कई ‘निर्भया’ मौत की नींद सो गईं मगर न्याय अभी दूर

Edited By ,Updated: 06 Dec, 2019 03:28 AM

many  nirbhaya  fell asleep to death but justice still far away

एक बार फिर मैं महसूस करती हूं कि इस देश में महिलाओं की अवहेलना न केवल सरकार द्वारा बल्कि पुरुषों, समाज तथा सामाजिक कार्यकत्र्ताओं द्वारा की जाती है। हैदराबाद दुष्कर्म मामला हमें बताता है कि इस देश की महिलाएं महफूज नहीं हैं। हमारी बेटियों, बहनों तथा...

एक बार फिर मैं महसूस करती हूं कि इस देश में महिलाओं की अवहेलना न केवल सरकार द्वारा बल्कि पुरुषों, समाज तथा सामाजिक कार्यकत्र्ताओं द्वारा की जाती है। हैदराबाद दुष्कर्म मामला हमें बताता है कि इस देश की महिलाएं महफूज नहीं हैं। हमारी बेटियों, बहनों तथा दोस्तों को जागरूक होना पड़ेगा मगर वे कितने जागरूक हों यह सवाल बनता है। यह तो न किसी धर्म का, न ही वोट बैंक का और न ही परिवार के वैर का सवाल है। यह सवाल डर, वासना तथा भेडि़ए किस कदर आगे जा सकते हैं, का है। 

हैदराबाद में यह लड़की एक कर्मचारी थी तथा घर को वापस जा रही थी। कुछ भेडिय़ों ने उसे देखा तथा योजनाबद्ध उस पर डरावना हमला कर दिया। उन्होंने उसका स्कूटर पंक्चर कर दिया, उसका पीछा किया तथा फिर दुष्कर्म किया। उसके मुंह में शराब डाली गई। दम घुटने से मौत और उसके बाद उसके शरीर को जला डाला। जब उसकी बहन ने पुलिस को फोन किया तो पहला सवाल यह था कि क्या वह घर से भागी है। मेरे लिए इतना ही काफी है कि उस पुलिस वाले को नौकरी से बाहर निकाल देना चाहिए तथा उसे आजीवन कारावास होना चाहिए। आखिर उसने यह पूछने की हिम्मत कैसे की। मेरा खून खौल उठता है। 

स्त्री ‘सती’ तो किसी विवशता के कारण होती है 
मेरे देश में पुरुषों का अहंकार, महिलाओं के बारे में उनके विचार कभी भी बदलने वाले नहीं। मेरा सिर शर्म से उस समय झुक जाता है जब विदेश जाती हूं तथा वहां लोग भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के बारे में बात करते हैं। भारतीय होने के नाते मैं गर्व महसूस करती हूं मगर ऐसी बातों से मैं शर्मसार हो जाती हूं। वे मुझसे कहते हैं कि आपके देश में स्त्री ‘सती’ तो किसी विवशता के कारण होती है मगर यह कृत्य भूख, वासना के तहत हुआ है। यह देश की यात्रा पर आए विदेशी पर्यटकों तथा भारतीय महिलाओं की सुरक्षा पर एक बड़ा तमाचा है। 

दुष्कर्मी की उम्र के बारे में चर्चा होना महज बकवास है। उनके शरीरों में वासना होना ही यह बताता है कि वे वयस्क सोच वाले हैं। नाबालिग होने के नाते उनके लिए इतना ही काफी है कि दुष्कर्म को कैसे अंजाम दिया जाता है। ऐसे लोगों को फांसी होने के बाद भी लटकता रहने देना चाहिए। उन्हें सार्वजनिक तौर पर गोली मार देनी चाहिए ताकि एक उदाहरण बन सके। जब मामले लम्बे समय तक लटकते हैं तो ऐसे लोग जेल में पड़े रहते हैं। जेलों में अपनी जरूरतों के अनुरूप वे सभी सुख-सुविधाएं खरीदना जानते हैं और इन बातों को वहां पर पूरा भी किया जाता है। ऐसे दुष्कर्मीं पर किसी प्रकार की दया नहीं दिखानी चाहिए। मैं आज अपनी पोतियों, बेटियों, बहनों, यहां तक कि अपनी 90 वर्षीय बूढ़ी मां के प्रति चिंतित हूं कि उनसे भी दुष्कर्म हो सकता है। 

