Edited By ,Updated: 13 Sep, 2019 03:20 AM
श्रीनगर के हवाल क्षेत्र के रहने वाले नजीर अहमद ने अपने सरकारी कर्मचारी बेटे आसिफ अहमद के विवाह के लिए मेहमानों की सूची को 450 से कम करके महज 100 तक कर दिया। शादी के कार्ड छपवा लिए गए थे लेकिन उन्हें बांटा नहीं गया था। समारोह में भारी कटौती की गई और...
श्रीनगर के हवाल क्षेत्र के रहने वाले नजीर अहमद ने अपने सरकारी कर्मचारी बेटे आसिफ अहमद के विवाह के लिए मेहमानों की सूची को 450 से कम करके महज 100 तक कर दिया। शादी के कार्ड छपवा लिए गए थे लेकिन उन्हें बांटा नहीं गया था। समारोह में भारी कटौती की गई और उसमें केवल करीबी रिश्तेदार तथा पड़ोसी शामिल हुए।
नजीर अहमद ने बताया कि वह तीन दिन तक चलने वाले विवाह समारोहों के लिए 8 किं्वटल मटन (बकरे का मांस) बनाने की योजना बना रहे थे लेकिन अधिकांश समारोहों को संक्षिप्त कर दिया गया और केवल 2 क्विंटल मटन ही पकाया गया। उन्होंने बताया कि बारात में दूल्हे के साथ केवल 5 व्यक्ति गए।
कश्मीर की तालाबंदी के साथ ही वहां आवागमन पर प्रतिबंध लागू हो गए तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद संचार के माध्यमों पर भी रोक लगा दी गई जिसका कश्मीर में जीवन के सभी क्षेत्रों पर असर हुआ है। अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के कुछ ही दिनों बाद कश्मीर के समाचारपत्र विवाह समारोहों को रद्द करने की सूचनाओं से भरे पड़े थे। जिन कुछ लोगों ने अपने विवाह समारोह रद्द नहीं किए, उन्होंने उन्हें बहुत ही सादा ढंग से आयोजित किया।
विवाह समारोहों से सीधे तौर पर जुड़े व्यवसायों को बहुत चोट पहुंची है। वाजवान नामक मल्टी-कोर्स मटन व्यंजन बनाने वाले वाजास से लेकर मांस बेचने वालों, डैकोरेटर्स, गायकों तथा डिस्पोजेबल मैटीरियल के व्यापारियों तक सभी को बहुत अधिक नुक्सान उठाना पड़ा। जुबैर अहमद तथा उनका म्यूजिक बैंड ‘एक्सप्रैशंस’ विवाह समारोहों में अपनी कश्मीरी संगीतमय प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध है। अहमद ने बताया कि विवाहों के रद्द होने के कारण उनके बैंड, जिसमें 8 गायक तथा संगीतकार हैं, को इस सीजन में 15 लाख रुपए का नुक्सान उठाना पड़ा है। अहमद के पास 57 विवाह समारोहों की बुकिंग थी। जहां कुछ लोगों ने समारोह रद्द कर दिए, वहीं अन्य ने गायन तथा संगीत के बगैर अत्यंत सादा ढंग से समारोह आयोजित किए।
जुबैर अहमद ने बताया कि वह इस विवाह सीजन के लिए कई महीनों से तैयारी कर रहा था। वह दिल्ली से 5 लाख रुपए में एक नया साऊंड सिस्टम खरीद कर लाया था और उसे इस सीजन में बहुत बढिय़ा व्यवसाय मिलने की आशा थी। यह उसके लिए एक बहुत बड़ा नुक्सान है। इस तरह से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के लगभग एक महीने बाद जहां प्रशासन का पूरा जोर हिंसा को रोकने पर लगा रहा, कश्मीर की अर्थव्यवस्था एक बड़ा गोता खा गई। जितना अधिक समय तक कश्मीर का संकट ङ्क्षखचेगा उतनी ही अधिक स्थिति बिगड़ेगी।-जैड. इकबाल