मी टू : कहां तक जाएगा यह ‘तूफान’

Edited By Pardeep,Updated: 14 Oct, 2018 12:47 AM

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मी टू की तितली धमाके के साथ भारत पहुंच चुकी है और हर दिन नए-नए खुलासों के साथ कोई-न-कोई महिला सामने आ रही है। कुछ खुलासे दिल दहलाने वाले हैं और महिलाओं की स्वायत्तता पर चोट करने वाले हैं। अभी कई नामचीन हस्तियों के बारे में खुलासे हुए हैं जिनमें एक...

मी टू की तितली धमाके के साथ भारत पहुंच चुकी है और हर दिन नए-नए खुलासों के साथ कोई-न-कोई महिला सामने आ रही है। कुछ खुलासे दिल दहलाने वाले हैं और महिलाओं की स्वायत्तता पर चोट करने वाले हैं। अभी कई नामचीन हस्तियों के बारे में खुलासे हुए हैं जिनमें एक केंद्रीय मंत्री भी हैं। मंत्रिमंडल में उनके बने रहने पर भी अब सवाल पैदा हो गया है, हालांकि केंद्र सरकार या भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जबकि स्मृति ईरानी, उमा भारती एवं मेनका गांधी ने महिलाओं की पीड़ा के प्रति संवेदना जताई है और खुलासा करने वालों के साहस की दाद दी है। 

तनुश्री दत्ता ने अगुवाई की और नाना पाटेकर पर आरोप लगाया। उनका मामला 10 वर्ष पुराना है। उन्होंने पुलिस में पाटेकर एवं तीन अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करवा दी है। यह अच्छा है, कम-से-कम जांच तो होगी या होनी चाहिए किंतु मामला काफी पुराना है। अन्य मामले कई दशक पुराने हैं इसलिए अदालत की कसौटी पर उनके खरा उतरने की कोई भी संभावना नहीं है। वैसे यह जरूरी नहीं है कि हर सच अदालत में प्रमाणित हो ही जाए। अगर ऐसा होता तो कोई अपराधी बच नहीं पाता लेकिन बिना प्रमाण के किसी को सजा भी तो नहीं दी जा सकती। 

खैर इन मामलों में सच्चाई जो भी हो, मी टू की नई मुहिम ने उस यौन स्वतंत्रता को एक बड़ा झटका दिया है जिसकी शुरूआत 1960 के दशक में अमरीका में हुई। इसे सैक्सुअल क्रांति कहा गया था जिसने सैक्स के बारे में सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ा और युवकों-युवतियों को यौन संबंध बनाने की स्वतंत्रता दी। अलबत्ता यह सहमति के आधार पर था, परंतु कोई भी व्यक्ति अपनी भावना का इजहार निडर होकर कर सकता था। आज स्थिति ठीक विपरीत है। आज सच्चे प्रेम का इजहार भी किसी पुरुष को संकट में डाल सकता है, यौन संबंध की इच्छा जताने की तो बात ही छोड़ दें। 

एक बात स्वीकार करनी चाहिए कि व्यभिचार हर युग में था। कोई भी काल ऐसा नहीं था जहां विवाहेत्तर संबंध नहीं होते थे। गैलीलियो एक धार्मिक रोमन कैथोलिक थे लेकिन उन्होंने किसी पराई स्त्री से तीन बच्चे पैदा किए। इनमें दो बेटियां थीं- वर्जिनिया एवं लीविया, जिनका जन्म क्रमश: 1600 एवं 1601 में हुआ। अवैध संतान होने के कारण उनका विवाह नहीं हो पाया और उन दोनों को पूरी जिंदगी आर्सेट्री के सैन मैटियो कांवैंट में गुजारनी पड़ी। फ्रांसेस्को पेट्रार्क, जो इटली के पुनर्जागरण काल के मशहूर कवि तथा मानवतावादी थे, कुंवारे रह गए क्योंकि चर्च ने उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं दी परंतु उन्हें अज्ञात स्त्री या स्त्रियों से दो बच्चे हुए। साम्राज्ञी एलिजाबेथ सम्राट हैनरी अष्टम की अवैध संतान थीं। कहा जाता है कि उनके अपने मंत्रियों से दैहिक संबंध थे और इस कारण उनकी बदनामी थी। उन्होंने दो राजाओं (फ्रांस एवं स्पेन) को शादी करने का आश्वासन दे रखा था परंतु बाद में यह कहकर मुकर गईं कि उनकी शादी इंगलैंड में हो चुकी है। इससे उनका सम्मान बहुत बढ़ गया। 

