्य ठीक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कहना बड़ा मुश्किल है कि नई किडनी कितनी देर तक क्रियाशील रहेगी। 

इसी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के चेयरपर्सन डा. हर्ष जौहरी ने कहा कि एस.जी.आर.एच. में हम प्रत्येक वर्ष 250 के करीब किडनी ट्रांसप्लांट करते हैं और तीसरी बात किडनी ट्रांसप्लांट करने का यह 5वां केस था। इस अस्पताल में ट्रांसप्लांट शुरू करने के 25 वर्ष के इतिहास में यह देखा गया है कि लोग किडनी दान देने के प्रति बहुत जागरूक हो चुके हैं। इसी कारण किडनी ट्रांसप्लांट करने की गिनती में बढ़ौतरी हुई है। वहीं एक ही रोगी में मल्टीपल ट्रांसप्लांट करने के मामले भी बढ़े हैं।     

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