राजनीतिक दलों की भी बेटियां तथा बहनें हैं
दुष्कर्मी पर कभी भी तरस न खाएं। उसको सजा ही देनी चाहिए। राजनीतिक दलों की भी बेटियां तथा बहनें हैं। अगर आज यह घटना मेरे संग घट जाती है तो कल को इनके साथ भी ऐसा हो सकता है। पीड़िता किसी पुलिस अधिकारी के परिवार की सदस्या हो सकती है, यह मीडिया में से ही किसी की बेटी हो सकती है। मेरी दोनों हाथ जोड़ कर विनती है और इस राष्ट्र की नागरिक या फिर महिला होने के नाते मांग भी है कि ऐसे कानूनों को बदला जाए। यदि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में वास्तव में ही गम्भीर हैं तो उनके पास संसद में पूर्ण बहुमत है, वह जो चाहें उसमें संशोधन कर सकते हैं मगर ऐसा करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। मुझे यकीन है कि राज्यसभा इस बारे में ऐसा कोई कानून पास करेगी, जिससे अपराधियों को सबक सिखाया जा सके। ऐसे मामलों में संसद को अरब देशों की सजा का अनुसरण करना होगा। भीड़ द्वारा ऐसे लोगों को पत्थर मार-मार कर मार देना चाहिए। 

शौचालय, स्वच्छता को छोड़ मोदी करें महिलाओं को सुरक्षा प्रदान
संसद में प्रदर्शन, महिलाओं के बीच में प्रदर्शन या फिर छात्रों के बीच प्रदर्शन से किसी को कोई परवाह नहीं। हमारे देश के प्रधानमंत्री को शौचालय, स्वच्छ भारत तथा अन्य परियोजनाओं को रोक कर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। इस सत्र के दौरान यदि सम्भव हो तो संसद में महिलाओं की सुरक्षा पर कानून बनाए जाएं। ऐसी घड़ी में यह समय की जरूरत है। कई ‘निर्भया’ मौत की नींद सो गईं मगर न्याय अभी तक न मिला। मुझे उनके परिवारों से पूरी सहानुभूति है। मैं आपको यकीन दिला सकती हूं कि इस दुनिया की प्रत्येक महिला आपको वोट देगी। यह मेरा आग्रह, आदेश तथा मेरा अधिकार है कि मैं इस देश में जिसमें मैं रहती हूं, महिलाओं की सुरक्षा के बारे में आपसे पूछूं। मिस्टर मोदी अब जागो। कड़े कानून बनाकर तथा तत्काल सजा सुनाकर हमारा बचाव कर सकते हो। आखिर इतनी आसानी से दुष्कर्म कैसे हो जाते हैं। इसके कुछ कारण हैं। यौन ग्रस्त समाज में नैट पर पोर्न फिल्में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। हार्मोन्स का प्रकोप बढ़ता है।

इसी कारण दुष्कर्म होता है। पिछले दो दशकों के दौरान भ्रूण हत्याएं हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवास कर युवा लोग शहरों की तरफ आए हैं जो अपने बचपन के दौरान कुपोषित रहते थे। उनके दिमाग पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते जिसका मतलब यह है कि वे यौन क्रियाओं पर अपना नियंत्रण रख पाने में असमर्थ हैं। इसी कारण वे महिलाओं को चपेट में ले लेते हैं। इस कारण गैंगरेप होते हैं। सख्ती के साथ कानून को लागू नहीं किया जाता। पीड़िता की शिकायत, गम्भीरता तथा उसके महत्व पर ध्यान नहीं दिया जाता। कुछ कानूनविदों का कहना है कि निर्भया का केस जल्दबाजी में कमजोर तरीके से तैयार किया गया था।-देवी चेरियन

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