‘हिन्दुओं तथा मुसलमानों के बीच शादियां समुद्र में बूंद के समान’

Edited By ,Updated: 10 Dec, 2020 02:48 AM

marriages between hindus and muslims like a in the sea

मेरे भाई ने अपना सारा जीवन और रिटायरमैंट के बाद के समय को भी दिल्ली में गुजार दिया। उनके दो बेटे हैं और दोनों ही हिंदू लड़कियों से विवाहित हैं। एक बंगाली तथा दूसरी बहू असमी है। दुर्भाग्यवश भाजपा अंत:धर्म विवाह को लव-जेहाद तब ही मानती

मेरे भाई ने अपना सारा जीवन और रिटायरमैंट के बाद के समय को भी दिल्ली में गुजार दिया। उनके दो बेटे हैं और दोनों ही हिंदू लड़कियों से विवाहित हैं। एक बंगाली तथा दूसरी बहू असमी है। दुर्भाग्यवश भाजपा अंत:धर्म विवाह को लव-जेहाद तब ही मानती है जब एक मुस्लिम लड़का किसी एक हिंदू लड़की से शादी करता है। हिंदू राष्ट्र में न तो इसकी अनुमति है और न ही इसे बर्दाशत किया जाता है। भाजपा शासित राज्यों में सख्त कानून बनाए गए हैं जो ऐसी शादियों को निरुत्साहित करते हैं और इन्हें स्वीकार नहीं करते। 

इस्लामी परम्परा के अनुसार निकाह से पूर्व गैर-मुस्लिम पार्टनर को अपना धर्म परिवर्तन करना होता है। ईसाई तथा हिंदू धर्म के विपरीत इस्लामिक कानून के तहत शादी एक अनुबंधित होती है। इस्लाम के अलावा कोई भी धर्म अपनी प्रेमिका या पत्नी को अपना भगवान बदलने को नहीं कहता। वर्तमान में एक बहु सांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहु-भाषीय समाज में किसी दूसरे धर्म की लड़की या फिर लड़के को प्यार में पडऩे से रोकना नामुमकिन लगता है। सदियों से ऐसी परम्परा चल रही हैै जैसे एक पतंगा रोशनी की तरफ आकर्षित होता है। निश्चित तौर पर यह जरूरी नहीं कि प्रेमिका को प्रेमी के धर्म को अपनाना पड़े। ऐसा ही हिंदुत्व कहता है। 

मेरी पत्नी तथा मैंने यह तय किया कि अपनी दो बेटियों को लाइफ पार्टनर चुनने दिया जाएगा और हम उसमें कोई दखलअंदाजी नहीं करेंगे। एक लेबनानी-अमरीकी कवि और दार्शनिक खलील जिब्रान ने कहा है कि ‘‘आपके बच्चे आपके नहीं हैं। वे एक विश्वास की क्षमता के तहत आपको प्राप्त हुए हैं। आपको  उनको बढऩे देना, प्यार करने तथा उनकी सेवा में तब तक लगे रहना है जब तक वे अपना जीवन साथी ढूंढ नहीं लेते।’’ दो परिवारों की पुरानी परम्परा उस समय खत्म हो जाती है जब उनके बच्चे आधुनिक समय में सभी सांस्कृतिक तथा धार्मिक बंधनों को तोड़ अपना जीवन साथी चुन लेते हैं। 

खुले विचारों वाले परिवार अंत:धर्म शादियों को आसानी से अपना लेते हैं और उसमें घुल-मिल जाते हैं। मेरी दो भतीजियों को किसी प्रकार की मुश्किल पेश नहीं आई। मेरी युवा बेटी ने एक पारसी से शादी की। इसी तरह मेरी बड़ी बेटी ने भी। उसके परिवार की पहचान पारसी तथा दूसरी की गोवा परिवार से है। अपनी इस बहस के टॉपिक को बदलते हुए मेरे परिवार ने लव-जेहाद की मुश्किल नहीं देखी। सभी युवा लोग एक-दूसरे से खुश हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार अपने देवी-देवताओं को मानता है। खुले विचारों के संबंध में मेरा यह मानना है कि ऐसा होना निश्चित है। लेकिन उन परिवारों के लिए यह ठीक नहीं, जो मानते हैं कि उनका अपना धर्म ही एक सच्चा धर्म है और उनके देवता ही केवल मानने योग्य हैं। 

2002 के साम्प्रदायिक विस्फोट के तुरन्त बाद ही मैंने अहमदाबाद का दौरा किया। मैंने 50 या इससे अधिक प्रतिष्ठित गुजराती हिंदू घरेलू परिवारों के साथ खाना सांझा किया। मेरे एक डाक्टर दोस्त ने उनके मन के भावों को दूर करने के लिए एक व्यवस्था दी कि प्रत्येक मुस्लिम की चार पत्नियां तथा आधा दर्जन बच्चे या फिर ज्यादा बच्चे होते हैं। चार में से प्रत्येक को तत्काल समाधान के लिए किनारे किया जाता है।

भाजपा के कट्टर समर्थकों के मनों में यह बात अब गहरे तौर पर घर कर गई है कि उन्हें सहन नहीं किया जा सकता। मुस्लिम लड़कों तथा हिंदू लड़कियों के मध्य शादियों की गिनती समुद्र में एक बूंद के समान है जोकि हिंदू समाज के पारम्परिक जाति व्यवस्था के प्रारूप से अलग है। हिंदूवादी ताकतें ऐसी शादियों को स्वीकार करना नहीं चाहतीं जो उनके हिसाब से नियमों के विपरीत हैं। 

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की हिंदूवादी सरकार मुस्लिम लड़कों तथा हिंदू लड़कियों के मध्य होने वाले अंत:धर्म विवाह पर हमला करती रहेगी। इलाहाबाद, दिल्ली तथा भोपाल हाईकोर्ट ने ऐसी शादियों को खत्म करने के प्रयासों के खिलाफ फैसला सुनाया, प्रत्येक व्यक्तिगत वयस्क का संवैधानिक अधिकार है कि वह अपने जीवन साथी को चुनें। भाजपा शासित राज्यों जैसे यू.पी., मध्यप्रदेश और असम में इस तरह के अपराधीकरण के लिए कानून पेश किया गया। आखिरकार यदि भाजपा तथा आदित्यनाथ आज कानून के नियमों को दर-किनार कर मारपीट करते हैं तो वे जनादेश को खारिज करते हैं। इस तरह भारत को एक बार फिर ङ्क्षहदू राष्ट्र का नाम दिया जाएगा जो एक ऐसा देश होगा जो अपने पड़ोसी के साथ कट्टरता में प्रतिस्पर्धा करेगा।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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