अमेठी में मेनका की भूमिका

Edited By ,Updated: 01 Apr, 2019 04:00 AM

maneka s role in amethi

उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रत्येक सीट पर अपने पत्ते बड़ी सावधानी से खेल रही है और वह इन लोकसभा चुनावों में अमेठी सीट को जीतना चाहती है। भाजपा ने एक बार फिर अमेठी से स्मृति ईरानी को टिकट दिया है। उसकी सहायता के लिए भाजपा ने सुल्तानपुर से सांसद वरुण...

उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रत्येक सीट पर अपने पत्ते बड़ी सावधानी से खेल रही है और वह इन लोकसभा चुनावों में अमेठी सीट को जीतना चाहती है। भाजपा ने एक बार फिर अमेठी से स्मृति ईरानी को टिकट दिया है। उसकी सहायता के लिए भाजपा ने सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी की सीट बदल कर उन्हें पीलीभीत क्षेत्र भेज दिया  है, जहां से उनकी माता लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती रही हैं तथा मेनका गांधी को वरुण गांधी की सीट सुल्तानपुर से मैदान में उतारा गया है। सीटों का यह हस्तांतरण पहले से नियोजित था ताकि मेनका गांधी अमेठी में भाजपा के लिए प्रचार कर सकें। 

अमेठी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किसी समय मेनका गांधी के पति और राहुल गांधी के चाचा स्व. संजय गांधी करते थे। सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र के कुछ भाग पहले अमेठी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा थे जिसके परिणामस्वरूप अमेठी में मेनका गांधी का प्रभाव आज भी है क्योंकि लोगों के दिलों में उनके पति स्व. संजय गांधी के प्रति आज भी सम्मान है। यही कारण है कि भाजपा  मेनका गांधी के पुराने संबंधों का लाभ इस क्षेत्र में राहुल गांधी के खिलाफ करना चाहती है। 

मायावती की राजनीतिक चाल
बसपा प्रमुख मायावती ने एक बार फिर कर्नाटक में सियासी खेल खेला है ताकि वह इस राज्य में लोकसभा सीटें जीत सकें और उनकी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी मजबूत हो सके। किसी समय जद (एस) के महासचिव  रहे दानिश अली जिन्होंने कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे के लिए समझौता करवाया था, ने अब बसपा ज्वाइन कर ली है और उन्हें उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। दूसरी तरफ कर्नाटक में एकमात्र बसपा मंत्री ने एच.डी. कुमारस्वामी मंत्रिमंडल से  कुछ महीने पहले त्यागपत्र दे दिया है और अब बसपा कर्नाटक की सभी लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रही है। मायावती का यह राजनीतिक कदम  देश का नेतृत्व करने की उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। अली दो दशक तक एच.डी. देवेगौड़ा के विश्वासपात्र रहे हैं और देवेगौड़ा यह समझते हैैं कि अली का यह कदम कर्नाटक में मददगार होगा लेकिन मायावती ने अली को अपने खेमे में लाकर और कर्नाटक में उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाकर एक बड़ा दाव खेला है। 

क्या अडवानी राज्यसभा जाएंगे?
भाजपा सूत्रों के अनुसार एल.के. अडवानी अमित शाह के स्थान पर उच्च सदन में जाएंगे लेकिन कुछ वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि अडवानी की पुत्री प्रतिभा अडवानी अमित शाह के स्थान पर राज्यसभा में जाएंगी। अमित शाह गांधी नगर से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि अमित शाह के स्थान पर किसे राज्यसभा भेजा जाएगा? इस बात में किसी को कोई संदेह नहीं है कि भाजपा के गढ़ गांधीनगर से अमित शाह चुनाव जीत जाएंगे। अडवानी यहां से 1998 से सांसद रहे हैं। हालांकि  मोदी-शाह वंशवाद को बढ़ावा देने के विरुद्ध हैं लेकिन वरिष्ठ आर.एस.एस. कार्यकत्र्ता ने संकेत दिया है कि अमित शाह के स्थान पर प्रतिभा अडवानी राज्यसभा जाएंगी। 

ममता बनर्जी का मिशन 2019
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने 42 में से 22 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है लेकिन दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजर भी दिल्ली पर है और वह राष्ट्रीय स्तर पर थर्ड फ्रंट बनाना चाहती हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में कोई गठबंधन नहीं चाहती हैं। वह पश्चिम बंगाल से सभी 42 सीटें जीतने की कोशिश कर रही हैैं और चुनाव घोषणापत्र जारी करते समय उन्होंने दिल्ली में थर्ड फ्रंट की सरकार का इशारा किया था तथा नोटबंदी के लिए जांच समिति और योजना आयोग को दोबारा शुरू करने का वायदा किया है। 

इसके अलावा उन्होंने एक वर्ष में 100 दिन की बजाय 200 दिन रोजगार देने तथा दिहाड़ी दोगुनी करने का भी वायदा किया है। वह केन्द्र सरकार पर उनका फोन टैप करने का आरोप लगा रही हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 अप्रैल को रेलवे ग्राऊंड में सिलीगुड़ी में जनसभा को संबोधित करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के अनुसार ममता सरकार ने रैली के लिए राज्य सरकार के मैदान की अनुमति नहीं दी है जिसके लिए एक सप्ताह पहले आवेदन किया गया था। इसके बावजूद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को विश्वास है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में 22 सीटें जीतेगी। 

राजस्थान में पकड़ खो रही भाजपा 
भाजपा अभी भी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में उतनी सीटें जीत पाएगी जितनी उसने 2014 के चुनाव में जीती थीं। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से सभी 25 सीटें जीती थीं जिसके परिणामस्वरूप आर.एस. एस. की पृष्ठभूमि वाले कुछ नेता भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में जा रहे हैं। भाजपा के गढ़ जयपुर में मेयर विष्णु लता, जिला बोर्ड चेयरमैन मूलचंद मीणा, और पूर्व भाजपा मंत्री सुरेन्द्र गोयल कांग्रेस में चले गए हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी भाजपा उपाध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान की वर्तमान राजनीति में रुचि नहीं ले रही हैं। इस बीच पूर्व आर.एस.एस. नेता तथा पूर्व विधायक घनश्याम तिवारी कांग्रेस में शामिल हो गए हैैं। जबकि वह भैरों सिंह शेखावत तथा वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी भी पार्टी मुख्यालय में कम ही दिखते हैं और पार्टी की गतिविधियों में पहले की तरह रुचि नहीं ले रहे। इसके परिणामस्वरूप कांग्रेस का उत्साह चरम पर है और वह दावा कर रही है कि वह सभी 25 लोकसभा सीटें जीतेगी।-राहिल नोरा चोपड़ा

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