रूसो के अपनी नौकरानी के साथ संबंध थे और विवाह से पहले उससे पांच बच्चे पैदा हुए। कार्ल माक्र्स के आधिकारिक जीवनीकार डेविड मैकलेलन के अनुसार माक्र्स का अपनी नौकरानी हेलेन डेमुथ के साथ संबंध था जिसने 23 जून 1851 को एक बच्चे को जन्म दिया। बर्नार्ड शॉ जीवन भर इस यंत्रणा से गुजरते रहे कि वह अपने घोषित पिता के पुत्र न होकर अपनी मां के प्रेमी जॉर्ज जॉन ली के पुत्र हैं, ऐसा उन्हें संदेह था। लॉर्ड कर्जन आज भी महिलाओं के बीच अलोकप्रिय हैं क्योंकि उन्होंने स्त्रियों के मताधिकार का विरोध किया लेकिन उन्हें स्त्रियों का संग पसंद था और वे उन पर मोहित थीं। शादीशुदा महिलाएं उनकी दीवानी थीं और वह स्वयं एक भावुक प्रेमी थे। कम से कम एक त्रस्त पति ने तलाक मामले में कर्जन का नाम देने की धमकी दी थी। ज्यॉ पॉल सात्र्र एवं सीमोन द बुआ बिना शादी के साथ रहते थे। किंतु सात्र्र के कई और संबंध थे तथा सीमोन द बुआ का भी अमरीकी उपन्यासकार नेल्सन ऐंग्रेल के साथ संबंध बना लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका क्योंकि सीमोन द बुआ के लिए अमरीका में रहना संभव नहीं था और न ही ऐंग्रेल के लिए फ्रांस आना। 

ऐसे उदाहरणों की भरमार है। जिसका भी जीवन खंगाला जाता है वहीं ऐसे संबंधों के किस्से मिलते हैं। शायद हमाम में सब नंगे हैं। किसी की कहानी सामने आती है, किसी की नहीं। यह सही है कि कई पुरुष जबरन संबंध बनाते हैं और अपने रसूख का दुरुपयोग बिना अनुताप करते हैं। यह ङ्क्षनदनीय है क्योंकि हर लड़की इसके लिए तैयार नहीं होती। 2010 में हैती में विनाशकारी भूकंप आया जिसमें 2,20,000 व्यक्तियों की मृत्यु हुई और 3 लाख घायल हुए जबकि 15 लाख बेघर हो गए। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं मदद के लिए सामने आईं जिनमें ऑक्सफैम की अग्रणी भूमिका थी। बाद में खुलासा हुआ कि इसके अधिकारी मदद देने के लिए वहां की महिलाओं का यौन शोषण कर रहे थे। यानी जिनकी जिम्मेदारी बचाने की थी वे दरिंदे बन अपनी शारीरिक भूख मिटा रहे थे। खैर यह तो एक अलग तरह की घटना थी, परंतु यह भी उतना ही सच है कि कई महिलाएं न सिर्फ  तैयार होती हैं बल्कि अपने शरीर को सफलता की सीढ़ी बनाती हैं। उनके शिकार योग्य एवं परिश्रमी पुरुष होते हैं जिन्हें उनका हक नहीं मिलता। 

यौन उत्पीडऩ न सिर्फ  निंदनीय है, बल्कि दोषी को इसमें सजा भी होनी चाहिए परंतु पूरी पुरुष बिरादरी को राक्षस एवं भेडि़ए के रूप में पेश करना न तो उचित है, न समस्या का समाधान। इसके अलावा सैक्स की जरूरत हर इंसान को है-चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। जिन कुछ महिलाओं ने हार्वे वेंस्टाहेन पर सबसे पहले आरोप लगाया उनमें एक हैं इटली की अभिनेत्री एवं निर्देशक एशिया अर्जेंटो। मी टू आंदोलन में उनकी महत्ती भूमिका थी। बाद में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने स्वयं अपने ऊपर आरोप लगाने वाले जिम्मी बेनेट को गुप्त धन दिया। 

युवा अभिनेता एवं रॉक संगीतकार बेनेट ने आरोप लगाया कि अर्जेंटो ने उनके साथ कैलिफोर्निया के एक होटल में जबरदस्ती यौन संबंध बनाया। तब उनकी उम्र 17 वर्ष से दो माह ज्यादा थी जबकि अर्जेंटो 38 वर्ष की थीं। कैलिफोर्निया में सहमति की न्यूनतम उम्र 18 साल है। वे दोनों एक फिल्म शूट के लिए वहां थे जिसमें अर्जेंटो उनकी मां की भूमिका में थी। अर्जेंटो ने उन्हें 3,80,000 डालर दिए। शायद ही कोई ब्रह्मचारी हो। संबंध बनते रहे हैं और आगे भी बनते रहेंगे, किंतु यह सहमति से हो और इच्छा जाहिर करना गुनाह न माना जाए। महिला द्वारा न कहने के बाद उसे परेशान करना निश्चित रूप से गुनाह है।-सुधांशु रंजन 

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