पति के हत्यारों के लिए फांसी नहीं, उम्रकैद चाहती है मरियम

Edited By Pardeep,Updated: 29 Sep, 2018 04:53 AM

mary wants not to be hanged for murderers

मरियम खातून चाहती हैं कि उनके पति के हत्यारे अपने परिवारों से अलग होने की पीड़ा महसूस करें। वह पिछले वर्ष कई बार कह चुकी हैं कि वह उन लोगों के लिए मौत की सजा नहीं चाहतीं जिन्होंने उनके पति को मार डाला था। वह नहीं चाहतीं कि कोई अन्य महिला विधवा बने,...

मरियम खातून चाहती हैं कि उनके पति के हत्यारे अपने परिवारों से अलग होने की पीड़ा महसूस करें। वह पिछले वर्ष कई बार कह चुकी हैं कि वह उन लोगों के लिए मौत की सजा नहीं चाहतीं जिन्होंने उनके पति को मार डाला था। वह नहीं चाहतीं कि कोई अन्य महिला विधवा बने, मगर वह तब तक आराम से भी बैठना नहीं चाहतीं जब तक कि हत्यारों को जीवन भर के लिए जेल में न डाल दिया जाए। 45 वर्षीय मरियम ने बताया कि उन्हें भी अपने बच्चों से अलग होने की पीड़ा का एहसास होगा। वह आशा करती हैं कि ऐसा होगा और फिर वह उन्हें (मरियम को) याद करेंगे और सोचेंगे कि उन्होंने सही किया या गलत। 

झारखंड के रामगढ़ की रहने वाली मरियम शांत हैं मगर अपने पति बारे बात करते समय वह काफी व्यग्र हो उठती हैं। वह किसी व्यक्ति के इस अधिकार का बचाव करती हैं कि वह कुछ भी चाहता है खा सके या फिर जैसा कि उसने एक बार अधिकारियों के सामने कहा था कि सभी को शाकाहारी ही क्यों नहीं बन जाना चाहिए। जब भी उनके 6 बच्चों में से कोई बाहर जाता है तो वह डरी रहती हैं। उनके पति की हत्या करने से पूर्व 2 आरोपी उनके घर के सामने ही खड़े थे। मगर यह घटना भी मरियम को गाय को लेकर हिंसा तथा इस जघन्य अपराध में हाल ही में हुई वृद्धि में भाजपा की कथित सहभागिता के विरुद्ध बोलने से नहीं रोक पाई। वह कहती हैं कि भारत में मुसलमान होना एक अपराध है, संयुक्त राष्ट्र में दाखिल एक रिपोर्ट भाजपा की 2014 में जीत तथा दलित, मुस्लिम, जन जातीय तथा क्रिश्चियन समुदायों के लोगों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के बीच संबंध को उजागर करती है। 

रामगढ़ के स्थानीय शनिवार बाजार में दिन-दिहाड़े भीड़ द्वारा हमला करके उनके पति अलीमुद्दीन अंसारी की हत्या करने, जिसके बारे में सूचना उन्हें एक व्हाटसएप वीडियो से मिली थी, के 9 महीने बाद एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। मरियम ने याद करते हुए बताया कि गवाही के पश्चात उन्होंने जज से कहा था कि वह एक और बिंदू उठाना चाहती हैं। अभी तक रामगढ़ में हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच कोई अंतर नहीं था। वे सब खुशी-खुशी मिलकर रहते थे। अब इन व्यक्तियों ने एक विभाजन पैदा कर दिया है। वह न्याय चाहती हैं। अतिरिक्त जिला जज ओम प्रकाश ने उन्हें आश्वस्त किया था कि न्याय मिलेगा। 

यह भारत का गौरक्षा के नाम पर हत्या के मामले में एकमात्र केस था जिसका परिणाम सजा के रूप में निकला। मगर उनके ऐतिहासिक निर्णय के तीन महीनों बाद हाईकोर्ट ने एक स्थानीय भाजपा नेता सहित 8 लोगों को जेल से रिहा कर दिया। उस दिन, 9 जुलाई को केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, जिन्होंने बाद में कहा था कि उन्होंने आरोपियों को कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई थी, ने व्यक्तियों को घर पर बुलाया और उन्हें फूलमालाएं पहनाईं। मंत्री ने अपनी कार्रवाई को न्यायोचित ठहराया और फिर बाद में माफी मांग ली। ऐसा पहली बार नहीं था कि सिन्हा ने आरोपियों को समर्थन दिया था। उन्हें दोषी ठहराए जाने पर सिन्हा ने सी.बी.आई. जांच की मांग की थी। 

झारखंड गौरक्षा के नाम पर हिंसा की घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है जिसमें केवल इस वर्ष गाय से संबंधित हिंसा की 17 घटनाएं हुईं, 34 लोग उसके शिकार बने तथा 8 लोग मारे गए। ऐसे परिवारों को अभी तक न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही विधवा पैंशन। कइयों को तो आरोपियों द्वारा धमकियां दी जा रही हैं। एक महिला ने बताया कि उसके खिलाफ पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज किया है क्योंकि अपने बेटे का शव देखने के बाद परेशानी में उसने एक पुलिस अधिकारी को धक्का दे दिया था। दो मामलों में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। मरियम अभी भी मुआवजे तथा एक नौकरी का इंतजार कर रही हैं, जो जिलाधीश ने उनके बड़े बेटे को देने का वायदा किया था। ये सब इस तथ्य के बावजूद है कि झारखंड उन कुछ राज्यों में से एक है जो सुप्रीम कोर्ट की हालिया व्यवस्था का पालन कर रहे हैं, जिसमें उसने माब लिंचिंग से बचने तथा दोषियों को सजा देने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे। 

यह पूछने पर कि यदि मंत्री उनके घर आते हैं तो वह कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगी, मरियम ने कहा कि जो कोई भी उनके साथ एकजुटता दिखाने आएगा वह उसका स्वागत करेंगी। मगर वह जानती हैं कि यदि सिन्हा आना चाहते तो वह तभी आ जाते जब 2017 में उनके पति की हत्या की गई थी। उन्होंने कहा कि वह तब नहीं आए और अब भी नहीं आएंगे। यदि वह आते तो मीडिया भी उनके साथ आता और जब मैं उनके सामने उनसे प्रश्र पूछती तो उनके पास देने के लिए उत्तर नहीं होते, जो मंत्री के लिए शर्मनाक होता। उनका मानना है कि मंत्री को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था। मरियम ने बताया कि उनके पति की हत्या के बाद अधिकतर राजनीतिक दलों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा, सिवाय भाजपा के।-पी. रामानी 

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